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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज और विशाल कुमार
वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी
राजस्थान चुनावी कवरेज के दौरान झुंझुनू के धनूरी गांव जब हम पहुंचे तो हमारी मुलाकात हसन अली खान से हुई. बातचीत शुरू होने से पहले ही उन्होंने बताना शुरू किया कि यहां खड़े होकर आपको जो भी घर दिख रहा है वो फौजियों का घर है.
बात जब आगे बढ़ी तो उन्होंने 1971 की जंग में मिले अपने घाव को भी दिखाया और बोले देश के लिए ये घाव कुछ भी नहीं है. अब बूढ़ा हो गया हूं इसलिए उस दर्द की वजह से अब चलने में तकलीफ होती है.
धनूरी- एक ऐसा गांव जहां सबसे ज्यादा मुसलमान फौज में हैं. या यूं कहें कि यहां हर दूसरे घर में कोई न कोई इंडियन आर्मी में है और देश की सेवा कर रहा है.
इसी गांव के एक रिटायर्ड पुलिस अफसर सद्दीक खान बताते हैं कि फर्स्ट वर्ल्ड वॉर से लेकर अब तक इस गांव से 15 लोग शहीद हुए हैं. अभी 300 लोग फौज में अलग-अलग पोस्ट पर हैं. इसके अलावा करीब 200 लोग आर्मी से रिटायर हो चुके हैं.
"धनूरी गांव में इतने सारे लोग फौज में होने के बावजूद भी यहां फौजियों की याद में एक भी स्मारक या लाइब्रेरी नहीं बनाई गई."
नाराजगी जताते हुए गांव के ही एक शख्स एक टूटे-फूटे स्कूल को दिखाते हुए बताते हैं, "आर्मी के हर रैंक के जवान, सिपाही से लेकर कर्नल तक इस स्कूल में पढ़े हैं. लेकिन आज इसकी हालत खंडहर जैसी है. इस ओर सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है, ये हमारी याद है. कम से कम इसे एक लाइब्रेरी बना देते ताकि आने वाली पीढ़ी में और जोश आता और वो ज्यादा से ज्यादा आर्मी में जाती."
हसन अली खान आर्मी में जब थे तब की कहानी बताते हुए कहते हैं कि 1971 की जंग में मैं घायल हो गया था. आजकल जो सर्जिकल स्ट्राइक का हंगामा चल रहा है, वो हमारी यूनिट 14 ग्रेडेनियर यूनिट ने 1971 में किया था. जिसमें हमारे गांव के मेजर अहमद खान के कमांड के अंदर सेना पाकिस्तान के अंदर 7 किलोमीटर घुसकर आरटी डिपो, एम्युनेशन डिपो को बर्बाद करके सही सलामत अपने मुकाम पर आ गई थी.
जब हमने एक रिटायर फौजी से टीवी चैनल पर हो रहे हिंदू-मुसलमान के बहस के बारे में पूछा तो उन्होंने बड़े गुस्से में कहा, आप लोग जो हिंदू-मुसलमान करते हैं वो हमारे सेना में नहीं होता है. हम एक साथ रहते हैं, एक साथ दुश्मनों से लड़ते हैं. ऐसी कोई भावना ही नहीं है. लेकिन आज देश के अंदर जहर फैलाया जा रहा है. ये एक अफवाह है और लोगों को गुमराह करने का तरीका है.
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