Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019States Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019मुंबई में अब कोरोना टेस्ट के लिए डॉक्टर की पर्ची नहीं चाहिए

मुंबई में अब कोरोना टेस्ट के लिए डॉक्टर की पर्ची नहीं चाहिए

मुंबई में कोरोना टेस्टिंग को लेकर विपक्ष ने भी पूछे सवाल

रौनक कुकड़े
राज्य
Updated:
मुंबई में बढ़ते कोरोना मामले कम होती टेस्टिंग
i
मुंबई में बढ़ते कोरोना मामले कम होती टेस्टिंग
(प्रतीकात्मक फोटो: AP)

advertisement

कोरोना वायरस को मात देने के लिए जब तक वैक्सीन नहीं तैयार हो जाती तब तक ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग को ही इसका हथियार माना जा रहा है. टेस्टिंग को लेकर कई राज्यों ने अपनी पॉलिसी में बदलाव किया, जिसके बाद हालात कुछ सुधरते नजर आए. लेकिन मुंबई में अब भी टेस्टिंग की गाड़ी ने रफ्तार नहीं पकड़ी है. मुंबई टेस्टिंग के मामले में दिल्ली से काफी ज्यादा पीछे है. इसके बावजूद बीएमसी लगातार दावा कर रही है कि मुंबई में कोरोना का डबलिंग रेट लगातार सुधर रहा है.

महाराष्ट्र सरकार के मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट की ओर से जो डेटा सार्वजनिक किया जाता है उस पर नजर डालने के बाद पता चलता है कि मुंबई में जून के महीने में प्रति दिन करीब 4237 टेस्ट हुए. ये 30 जून तक का आंकड़ा है. जबकि दिल्ली में 5 जुलाई को 9873 RT-PCR टेस्ट किए गए हैं.

यानी दिल्ली में मुंबई के मुकाबले करीब दोगुने टेस्ट हो रहे हैं. वहीं अगर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की मानें तो कुल टेस्टिंग का आंकड़ा रोजाना 20 से 24 हजार तक पहुंच रहा है.

क्षमता के मुताबिक नहीं हो रही टेस्टिंग

जानकारी के मुताबिक मुंबई में रोजाना 10 से 12 हजार तक टेस्ट करने की क्षमता है. लेकिन उन कारणों का पता नहीं चल पाया जिनसे मुंबई में पूरी क्षमता के अनुसार टेस्टिंग नहीं हो पा रही है. मुंबई महापालिका के एक अधिकारी ने बताया की प्राइवेट लैब 24 घंटो में 5000 तक ही रिपोर्ट दे पाते हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि बीएमसी ने टेस्टिंग की रफ्तार को तेजी से बढ़ाने की सूचना भी दी है. इसे लेकर कई बार कहा जा चुका है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

क्या कहते हैं आंकड़े?

अब अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो 1 जून को मुंबई में 2,01,507 टेस्ट हुए थे, जबकि 30 जून को 3,33,752 तक टेस्टिंग का आंकड़ा पहुंचा. जिससे साफ है कि जून महीने में 1,32,245 टेस्ट मुंबई में हुए. अगर प्रति दिन का हिसाब निकालें तो हर दिन मुंबई में करीब 4237 टेस्ट हुए. जो कोरोना मरीजों के आंकड़े को देखते हुए काफी कम है. वहीं जब हमने लेटेस्ट आंकड़ा जानना चाहा और 5 जुलाई से 6 जुलाई के बीच हुई टेस्टिंग को देखा तो पाया कि मुंबई में एक दिन में सिर्फ 4510 टेस्ट हुए. वहीं इसी दिन (6 जुलाई) दिल्ली में कुल 13879 टेस्ट किए गए.

टेस्टिंग के ये ताजा आंकड़े मुंबई का हाल दिखाते हैं. इसीलिए इन्हें लेकर क्विंट ने सीधे बीएमसी कमिश्नर इकबाल चहल से बात की. जिसमें उन्होंने कम टेस्टिंग की बात को कबूला और इसके लिए बीएमसी के नए फैसले को लेकर जानकारी दी. उन्होंने कहा,

“हमारे नए आदेश के मुताबिक अब टेस्टिंग को लेकर किसी भी तरह के डॉक्टर की पर्ची (प्रिस्क्रिप्शन) की जरूरत नहीं पड़ेगी. यानी हर वो शख्स टेस्ट करवा सकता है जिसे कोरोना होने का शक है. इसके लिए सभी लैब और अस्पतालों को निर्देश दिए जा चुके हैं. हम भारत में पहली बार ऐसा कर रहे हैं.”

ठाणे ने एक्टिव केस के मामले में मुंबई को पछाड़ा

महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 2 लाख के पार हो चुका है. महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा प्रभावित शहर अब तक मुंबई था, लेकिन अब ठाणे ने मुंबई को पीछे छोड़ दिया है. ठाणे शहर में 28 हजार से ज्यादा एक्टिव केस हैं. जबकि मुंबई में एक्टिव केस 23 हजार हैं. ठाणे जिले की अगर बात करें तो यहां कुल 47935 कोरोना संक्रमित केस दर्ज किए जा चुके हैं. इनमें से 18156 लोग अब तक ठीक हो चुके हैं, जबकि 1270 लोग की मौत हो चुकी है. ऐसे में इन आंकड़ों के सहारे अब सवाल उठना शुरू हो चुके हैं.

विपक्ष ने भी उठाए सवाल

मुंबई में कम टेस्टिंग को लेकर ठाकरे सरकार पर विपक्ष ने भी सवाल खड़े किए हैं. नेता विपक्ष और पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई में हो रही कम टेस्टिंग को लेकर सीएम उद्धव ठाकरे को एक लेटर भी लिखा है. फडणवीस ने अपने इस लेटर में टेस्टिंग के आंकड़ों के जरिए सरकार और खास तौर पर सीएम ठाकरे को स्थिति को अवगत करने की कोशिश की. पूर्व सीएम का कहना है कि,

“कोरोना के प्रकोप से लड़ने के लिए सबसे जरूरी ये है कि टेस्टिंग ज्यादा से ज्यादा की जानी चाहिए. अगर टेस्ट ज्यादा हुए तो बीमारी का पता लग सकता है और मरीजों को समय पर इलाज मिला तो संक्रमण फैलने का खतरा भी कम हो सकता है. इसके साथ ही मुंबई में टेस्टिंग से मृत्यु दर को भी कम करने में बड़ी मदद मिल सकती है.”
देवेंद्र फडणवीस, पूर्व सीएम महाराष्ट्र

बता दें कि महाराष्ट्र सरकार पर कोरोना से निपटने के लिए प्लानिंग को लेकर लगातार पिछले कई हफ्तों से आरोप लग रहे हैं. राज्य में देशभर के सबसे ज्यादा मामले सामने आए और उन पर सरकार अब तक लगाम लगाने में कामयाब नहीं हो पाई है. रोजाना कई हजार मामले सामने आ रहे हैं और सैकड़ों लोगों की मौत भी हो रही है. ऐसे में अगर टेस्टिंग को हथियार के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया गया तो इसका खामियाजा सरकार से पहले राज्य के लोगों को भुगतना होगा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 06 Jul 2020,10:25 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT