advertisement
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Rajasthan CM Ashok Gehlot) शुक्रवार, 10 फरवरी को अपने तीसरे कार्यकाल का अंतिम बजट पेश करने जा रहे हैं. इस साल का बजट थीम- 'बचत, राहत और बढ़त' है. इस बार के बजट के साथ कई संयोग भी जुड़े हैं. गहलोत वित्त मंत्री के तौर पर विधानसभा में बजट पेश करने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) की बराबरी कर लेंगे.
प्रदेश की सियासत में वसुंधरा राजे ही ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्री के साथ वित्त मंत्री की कमान संभालते हुए सदन में दस बार बजट पेश किया है. राजे के बाद गहलोत इस श्रेणी में आ जाएंगे. हालांकि मुख्यमंत्री के तौर पर गहलोत का कार्यकाल राजे से पांच साल ज्यादा है. राजे दो बार प्रदेश की कमान संभाल चुकी हैं. गहलोत तीसर बार मुख्यमंत्री हैं. प्रदेश के इन दोनों नेताओं का कांग्रेस और बीजेपी में पिछले दो दशक से भी ज्यादा समय से दबदबा कायम है.
प्रदेश में वित्त मंत्रालय के जरिए सरकार पर कंट्रोल रखने का फार्मूला पिछले बीस साल से लगातार चला आ रहा है. 2003 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद वसुंधरा ने इस फॉर्मूले पर सरकार चलाई थी. इसके बाद गहलोत जब दूसरी बार मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने भी वित्त मंत्रालय अपने पास ही रखा.
राजस्थान में पिछले 3 दशकों से हर पांच साल पर सरकार बदलती आई है. प्रदेश में सरकार बदलने के ठीक छह महीने बाद लोकसभा के चुनाव होते हैं. इस कारण से हर सरकार को अपने कार्यकाल में पहले साल में तीन महीने का लेखानुदान पेश करना होता है. गहलोत और वसुंधरा ने पिछले बीस साल में दो-दो लेखानुदान सदन में पेश किए हैं.
प्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव होने के कारण माना जा रहा है कि गहलोत का यह बजट लोकलुभावना और आम जनता को राहत देने वाला हो सकता है. सरकार मुफ्त बिजली, पानी के साथ ही सिलेंडर में सब्सिडी का ऐलान भी कर सकती है.
वहीं महंगाई से राहत देने, सोशल सिक्योरिटी सहित कई मदों में सरकार भरी भरकम बजट खर्च करने की तैयारी में है. बजट में राजनीतिक समीकरण साधने पर भी काम किया जा रहा है.
राजस्थान के अलग-अलग इलाकों से नए जिलों के गठन की मांग राजनीतिक मुद्दा बन चुकी है. बजट में गहलोत के लिए यही सबसे बड़ी चुनौती होगी. अभी राजस्थान में छह संभागीय मुख्यालय और 33 जिले हैं. माना जा रहा है कि सरकार इस बजट में करीब आधा दर्जन से ज्यादा नए जिले बनाने का ऐलान कर सकती है. वहीं प्रशासनिक दृष्टि से दो संभाग मुख्यालय और बनाए जा सकते है.
(इनपुट: पंकज सोनी)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)