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तमिलनाडु का विधानसभा चुनाव वैसे तो इस बार कई वजहों से दिलचस्प है, लेकिन एक बड़ी बात यह है कि इस चुनाव में दोनों मुख्य द्रविड़ पार्टियों (AIADMK और DMK) की नई पीढ़ी के नेताओं के बीच मुकाबला है.
ऐसा इसलिए है क्योंकि साल 2016 में लगातार दूसरी बार AIADMK को सत्ता में लाकर छठी बार मुख्यमंत्री बनीं पार्टी नेता जे जयललिता का उसी साल निधन हो गया था, वहीं DMK के दिग्गज नेता और पांच बार मुख्यमंत्री रहे एम करुणानिधि का साल 2018 में निधन हो गया था. इन दोनों नेताओं का कद इतना बड़ा था कि कई दशकों तक तमिलनाडु की राजनीति इनके इर्द-गिर्द ही सीमित रही थी.
तमिलनाडु में इस बार के विधानसभा चुनाव के मुकाबले की सूरत क्या है, चुनाव के बड़े मुद्दे क्या हैं, चुनावी घमासान के बीच दिलचस्प पहलू कौन से हैं और ‘जीत का घोड़ा’ किसकी तरफ और क्यों जाता दिख रहा है? ऐसे ही सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं:
तमिलनाडु विधानसभा चुनाव 2021 की लड़ाई में वैसे तो कई मोर्चे खुले हुए हैं, लेकिन मुकाबला मुख्य तौर पर सत्तारूढ़ AIADMK के नेतृत्व में बने गठबंधन और विपक्षी DMK की अगुवाई वाले गठबंधन के बीच है.
BJP इस विधानसभा चुनाव में AIADMK की अगुवाई वाले गठबंधन के तहत 20 सीटों पर ही लड़ रही है. उसके खाते में कन्याकुमारी लोकसभा सीट भी आई है, जहां 6 अप्रैल को विधानसभा चुनाव की वोटिंग के साथ ही उपचुनाव के लिए मतदान होगा. इस गठबंधन में PMK को 23 सीटें मिली हैं. माना जा रहा है कि मौजूदा सरकार की तरफ से वन्नियार समुदाय के लिए 10.5 फीसदी MBC आरक्षण दिए जाने के बाद इस समुदाय के बीच प्रभावी PMK गठबंधन को फायदा पहुंचा सकती है.
तमिलनाडु में टीटीवी दिनाकरन की AMMK ने अभिनेता से नेता बने विजयकांत की अगुवाई वाली DMDK और असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM के साथ गठबंधन किया है.
एक और मोर्चे की बात करें तो अभिनेता से नेता बने कमल हासन की पार्टी MNM ने सरतकुमार की ऑल इंडिया समतुवा मखल काची और इंडिया जननायक काची के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है.
DMK-कांग्रेस गठबंधन इस चुनाव में उस आशंका को ज्यादा ताकत के साथ भुनाने की कोशिश में है, जिसके तहत केंद्र में सत्तारूढ़ BJP को उसकी हिंदुत्व की राजनीति और विचारधारा के चलते राज्य की तमिल सांस्कृतिक विरासत के लिए खतरे के रूप में देखा जाता है. इसी क्रम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी कह चुके हैं, ''हम मोदी सरकार के हमलों के खिलाफ तमिलों की अनूठी संस्कृति की रक्षा करेंगे.'' ऐसे में वोटिंग से पहले AIADMK के सामने BJP के साथ गठबंधन को सही ठहराना बहुत बड़ी चुनौती है.
इस चुनाव में महिला सशक्तिकरण का मुद्दा भी बड़ा है. AIADMK ने कहा है कि विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में पार्टी की सरकार बनी तो परिवार की महिला मुखिया को हर महीने बतौर सहायता 1500 रुपये दिए जाएंगे. मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने हाल ही में इसकी घोषणा की. वहीं, DMK ने परिवार की महिला मुखिया को एक हजार रुपये प्रति महीना देने का वादा किया है. इन दोनों ही द्रविड़ पार्टियों ने मातृत्व अवकाश की अवधि बढ़ाकर 12 महीने करने का वादा किया है.
इसके अलावा शराबबंदी का मुद्दा भी चर्चा में है. राज्य में 1937 से 1971 तक पूर्ण शराबबंदी लागू थी, जब करुणानिधि के नेतृत्व वाली तत्कालीन DMK सरकार ने इसे हटा लिया था. AIADMK और DMK दोनों ने अपने चुनावी घोषणापत्रों में चरणबद्ध तरीके से फिर से शराब बंदी करने का आश्वासन दिया है.
AIADMK की एक सहयोगी PMK और DMK के नेतृत्व वाले फ्रंट में एक साझेदार MDMK ने शराब मुक्त तमिलनाडु सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया है. DMK ने नशामुक्ति केंद्रों का भी वादा किया है, उसकी सहयोगी कांग्रेस ने शराबबंदी के कार्यान्वयन के लिए एक विस्तृत रूपरेखा पेश की है.
वहीं, कमल हासन ने कहा है कि सत्ता में आने के बाद उनकी पार्टी की पहली प्राथमिकता ड्रग माफिया के खिलाफ लड़ाई होगी.
एक और मुद्दे की तरफ नजर दौड़ाएं तो DMK की अगुवाई वाला गठबंधन और AIADMK का गठबंधन, दोनों एक दूसरे को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरने में लगे हैं.
DMK अध्यक्ष एमके स्टालिन ने हाल ही में उनकी पार्टी पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री और BJP नेता अमित शाह पर पलटवार करते हुए कहा था कि BJP तमिलनाडु में AIADMK का समर्थन करके ‘‘भ्रष्टाचार के साथ खड़ी’’ है. शाह ने स्टालिन से पूछा था कि ‘‘2जी (स्पेक्ट्रम आवंटन) घोटाला किसने किया’’, जिसमें सांसद कनिमोई और ए राजा पर आरोपी लगे. उन्होंने कहा था कि जब ‘‘कांग्रेस ने 12 लाख करोड़ रुपये का घोटाला किया’’ उस समय DMK उस सरकार का हिस्सा थी.
इस पर स्टालिन ने BJP पर पलटवार करते हुए कहा ‘‘वे भ्रष्टाचार, कमीशन लेने और उगाही करने वाले OPS (उपमुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम) और EPS (मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी) का हाथ पकड़ते हैं. यह दर्शाता है कि वे भ्रष्टाचार के साथ खड़े हैं.’’
वहीं, पलानीस्वामी ने कहा कि DMK के 13 पूर्व मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और स्टालिन भ्रष्टाचार पर चर्चा करना चाहते हैं. इसके अलावा पलानीस्वामी ने परिवारवाद का मुद्दा उठाते हुए कहा कि वह जमीन से उठ कर आए हैं और मुख्यमंत्री बने लेकिन स्टालिन को उनका यह पद (पार्टी अध्यक्ष) उनके पिता (करुणानिधि) की वजह से मिला है क्योंकि उनके पिता प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और पार्टी के अध्यक्ष थे.
तमिलनाडु में अपनी रैली के दौरान पीएम मोदी उसके लिए किए गए अपनी सरकार के काम गिनाकर विकास का मुद्दा भी उठा चुके हैं. 25 फरवरी की रैली में उन्होंने कहा कि राज्य के लिए PMAY के तहत 12 लाख से ज्यादा घरों की मंजूरी दी जा चुकी है, 40 लाख से ज्यादा ग्रामीण परिवारों को टैप वॉटर कनेक्शन मिलने के साथ, राज्य को जल जीवन मिशन से भी फायदा हुआ है.
इस चुनाव में रोजगार के मुद्दे पर भी बात हो रही है, जिसे लेकर DMK ने कहा है कि अगर वो सत्ता में आई तो तमिलनाडु के उद्योगों में 75 फीसदी नौकरियां स्थानीय लोगों को देने के लिए कानून बनाया जाएगा.
DMK ने मेडिकल क्षेत्र से जुड़ी प्रवेश NEET पर रोक लगाने का वादा भी किया है. इसे लेकर AIADMK का कहना है कि 2010 में जब कांग्रेस शासन ने NEET को पेश किया था तो गठबंधन सहयोगी के रूप में DMK ने उसके साथ जाने का विकल्प चुना था. वहीं कांग्रेस ने खुद का बचाव करते हुए कहा है कि NEET कानून 2016 में पास किया गया था, जब AIADMK के लोकसभा में 37 सदस्य और राज्यसभा में 13 सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान नहीं किया था. हालांकि, AIADMK कई मौकों पर NEET का विरोध कर चुकी है. तमिलनाडु में NEET की वजह से कई छात्रों के खुदकुशी करने के बाद यह बड़ा मुद्दा बन गया है.
भारी कर्ज में डूबे तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव से पहले वोटरों को लुभाने के लिए 'मुफ्त की रेवड़ियां' बांटने के वादों के सिलसिले में AIADMK और DMK के घोषणापत्रों पर वित्तीय असर के मद्देनजर बहस छिड़ हुई है.
एक बार फिर AIADMK और DMK ऐसी रेवड़ियां बांटने के वादों की रेस में हैं. AIADMK के घोषणापत्र में मतदाताओं से मुफ्त वॉशिंग मशीन, सभी के लिए घर, सौर कुकर, शिक्षा ऋण माफी, घर में बिना किसी सरकारी नौकरी वाले परिवारों को सरकारी नौकरी, सभी परिवारों को हर साल छह रसोई गैस सिलेंडर मुफ्त देने जैसे वादे किए गए हैं.
वहीं, DMK ने COVID-19 प्रभावित चावल राशनकार्ड धारकों के लिए 4000 रुपये, कई कर्जों की माफी, विद्यार्थियों को मुफ्त में डाटा कार्ड के साथ कम्प्यूटर टैबलेट देने, हिंदू मंदिरों की तीर्थ यात्रा करने जाने वालों को 25 हजार से एक लाख रुपये की सहायता देने, एलपीजी सिलिंडर पर 100 रुपये की सब्सिडी देने और भूख उन्मूलन के लिए ‘कलैगनार उनवगम’ नाम से भोजनालय खोलने जैसे वादे किए हैं.
इन वादों पर सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि नई सरकार को भारी वित्तीय घाटा विरासत में मिलेगा और उस पर विकास कार्यक्रमों और चुनावी वादों के लिए नया फंड जुटाने के बीच संतुलन कायम करने का बोझ भी होगा.
तमिलनाडु विधानसभा चुनाव 2021 को लेकर हाल ही में एबीपी न्यूज और सी-वोटर का ओपिनियन पोल सामने आया है. इसमें विधानसभा की कुल 234 सीटों में से DMK के नेतृत्व वाले गठबंधन को 161 से 169 सीटें, वहीं AIADMK की अगुवाई वाले गठबंधन को 53 से 61 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है.
वैसे तो वोटिंग होते-होते और 2 मई को नतीजे आते वक्त इस तस्वीर के बदलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है, लेकिन फिर भी नतीजों में ऐसी ही तस्वीर उभरकर सामने आई तो उसकी वजहें क्या होंगी? इसके समझने के लिए हमें उन पहलुओं को देखना होगा, जो अभी AIADMK के खिलाफ और DMK के पक्ष में दिख रहे हैं.
वहीं द्रविड़ पहचान की रक्षा पर ज्यादा जोर, दलितों और अल्पसंख्यकों के बीच मजबूत आधार, CAA पर AIADMK का 'यूटर्न' जैसे पहलू DMK को फायदा पहुंचा सकते हैं.
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