advertisement
राजस्थान (Rajasthan) में अवैध खनन (Illegal mining) के विरोध में एक साधु द्वारा आत्मदाह की कोशिश के बाद सियासत गरमा गई है. दरअसल, भरतपुर (Bharatpur) के सीकरी और पहाड़ी क्षेत्र में ब्रज भूमि पर अवैध खनन रोकने के लिए संत समाज पिछले 550 दिनों से आंदोलन कर रहा था. इस दौरान बुधवार, 20 जुलाई को साधु विजयदास (Sadhu Vijay Das) ने आत्मदाह की कोशिश की, जिनका गंभीर हालत में दिल्ली में इलाज जारी है. वहीं इस मामले में अब गहलोत सरकार की नींद खुली है. सरकार ने इस इलाके में खनन गतिविधियों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने और सघन वृक्षारोपण के आदेश जारी किए हैं.
साधु विजयदास के आत्मदाह की कोशिश के चंद घंटों बाद गहलोत सरकार एक्शन में आई. राज्य सरकार ने ब्रज क्षेत्र में स्थित सीकरी तहसील (पूर्व में नगर तहसील) और पहाड़ी तहसील की धार्मिक महत्व की पहाड़ियों पर सघन वृक्षारोपण के लिए वन विभाग को हस्तांतरित करने की स्वीकृति दे दी है. इसके साथ ही इन क्षेत्रों में खनन गतिविधियों को प्रतिबंधित करने के भी निर्दश जारी किए हैं.
आत्मदाह करने वाले बाबा विजयदास की हालत गंभीर बनी हुई है. वो करीब 90 फीसदी तक झुलसे हैं. उन्हें बेहतर इलाज के लिए जयपुर से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में शिफ्ट किया गया है. बताया जा रहा है कि गंभीर हालत होने की वजह से उन्हें ICU में शिफ्ट किया है.
इससे पहले बाबा विजय दास का जयपुर के SMS अस्पताल में इलाज चल रहा था. जिसके बाद ग्रीन कोरिडोर बनाकर उन्हें दिल्ली शिफ्ट किया गया है.
वहीं इस मामले को लेकर बीजेपी राज्य सरकार पर हमलावर है. बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने पूरी जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है, जो भरतपुर जाकर तथ्यों की जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. समिति में अलवर के सांसद बाबा बालकनाथ, पूर्व मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर और पूर्व विधायक राजकुमारी जाटव शामिल हैं. इस मामले में गुरुवार को बीजेपी कार्यकर्ताओं ने भरतपुर कलेक्ट्रेट के बाहर धरना भी दिया था.
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने गहलोत सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने ट्वीट किया, " यह कैसी विडम्बना है कि रोक के बाद भी अवैध खनन हो रहा है. इसके लिए सरकार जिम्मेदार है."
भरतपुर के सीकरी और पहाड़ी क्षेत्र में अवैध खनन को रोकने की मांग करते हुए साधु-संत पिछले डेढ़ साल से धरना प्रदर्शन कर रहे थे. स्थानीय जनप्रतिनिधियों के जरिए मुख्यमंत्री तक ज्ञापन देने के साथ ही साधुओं ने अपनी बात कांग्रेस नेता प्रिंयका गांधी तक भी पहुंचाई थी. इसके बावजूद भी अवैध खनन बदस्तूर जारी रहा. इस मामले में मंगलवार, 19 जुलाई को साधु नारायण दास मोबाइल टॉवर पर चढ़ गए थे, जिन्हें प्रशासन ने समझा-बुझाकर नीचे उतरा. इसके अगले ही दिन विजयदास ने आत्महाद की कोशिश की.
आपको बात दें कि अवैध खनन के विरोध में साधुओं ने जिला प्रशासन और सरकार को कई बार आत्मदाह की चेतावनी दी थी. पिछले दिनों हरि बोल बाबा ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर आत्मदाह करने की चेतावनी दे डाली थी. लेकिन, लगातार मिल रही चेतावनी के बाद भी प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. न ही इस मामले में कोई कार्रवाई की और न ही चेतावनी देने वालों पर नजर रखी गई. जिसके बाद से प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं.
भरतपुर के डीग और कामां तहसील में ब्रज और धार्मिक पर्वतों को संरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया था. लेकिन उस समय तहसील अंतर होने की वजह से ब्रज के प्रमुख पर्वत कनकांचल और आदि बद्री का कुछ हिस्सा संरक्षित वन क्षेत्र से वंचित रह गया था. जिसकी वजह से वहां बड़े स्तर पर खनन होता है. संत समाज इसी क्षेत्र में अवैध खनन रोकने की मांग कर रहा था.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)