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14 मार्च,2022 को बिहार विधानसभा में जो कुछ हुआ, वो देश के इतिहास में शायद आज तक नहीं हुआ. विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा के लिए सीएम नीतीश कुमार ने जिस तरह की भाषा और भाव-भंगिमा का इस्तेमाल किया, उसकी हर तरफ से आलोचना हो रही है.
विधानसभा अध्यक्ष को सदन का सर्वमान्य अभिभावक माना जाता है. लेकिन विपक्ष का आरोप है कि बिहार के मुख्यमंत्री ने सदन के अंदर स्थापित सभी मान्यताओं को तार-तार कर दिया. मुख्यमंत्री इतने आग बबूला हो गए कि उन्होंने अध्यक्ष पर ही संविधान के उल्लंघन का न सिर्फ आरोप लगाया बल्कि यहां तक कह दिया कि ऐसे सदन नहीं चलेगा. नीतीश कुमार ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि-
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के तल्ख तेवर को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने जवाब दिया कि
दरअसल लखीसराय की घटना को लेकर बिहार विधानसभा में पिछले कई दिनों से हंगामा हो रहा है. 14 मार्च को विधायक संजय सरावगी ने लखीसराय में इस साल अब तक 9 लोगों की हत्या का मामला उठाया. इस सवाल पर सरकार की तरफ से प्रभारी गृह मंत्री विजेंदर यादव के जवाब के बीच में ही सरावगी ने विधानसभा अध्यक्ष के साथ हुई बदसलूकी का भी जिक्र कर दिया जिसपर स्पीकर ने मंत्री को 16 मार्च तक जवाब देने के लिए कहा. इतने में नीतीश कुमार अपने चेम्बर से सदन में आए और उखड़ गए. स्पीकर को उंगली दिखा-दिखाकर नीतीश ने खूब खरी-खोटी सुनाई.
स्पीकर ने स्थानीय थानाध्यक्ष और डीएसपी पर उनकी बात न सुनने और बदसलूकी के आरोप लगाते हुए कहा था कि पुलिस का मनोबल काफी बढ़ गया है. पुलिस के आला अधिकारी विधानसभा अध्यक्ष तक की बात तक नहीं सुनते हैं. बिहार पुलिस की कायरता और कमजोरी की वजह से बिहार में शराब तस्कर शराब बेचने में सफल हो रहे हैं. बिना प्रशासन की कायरता और कमजोरी के किसी भी क्षेत्र में शराब नहीं बेची जा सकती है. अगर बिहार के किसी इलाके में प्रशासन ईमानदार है तो वहां पर शराब क्यों नहीं पकड़ी जाती?
इस मामले पर विधानसभा में विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया गया है, जिसपर विशेषाधिकार समिति को अपनी रिपोर्ट सौंपनी है. लेकिन बीजेपी और विपक्ष के विधायक लगातार सरकार को घेर रहे हैं. जबकि बिहार में नीतीश की पार्टी जेडीयू और बीजेपी साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं. इससे पहले भी कई मौकों पर बीजेपी के नेता ही नीतीश सरकार को कटघरे में खड़ा करते रहे हैं. बीजेपी के साथ चल रही तनातनी के बीच आखिरकार 14 मार्च को नीतीश कुमार का गुस्सा फूट पड़ा. बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी से कम सीटें आने के बावजूद नीतीश के मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर बीजेपी का एक धड़ा लगातार असंतुष्ट है. नीतीश भी बीजेपी के साथ उतने कम्फ़्टर्बल नहीं हैं और आए दिन नीतीश-बीजेपी के बीच की खटास सामने आ ही जाती है.
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