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नोएडा (Noida) में सुपरटेक ट्विन टावर (Supertech Twin Tower) रविवार को ध्वस्त किया गया. मात्र 9 सेकेंड में 30 मंजिला दो इमारतें जमींदोज हो गईं और छोड़ गई मलबों का ढेर. एक-दो हजार नहीं, कुल 80 हजार टन मलबा. बिल्डिंग गिराने की चुनौतियों के बाद अब सुपरटेक ट्विन टावर का मलबा हटाना उससे भी बड़ी चुनौती है. इसकी जिम्मेदारी Ramky ग्रुप को दी गई है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक एडिफिस इंजीनियरिंग (Edifice Engineering) के पार्टनर उत्कर्ष मेहता (Utkarsh Mehta) ने कहा, "हमें मलबा साफ करने के लिए 90 दिनों का समय दिया गया है. हम कई प्राधिकरणों और रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) के साथ मिलकर काम कर रहे हैं."
सुपरटेक ट्विन टावर गिराने से करीब 80 हजार टन मलबा निकला है. बताया जा रहा है कि इसमें से लगभग 50,000 टन का उपयोग बेसमेंट और अन्य पुनर्निर्माण के लिए किया जाएगा. मलबे में बहुत सारा स्टील, कंक्रीट और अन्य सामग्री है, जिसका पुन: उपयोग किया जाएगा. जबकि 30 हजार टन मलवा यहां से हटाया जाएगा.
जेट डिमोलिशन (Jet Demolition) के जो ब्रिंकमैन (Joe Brinkmann) ने कहा कि इतने कम जगह में इस तरह का विध्वंस शायद पहली बार हुआ है. दुनिया में कुछ ही इमारतें हैं जो 100 मीटर से ऊंची हैं. इसके अलावा, यहां बहुत नजदीक में ही अन्य इमारतें भी हैं. मुझे नहीं लगता ऐसा इससे पहले कभी हुआ है.
इतने बड़े पैमाने पर मलबे को लेकर लोगों के मन में तरह-तरह के सवाल हैं. ये मलबा एमराल्ड कोर्ट (Emerald Court) से तो हटा लिया जाएगा पर इसे कहां डंप किया जाएगा? प्राधिकरण की ओर से शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा गया था कि लगभग 28,000 टन मलबे को नोएडा के सेक्टर 80 स्थित सी एंड डी वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट में भेजा जाएगा. जहां साइंटिफिक तरीके से इसका निस्तारण किया जाएगा. मलबे को उठाने में कम से कम तीन महीने का समय लगेगा.
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