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राजस्थान सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि राज्य की सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों को अलग से आरक्षण देने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है. शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला (Dr. Bulaki Das Kalla) ने बीजेपी विधायक वासुदेव देवानानी (Vasudev Devnani) की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि सेवा नियमों में ‘राष्ट्रीयता’ के नियम के तहत कर्मचारी के भारत का नागरिक होने का प्रावधान है.
भारत के संविधान के अनुच्छेद 16 (2) के अनुसार, निवास स्थान के आधार पर सार्वजनिक नियोजन में भेदभाव नहीं किया जा सकता.
कल्ला ने कहा कि, वर्तमान में प्रदेश की भर्तियों में स्थानीय लोगों के लिए अलग से आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन राज्य में जातिय आरक्षण के अलावा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की कुल भर्तियों में से 64 फीसदी पदों को भरे जाने का प्रावधान है.
मामले में विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी ने हस्तक्षेप करते हुए मंत्री के जवाब में तमिलनाडु राज्य में व्यवस्था का जिक्र किया और अपनी ओर से सरकार को सलाह दी कि वह इसकी पड़ताल करवाए.
जवाब में कल्ला ने कहा कि पंजाब, तमिलनाडु, गुजरात की स्थानीय भाषा मान्यता प्राप्त है, जबकि राजस्थान की भाषा को मान्यता नहीं है. उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा को मान्यता का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास विचाराधीन है.
कल्ला ने पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि, राज्य की प्रतियोगी परीक्षाओं में राजस्थान की संस्कृति, इतिहास, भूगोल आदि से संबंधित करीब 30 से 40 प्रतिशत प्रश्न शामिल होते हैं ताकि स्थानीय अभ्यर्थियों को भर्ती में लाभ मिल सके. उन्होंने कहा कि राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा साल 2012 से अब तक आयोजित परीक्षाओं में राज्य से बाहर के मात्र 1.05 प्रतिशत अभ्यर्थी और राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षाओं में अब तक 0.90 प्रतिशत बाहर के अभ्यर्थी चयनित हुए हैं.
(इनपुट-पंकज सोनी)
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