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TRF कैसे जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों और गैर-मुस्लिमों के लिए खतरा बन गया ?

केंद्र सरकार ने लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी संगठन टीआरएफ के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया है.

क्विंट हिंदी
राज्य
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<div class="paragraphs"><p>TRF कैसे जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों और गैर-मुस्लिमों के लिए खतरा बन गया ?</p></div>
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TRF कैसे जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों और गैर-मुस्लिमों के लिए खतरा बन गया ?

(प्रतीकात्मक फोटो- क्विंट हिंदी) 

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केंद्र सरकार ने लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-E-Taiba) के प्रॉक्सी संगठन टीआरएफ के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया है. गृह मंत्रालय ने द रेजिस्टेंस फ्रंट को यूएपीए यानी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत आतंकी संगठन घोषित किया है और इस पर बैन लगा दिया है. इसे जम्मू-कश्मीर में टारगेट किलिंग की घटनाओं के बाद एक बड़ा एक्शन बताया जा रहा है.

आखिर क्या है टीआरएफ और क्यों जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडितों और गैर-मुस्लिमों के लिए खतरा बन गया था ये संगठन ?

क्या है द रेजिस्टेंस फ्रंट ?

गृह मंत्रालय के मुताबिक टीआरएफ साल 2019 में अस्तित्व में आया. जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद से ही टीआरएफ की आतंकी गतिविधियां बढ़ने लगीं. केंद्रीय जांच एजेंसियों का मानना है कि टीआरएफ को तैयार करने में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और लश्कर-ए-तैयबा का हाथ है. कुछ जानकारों का मानना ये भी है कि लश्कर का भारत मे नया नाम ही टीआरएफ है. सूत्रों की माने तो पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई अपने आतंकी संगठनों का नाम इसी तरह बदलती रहती है.

पाकिस्तान की चालाकी का नमूना है टीआरएफ

टीआरएफ मूल रूप से लश्कर और कभी-कभी हिजबुल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद जैसे अन्य संगठनों के प्रॉक्सी के तौर पर काम करता है. इस संगठन का काम जैश और लश्कर जैसे आतंकी संगठनों के कमांडर ही देखते हैं.

जानकर बताते हैं कि आतंक के पोषण के लिए पाकिस्तान पर पिछले सालों में बढ़ रहे दबाव को देखते हुए लश्कर और आईएसआई ने टीआरएफ को भारत में गढ़ा. यह घाटी में आतंक के माहौल को जारी रखना चाहता है और यह बताना चाहता है कि जम्मू कश्मीर में आतंक का खात्मा अभी नहीं हुआ है.

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सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों ने बताया कि जब से जम्मू कश्मीर में 370 हटा है, तभी से इस नए आतंकी संगठन ने नाराज कश्मीरी युवाओं को आतंकी बनाना शुरू कर दिया था. वहीं कोई शक न करे इस लिए इसे गैर इस्लामिक नाम दिया गया.

कश्मीर में हिंदुओं के खिलाफ हो रही टारगेट किलिंग में सबसे ज्यादा भूमिका इसी आतंकी संगठन टीआरएफ की रही है. एक अधिकारी ने बताया कि सरकार के बैन लगाने के बाद इस संगठन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी और आतंक पर लगाम लगेगा.

कश्मीरी पंडित और गैरमुस्लिमों को बनाया निशाना

टीआरएफ को लश्कर-ए-तैयबा के हिट स्क्वाड के तौर पर भी जाना जाता है. जम्मू कश्मीर में टारगेट किलिंग की घटनाओं में पिछले कुछ समय से काफी इजाफा हुआ है. सुरक्षाबलों का मानना है कि इसके पीछे यही हिट स्क्वाड यानी द रेजिस्टेंस फ्रंट का ही हाथ है. टीआरएफ ने सबसे अधिक नेताओं और पुलिस अफसरों को अपना निशाना बनाया है. इसके अलावा इसने स्थानीय भाजपा नेताओं और पंचायत से जुड़े लोगों की भी हत्याएं की है.

टीआरएफ कश्मीरी पंडितों को जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा बनाए जा रहे कॉलोनियों में न रहने की चेतावनी भी दे चुका है. जानकारी के मुताबिक टीआरएफ ने प्रवासी सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ धमकियां जारी करने के अलावा स्थानीय अखबारों के संपादकों सहित स्थानीय पत्रकारों को भी धमकी दी है. टीआरएफ ने हाल ही में श्रीनगर जिले के शिक्षा विभाग के 56 कर्मचारियों को भी धमकी दी थी.

सोशल मीडिया के जरिए भी करता है युवाओं की भर्ती

गृह मंत्रालय के मुताबिक द रेजिस्टेंस फ्रंट आतंकवादी क्रियाकलापों को आगे बढ़ाने के लिए ऑनलाइन माध्यम ने युवाओं की भर्ती कर रहा है. गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि ये संगठन भारत के विरुद्ध आतंकवादी समूहों में सम्मिलित होने के लिए जम्मू-कश्मीर के लोगों को उकसाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर मनोवैज्ञानिक परिचालनों में संलिप्त है. वहीं शेख सज्जाद गुल इस संगठन का कमांडर है, जो पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों की घुसपैठ और हथियारों तथा मादक पदार्थों की तस्करी में भी शामिल रहा है. उसे भी सरकार ने आतंकी घोषित किया है.

गृह मंत्रालय की अधिसूचना के बाद प्रशासन प्रतिबंधित संगठन के कैडर की संपत्तियों, बैंक खातों और अन्य चल और अचल संपत्तियों को जब्त और कुर्क कर सकता है. इसके अलावा प्रशासन प्रतिबंधित संगठनों और व्यक्तियों की गतिविधियों को कुचलने के लिए विभिन्न विकल्पों की भी तलाश कर रहा है.

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