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वीडियो प्रोड्यूसर: शोहिनी बोस
वीडियो एडिटर: वरुण शर्मा
जो पुलिस जनता को सुरक्षा देती है, उसे सुरक्षा देने वाला कोई नहीं है. इस बात की हालिया मिसाल शनिवार को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में देखने को मिली. यहां हुई पत्थरबाजी की घटना में अपनी जान गंवा चुके पुलिस कॉन्स्टेबल के बेटे ने अब प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं.
सवाल भी ऐसे हैं जो सीधे सिस्टम पर प्रहार करते हैं. ये महज उस बेटे का दर्द नहीं है, जिसने अपने पिता को खो दिया, बल्कि ये एक आम आदमी का डर भी है, जो पुलिस महकमे से ये उम्मीद रखता है कि वो उसे सुरक्षा देगा.
बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर दुख जताते हुए मृतक कॉन्स्टेबल के परिवार को 40 लाख के मुआवजे के साथ-साथ असामान्य पेंशन का ऐलान किया है.
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शनिवार को गाजीपुर में पीएम नरेंद्र मोदी की रैली थी. निषाद पार्टी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने इस रैली का विरोध किया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रैली के बाद जब बीजेपी समर्थक वापस लौट रहे थे, तभी नौनेरा इलाके में अटवा मोड़ पुलिस स्टेशन के पास निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं से उनका संघर्ष चालू हो गया. इसके बाद दोनों तरफ से जमकर पथराव हुआ. इसी पथराव को शांत करवाने के लिए कुछ पुलिसवाले पहुंचे थे. इस पथराव की चपेट में आने से गाजीपुर के करीमुद्दीनपुर थाने में तैनात कॉन्स्टेबल सुरेश वत्स की मौत हो गई. वे प्रतापगढ़ के रहने वाले थे. इसके अलावा घटना में दो और पुलिसकर्मी भी जख्मी हुए.
इससे पहले 3 दिसंबर को बुलंदशहर में हिंसा कर रही भीड़ को शांत कराने पहुंचे इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की भी सिर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इसके बाद 27 दिसंबर को प्रतापगढ़ में बेखौफ बदमाशों ने कॉन्स्टेबल राजकुमार की गोली मारकर हत्या कर दी. उत्तर प्रदेश में लगातार पुलिसकर्मियों की हो रही हत्याओं पर योगी सरकार सवालों में घिरती जा रही है.
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