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राजस्थान (Rajasthan) में सियासी संकट के दौरान गहलोत समर्थक विधायकों के इस्तीफे से जुड़े मामले में नई जानकारी सामने आई है. सोमवार को हाई कोर्ट में विधानसभा सचिव ने बताया कि 81 विधायकों के इस्तीफे उनकी मर्जी से नहीं दिए गए थे. इसलिए इन्हें मंजूर नहीं किया गया. सचिव महावीर प्रसाद शर्मा ने इस्तीफा देने वाले 81 विधायकों का पूरा ब्योरा भी पेश किया. जिसमें बताया गया है कि किसने कब और कितनी तारीख को इस्तीफा दिया और किस तारीख को अपना इस्तीफा वापस लिया. इस्तीफा देने वालों में 23 मंत्री, 49 कांग्रेस विधायक, 9 निर्दलीय विधायक शामिल थे.
सचिव ने जवाब में कहा कि विधानसभा सदस्यों की प्रक्रिया और कार्य संचालन संबंधी नियम 173(3) के अनुसार इस्तीफे तब तक स्वीकार नहीं किए जाते हैं, जब तक उनका स्वैच्छिक और वास्तविक होने का अध्यक्षीय समाधान नहीं हो जाता. हर विधायक ने अलग-अलग इस्तीफा नहीं दिया था, सामूहिक रूप से इस्तीफा दिया गया था. छह विधायकों ने खुद पेश होकर 81 विधायकों का इस्तीफा दिया था. 5 विधायकों के इस्तीफे की फोटोकॉपी थी. इसलिए इस्तीफे स्वीकार नहीं किए गए. जवाब में कहा गया है कि जब तक विधानसभा पूरी तरह संतुष्ट नहीं होता, तब तक फैसला नहीं हो सकता था.
कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के मामले में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में अब अगली सुनवाई 13 फरवरी को होगी. कोर्ट ने विधानसभा सचिव के जवाब पर याचिकाकर्ता को जवाब पेश करने के लिए कहा है.
विधानसभा सचिव की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पैरवी की. राज्य के महाधिवक्ता भी पेश हुए. राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि मामले में अब बडे़ वकील भी बहस के लिए आ गए हैं. इस पर सीजे ने कहा कि वकील चाहे कोई भी हो, केस के तथ्य तो वही रहने वाले हैं.
बता दें कि पिछले साल 25 सितंबर को, 81 विधायकों ने राजस्थान के नए मुख्यमंत्री के नाम पर चर्चा के लिए बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक से पहले सामूहिक इस्तीफा दे दिया था. तब अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस में सबसे आगे थे. वहीं सीएम की रेस में सचिन पायलट के नाम की चर्चा जोरों पर थी.
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