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पुणे कार हादसा: पहले जमानत, फिर बाल सुधार गृह -JJB ने बदला फैसला, अब तक क्या-क्या हुआ?

Pune Porsche Car Accident: घटना के बमुश्किल 15 घंटे बाद नाबालिग को जेजेबी कोर्ट ने जमानत दे दी थी जिसके बाद लोगों में आक्रोश उमड़ पड़ा.

क्विंट हिंदी
राज्य
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<div class="paragraphs"><p>पुणे कार हादसा: पहले जमानत और फिर 'बाल सुधार गृह', विवाद के बाद JJB ने बदला अपना फैसला</p></div>
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पुणे कार हादसा: पहले जमानत और फिर 'बाल सुधार गृह', विवाद के बाद JJB ने बदला अपना फैसला

फोटो- क्विंट हिंदी

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जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (Juvenile Justice Board) ने पोर्श कार (Porsche Car) से दो बाइक सवार व्यक्ति को कुचलने के आरोपी 17 वर्षीय किशोर की जमानत बुधवार, 22 मई को रद्द कर दी. कोर्ट ने आरोपी को पांच जून तक सुधार गृह में भेज दिया है.

क्या है मामला?

19 मई की सुबह पुणे शहर (Pune) में एक पोर्श कार ने बाइक सवार दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को टक्कर मार दी. हादसे में दोनों की जान चली गई. पुलिस ने मामले के पड़ताल के बाद जानकारी दी कि कार नशे में धुत नाबालिग द्वारा चलाई जा रही थी. पुलिस ने नाबालिग को बिना लाइसेंस के कार चलाने की इजाजत देने के आरोप में उसके पिता को गिरफ्तार कर लिया.

मामले पर कार्रवाई करते हुए पुणे कोर्ट ने 17 वर्षीय किशोर के पिता विशाल अग्रवाल, जो एक रियल एस्टेट डेवलपर हैं, को 24 मई तक दो दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया. साथ ही, बार के दो कर्मचारियों, जिसने नाबालिग और उसके दोस्तों को शराब परोसी थी, उनको भी हिरासत में लिया गया है. वहीं घटना के बमुश्किल 15 घंटे बाद नाबालिग को जेजेबी कोर्ट ने जमानत दे दी.

बोर्ड के फैसले के बाद पुणे पुलिस ने किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष एक समीक्षा याचिका दायर की, जिसमें किशोर पर वयस्क के रूप में मुकदमा चलाने और उसे रिमांड होम भेजे जाने का आग्रह किया गया था.

जमानत की शर्त थी 300 शब्दों का निबंध

जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने रविवार, 19 मई को नाबालिग ड्राइवर को जमानत दे दी थी.

कोर्ट ने जमानत की यह शर्त रखी,

आरोपी को क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय जाना था, यातायात नियमों का अध्ययन करना था और 15 दिनों के भीतर बोर्ड को सड़क दुर्घटनाओं और उनके समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखकर पेश करना था.

जुवेनाइल बोर्ड ने नाबालिग के माता-पिता को भी निर्देश दिया था कि वह सुनिश्चित करें कि भविष्य में उनका बेटा इस तरह के अपराधों में शामिल न हो. किशोर की काउंसलिंग करवाई जाए. वहीं कोर्ट ने किशोर के माता पिता को नाबालिग को शराब के लत और गलत संगत से दूर रखने की नसीहत दी. नाबालिग को ₹7,500 की जमानत राशि भी अदा करनी थी.

बोर्ड के इस फैसले ने देशव्यापी आक्रोश पैदा कर दिया. मामला तूल पकड़ा तो यह राजनीतिक मुद्दा भी बन गया.
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राहुल गांधी ने दी प्रतिक्रिया

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बोर्ड के फैसले पर नाराजगी जताई. राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर कहा, कोई साधारण बस, ट्रक, ऑटो या कोई ओला और उबर कैब चालक गलती से किसी को मार देता है, तो उसे 10 साल जेल की सजा हो जाती है लेकिन वहीं अगर एक अमीर परिवार का 16 या 17 साल का बेटा शराब के नशे में पॉर्शे गाड़ी चलाते हुए पकड़ा जाता है, लोगों की हत्या करता है तो उसे एक निबंध लिखने के लिए कहा जाता है.”

राहुल गांधी ने अपने वीडियो में कहा कि "न्याय सबके लिए एक समान हो."

राहुल गांधी के वीडियो पर महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और गृह मंत्री देवेंद्र फडनवीस ने कहा कि कांग्रेस नेता का वीडियो, घटना का राजनीतिकरण करने की एक “ओछी कोशिश” है. जिसकी मैं कड़ी निंदा करता हूं.

“पुलिस ने इस मामले में जो भी आवश्यक था वह किया है. हर मुद्दे पर चुनावी राजनीति लाकर वोट मांगने की राहुल गांधी की यह घटिया कोशिश गलत है और मैं इसकी निंदा करता हूं''
- डिप्टी सीएम फड़णवीस ने कहा

जमानत देने के बाद जारी हुआ नोटिस

जेजेबी, जिसने पहले नाबालिग को जमानत दी थी, ने उसे बुधवार, 23 मार्च को उसके सामने पेश होने के लिए नोटिस जारी किया. नाबालिग बुधवार (22 मई) दोपहर के आसपास अपने परिवार के सदस्यों और वकीलों की एक टीम के साथ जेजेबी के परिसर में आया.

बचाव पक्ष के वकीलों और अभियोजन पक्ष के वकील ने अपनी दलीलें पेश कीं. बहस के बाद तीन सदस्यीय जेजेबी ने बुधवार शाम को किशोर को 5 जून तक यरवदा में 'ऑब्जर्वेशन होम' भेजने का फैसला सुनाया.

इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि 'ऑबजर्वेशन होम' में घटना के समय और बाद में किशोर के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्थिति का पता लगाने के लिए उसका मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन किया जाएगा. ब्लड टेस्ट रिपोर्ट भी लंबित है. हम जल्द से जल्द उसे पाने की कोशिश कर रहे हैं.

जेजेबी के फैसले के बाद मीडिया से बात करते हुए किशोर के वकील प्रशांत पाटिल ने कहा कि इस आदेश को चुनौती दी जाए या नहीं, हम कल मुवक्किल से इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे. वकील प्रशांत पाटिल ने बताया कि, पुलिस ने सीसीएल (Child in Conflict with Law) को जमानत मिलने के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर की थी. हमने इस समीक्षा आवेदन के खिलाफ अपनी दलीलें पेश कीं. राज्य ने तर्क दिया कि सीसीएल की सुरक्षा को बाहर खतरा है और इसके लिए उसे सुधार गृह में रखा जाना चाहिए. हमने इसका विरोध किया.

वकील ने आगे बताया, "पुलिस ने जोर देकर कहा कि मामले की जांच चल रही है और इसके लिए सीसीएल को पुनर्वास गृह में रखा जाना चाहिए. हमने तर्क दिया कि जमानत मिलने के बाद सीसीएल को पुनर्वास गृह भेजने के लिए पुलिस आवेदन में संशोधन होना चाहिए था, जो नहीं हुआ."

नाबालिग पर वयस्क की तरह मुकदमा चलाने की पुलिस की याचिका के बारे में पूछे जाने पर पाटिल ने कहा,

"जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत प्रावधान है. पुलिस को अपराध दर्ज होने के एक महीने के भीतर आरोपपत्र दाखिल करना होता है. उसके दो महीने बाद, सीसीएल की पूरी स्थिति पर रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होती है, जिसमें उसके व्यवहार और मनोवैज्ञानिक पहलू शामिल होते हैं. अगर उसके पुनर्वास और नशामुक्ति से जुड़े कोई रिपोर्ट है तो उसे भी शामिल किया जाता है. इन कारकों पर विचार किया जाता है. और इन सबके आधार पर तय होता है कि उसे वयस्क की तरह माना जाए या नहीं. इस पर निर्णय लेने में 60 से 90 दिन लगते हैं."

इस बीच, महाराष्ट्र परिवहन आयुक्त विवेक भीमनवार ने आदेश जारी कर जानकारी दी कि 17 वर्षीय आरोपी को 25 वर्ष की आयु तक ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने से प्रतिबंधित किया जाएगा.

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