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चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) की कंपनी- इंडियन पॉलीटिकल एक्शन कमिटी(I-PAC) की 23 सदस्यीय टीम को त्रिपुरा पुलिस ने कथित 'हाउस अरेस्ट' के घंटों बाद छोड़ दिया. I-PAC की यह टीम राज्य में 2023 के विधानसभा चुनाव के पहले तृणमूल कांग्रेस (TMC) के लिए जमीनी काम करने गई थी.
तृणमूल कांग्रेस ने बयान जारी करते हुए बताया कि I-PAC टीम के सभी 23 सदस्यों का कोविड-19 टेस्ट नेगेटिव आया है.
न्यूज़ एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से 26 जुलाई को रिपोर्ट किया था कि त्रिपुरा पुलिस ने टीम के सदस्यों को राजधानी अगरतला के होटल वुडलैंड पार्क में रखा था और उनसे पूछताछ की गई. साथ ही पुलिस ने चेतावनी दी थी कि वे होटल से सिर्फ राज्य से बाहर जाने के लिए एयरपोर्ट पहुंच सकते हैं.
उसी दोपहर पुलिस ने टीम के सभी सदस्यों के RT-PCR टेस्ट के लिए होटल में एक मेडिकल टीम को बुलाया था.
पूरे मामले पर त्रिपुरा पुलिस ने राजनीतिक कारणों से नजर बंद करने के आरोप को सिरे से खारिज कर दिया था.26 जुलाई की देर रात पश्चिम त्रिपुरा के एसपी मणिक दास ने ANI के हवाले से कहा
हालांकि दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस ने त्रिपुरा की बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया कि राजनैतिक कारणों से उनकी टीम को नजरबंद किया गया था.हाल ही में त्रिपुरा में पार्टी अध्यक्ष नियुक्त किए गए आशीष लाल सिंह ने I-PAC के सदस्यों के कथित 'हाउस अरेस्ट' पर टिप्पणी करते हुए कहा कि
इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने भी मामले पर ट्वीट करते हुए कहा कि
"तृणमूल कांग्रेस के राज्य में आने से पहले ही त्रिपुरा बीजेपी में डर साफ है. वो बंगाल में हमारी जीत से इतने बौखला गए हैं कि उन्होंने अब 23 IPAC कर्मचारियों को नजरबंद कर दिया है .इस देश में लोकतंत्र बीजेपी के कुशासन में हजार मौत मर चुका है"
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