advertisement
बिहार के गया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली स्थल पर मंगलवार को हंगामा हो गया और एक-दूसरे पर कुर्सियां फेंक रहे दो समूहों को शांत करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. पुलिस ने कहा कि घटना के संबंध में किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया है. यह घटना मोदी के रैली स्थल पर पहुंचने से पहले हुई. हालांकि, उस वक्त बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान मंच पर मौजूद थे.
बिहार के प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपने कई विधायकों, विधान पार्षदों को दिल्ली जाने का टिकट, यानी लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारी का टिकट थमाया है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और विपक्षी महागठबंधन, हर जगह विधानमंडल सदस्यों को महत्व मिला है. विधानसभा और विधान परिषद के ऐसे कम से कम एक दर्जन सदस्य हैं, जो इस चुनाव में दिल्ली जाने की अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को परवान चढ़ाने की कोशिश में जुटे हुए हैं. बात एनडीए की करें तो इसके प्रमुख घटक दल, जेडीयू ने कई विधायकों और विधान पार्षदों को चुनाव मैदान में उतारा है. हालांकि एनडीए के दूसरे प्रमुख घटक बीजेपी ने इस बार किसी विधायक को टिकट नहीं दिया है.
इसी तरह लोक जनशक्ति पार्टी ने भी विधान पार्षद और बिहार के मंत्री पशुपति कुमार पारस को हाजीपुर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है.
विपक्षी महागठबंधन की बात करें तो इसके प्रमुख घटक दल, आरजेडी ने भी अपने कई विधायकों और विधान पार्षदों को दिल्ली जाने के टिकट बांटे हैं. आरजेडी ने पांच विधायकों को लोकसभा चुनाव के टिकट दिए हैं. पार्टी ने राज्य के पूर्व वित्तमंत्री और विधायक अब्दुल बारी सिद्दिकी को महत्वपूर्ण दरभंगा सीट से प्रत्याशी बनाया है, तो वहीं विधायक चंद्रिका राय को सारण और शिवचंद्र राम को हाजीपुर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है. आरजेडी ने विधायक सुरेंद्र यादव को जहानाबाद से और विधायक गुलाब यादव को झंझारपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया है.
महागठबंधन में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) की ओर से खुद जीतन राम मांझी गया संसदीय सीट से अपना भाग्य आजमा रहे हैं. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री मांझी मौजूदा समय में विधायक हैं.
लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन में शामिल विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश साहनी ने मंगलवार को खगड़िया से और सुपौल से कांग्रेस की सांसद रंजीत रंजन ने सुपौल से नामांकन पर्चा दाखिल किया. खगड़िया में सहनी के नामांकन पर्चा दाखिल करते समय उनके साथ महागठबंधन के कई नेता मौजूद रहे. उन्होंने अपनी जीत का दावा करते हुए कहा, "इस बार के चुनाव में देश के मतदाता सांप्रदायिक ताकतों को मुंहतोड़ सबक सिखाएगी."
उधर सुपौल में कांग्रेस की सांसद रंजीत रंजन ने भी जिलाधिकारी कार्यालय में निर्वाचन पदाधिकारी के सामने नामांकन का पर्चा भरा और लोगों से केंद्र में महागठबंधन की सरकार बनाने की अपील की. नामांकन के लिए घर से निकलते वक्त रंजीत को सास, ससुर और पति राजीव रंजन उर्फ पप्पू यादव ने तिलक लगाकार शुभकामनाएं दीं.
बिहार में महागठगंधन के प्रमुख घटक राष्ट्रीय जनता दल में सीट बंटवारे को लेकर अध्यक्ष लालू प्रसाद के दोनों बेटों तेजप्रताप यादव और तेजस्वी यादव के बीच उभरे विवाद पर कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि इसका महागठबंधन पर भी असर पड़ेगा. कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी ने कहा कि चुनाव के समय तेजप्रताप यादव के गुस्से का महागठबंधन पर असर पड़ेगा. उन्होंने आरजेडी को सलाह देते हुए कहा कि इस मामले को लेकर पार्टी के बड़े नेताओं को तेजप्रताप से बात करनी चाहिए. उन्होंने माना कि ऐसी स्थिति संवादहीनता की वजह से हुई है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि बातचीत कर के ही इसका हल भी निकाला जा सकता है.
लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेजप्रताप ने सोमवार को 'लालू-राबड़ी मोर्चा' बनाने की घोषणा करते हुए कहा था कि उन्होंने तो केवल दो सीट मांगी थी, फिर भी कुछ लोगों के पेट में दर्द होने लगा. तेजप्रताप ने हालांकि पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी को समझदार बताते हुए कहा कि वे चापलूसों से घिरे हुए हैं. उन्होंने कहा कि चापलूस लोग इधर की बात उधर कर आरजेडी को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
उत्तर बिहार के बेगूसराय को 'बिहार के लेनिनग्राद' व 'लिटिल मॉस्को' जैसे नामों से भी जाना जाता है और एक बार फिर से यह देश का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है, क्योंकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव में अपने फायरब्रांड नेता कन्हैया कुमार को इस सीट से चुनाव मैदान में उतारा है. वहीं बीजेपी ने अपने शीर्ष भूमिहार नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को उनके खिलाफ टिकट दिया है.
इन सबके बीच, आरजेडी और महागठबंधन के उम्मीदवार तनवीर हसन ज्यादा मीडिया का ध्यान आकर्षित नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन उनकी मौजूदगी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. हसन ने साथ ही बीजेपी विरोधी वोटों को हासिल करने के कन्हैया के मौके पर भी पानी फेर दिया है. हसन के मैदान में उतरने से बीजेपी विरोधी वोट आरजेडी और सीपीएम के बीच बंट सकते हैं.
कन्हैया बेगूसराय में बीते दो महीने से आक्रामक प्रचार कर रहे हैं और प्रत्येक जाति और समुदाय से समर्थन मांग रहे हैं. बेगूसराय में लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में मतदान होना है, जो कि 29 अप्रैल को होगा.
(इनपुट: IANS / भाषा)
ये भी पढ़ें - Qलखनऊ: डिंपल यादव 6 अप्रैल को नामांकन करेंगी,बीजेपी नेता गिरफ्तार
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)