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देवरिया हत्याकांड: नेताओं की स्पीच में ब्राह्मण Vs यादव का रंग, लेकिन FIR कॉपी में अलग कहानी

Deoria Murder Case दो अलग-अलग जातियों से जुड़े होने के कारण अब राजनीतिक रंग ले चुका है.

पीयूष राय
राज्य
Published:
<div class="paragraphs"><p>देवरिया हत्याकांड: जातीय रंजिश का राजनीतिक रंग लेकिन मर्डर की वजह कुछ और ही आई सामने</p></div>
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देवरिया हत्याकांड: जातीय रंजिश का राजनीतिक रंग लेकिन मर्डर की वजह कुछ और ही आई सामने

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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उत्तर प्रदेश के देवरिया (Deoria Murder Case) जिले में 2 अक्टूबर को हुए नरसंहार में सत्य प्रकाश दुबे समेत उनके परिवार के पांच लोगों की मौत हो गई थी. इसको लेकर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन हुआ, जिसमें बीजेपी विधायक शलभ मणि त्रिपाठी पहुंचे. वहीं, दो अलग-अलग जातियों से जुड़े होने के कारण देवरिया हत्याकांड अब राजनीतिक रंग ले चुका है.

8 अक्टूबर को श्रद्धांजलि सभा में आए बीजेपी विधायक विपक्ष के आरोपों पर भड़के नजर आए. उन्होंने विपक्ष पर जुबानी हमला बोलते हुए कहा, "एसपी के गुंडे मेरे ऊपर आरोप लगाते हैं कि मैंने हत्या करवाई है. देवेश दुबे (मृतक सत्य प्रकाश दुबे का बेटा) ने हत्या करवाई. देवेश दुबे को गिरफ्तार करो. विधायक के खिलाफ जांच करो. मैं तुम्हें चुनौती देता हूं कि तुम्हारी हैसियत है तो मेरे खिलाफ एक हजार जांच करवा लो."

उन्होंने आगे एसपी पार्टी को चेतावनी देते हुए कहा...

"मैं तुम्हारी गीदड़ धमकियों से डरने वाले नहीं हूं. तुम सोशल मीडिया पर वीडियो बनाकर हम सबके खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज करने की धमकी दे सकते हो लेकिन यहां जो हजारों लोग खड़े हैं, वे तुम्हारी धमकियों को जूते तले रौंद कर निकलते हैं."
शलभ मणि त्रिपाठी, बीजेपी विधायक

सत्यप्रकाश दुबे के बेटे के साथ बीजेपी विधायक

(फोटो: क्विंट हिंदी)

SP का पलटवार- "हैसियत हो तो जरूर न्याय दिला दें"

विधायक शलभ मणि त्रिपाठी के बयान पर एसपी ने पलटवार किया. पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव ने देवरिया कांड पर बीजेपी विधायक पर सियासत करने का आरोप लगाया.

शिवपाल यादव ने ट्वीट कर लिखा...

"देवरिया कांड पर माननीय विधायक कह रहे हैं कि अगर एसपी की हैसियत है तो उनकी एक हजार जांच करा ले. विधायक जी, एसपी तो विपक्ष में है. आप सियासी रोटी सेंकना बंद कर प्रशासन की जवाबदेही और जिम्मेदारी तय करा लें और अगर पीड़ितों को निष्पक्ष न्याय दिलाने की आप में हैसियत हो तो न्याय जरूर दिला दें."

क्या है पूरा मामला?

2 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में एक बड़ी वारदात हो गई. जमीनी विवाद को लेकर दो पक्ष आमने-सामने आ गए. पहले जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद यादव की हत्या कर दी गई. आरोप है कि प्रेमचंद की हत्या के बाद गुस्साए लोगों ने सत्यनारायण दुबे, उनकी पत्नी, दो बेटियों और एक बेटे को मौत के घाट उतार दिया.

 छिड़ा 'यादव बनाम ब्राह्मण' विवाद

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर 'यादव बनाम ब्राह्मण' विवाद छिड़ गया. जातीय तनाव फैलने की आशंका को देखते हुए देवरिया पुलिस ने घटना पर कोई भी जातिगत टिप्पणी नहीं करने की अपील की. इसके साथ ही, पुलिस ने टिप्पणी करने वालों पर कानूनी कार्रवाई करने की भी बात कही.

5 अक्टूबर को प्रतापगढ़ में पत्रकारों से बातचीत करते हुए एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मामले को लेकर कहा..

"एसपी का डेलिगेशन घटनास्थल पर जाएगा और दोनों परिवारों से मिलकर जो सच है, वह आपके सामने रखेगा. सुनने में आ रहा है कि जब जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद यादव दूसरे पक्ष से मिलने गए तो पता नहीं किसने धारदार हथियार से गर्दन पर हमला कर दिया और वे वहीं पर बेहोश हो गए. दराती (एक प्रकार का हथियार) से उन पर और हमले किए गए और यह अफवाह फैल गई कि उनकी गर्दन काट कर हत्या की गई है. जब यह जानकारी प्रेमचंद के पक्ष को हुई, तब यह दूसरी घटना हुई है. अगर इस घटना का कोई दोषी है तो वह सरकार है, बीजेपी है."
अखिलेश यादव, एसपी अध्यक्ष
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जातीय रंजिश बताकर राजनीति, जांच में क्या निकला?

देवरिया हत्याकांड को लेकर खूब बवाल मचा, लेकिन जांच में हत्या के पीछे जमीन विवाद होना सामने आया. देवरिया के फतेहपुर गांव के लेहड़ा टोले के रहने वाले सत्यप्रकाश दुबे के भाई ज्ञान प्रकाश दुबे ने अपने हिस्से की 10 बीघा जमीन अभयपुर टोला निवासी प्रेमचंद यादव को बेच दी थी. इस जमीन को लेकर बहुत दिनों से विवाद चल रहा था.

इसी विवाद के दौरान घटना वाले दिन प्रेमचंद यादव सत्य प्रकाश दुबे से मिलने उनके घर गए थे. इसके बाद प्रेमचंद यादव की हत्या हो गई. हत्या से गुस्साई भीड़ ने सत्य प्रकाश यादव समेत उनके परिवार में उनकी पत्नी किरण दुबे, बेटी सलोनी, नंदनी, बेटे की नृशंस हत्या कर दी. इस घटना में घायल सत्य प्रकाश दुबे के 8 साल के बेटे का गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है.

सत्य प्रकाश दुबे के बेटे से अस्पताल में मिलते सीएम योगी

(फोटो: क्विंट हिंदी)

सत्य प्रकाश दुबे की तरफ से FIR में कौन-कौन आरोपी?

2 अक्टूबर को मृतक सत्य प्रकाश दुबे की बेटी की तरफ से दी गई तहरीर पर संगीन धाराओं में 27 नामजद और 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. इस केस में 8 आरोपी यादव जाति के हैं तो वहीं 11 आरोपी ब्राह्मण हैं.

FIR में आरोपियों के नाम

मामले को लेकर देवरिया पुलिस ने बताया कि सत्य प्रकाश दुबे के परिवार की तरफ से दर्ज मुकदमे में कार्रवाई करते हुए 20 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया गया है. 8 अक्टूबर को एक और नामजद अभियुक्त नवनाथ मिश्रा को गिरफ्तार किया गया.

इस केस में आठ आरोपी यादव जाति के हैं तो वहीं 11 आरोपी ब्राह्मण हैं.

पुलिस ने बताया कि नवनाथ मिश्रा इस घटना का मुख्य आरोपी है. देवरिया पुलिस अधीक्षक संकल्प शर्मा के अनुसार प्रेमचंद यादव का करीबी बताए जा रहे नवनाथ मिश्रा ने घटना वाले दिन तीन राउंड फायर किए थे. जिस राइफल से फायर किया गया था, उसे जब्त कर लिया गया है.

क्विंट हिंदी से बातचीत के दौरान देवरिया के पुलिस अधीक्षक संकल्प शर्मा ने बताया...

"प्रेम प्रकाश यादव की तरफ से उनके एक रिश्तेदार ने पांच नामजद लोगों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कराया. पुलिस का कहना है कि नामजद सभी पांचों आरोपियों की मौत हो चुकी है. मामले की जांच चल रही है और अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है."

किन धाराओं में FIR दर्ज

पीड़ित ब्राह्मण परिवार के समर्थन में BJP विधायक

देवरिया से बीजेपी विधायक शलभ मणि त्रिपाठी पीड़ित ब्राह्मण परिवार के समर्थन में खड़े नजर आ रहे हैं. सत्य प्रकाश दुबे के बेटे देवेश दुबे को जहां वह एक तरफ न्याय का भरोसा दिलाते दिख रहे हैं, दूसरी तरफ इस हत्याकांड को लेकर विपक्ष को भी निशाने पर ले लिया है.

कभी पत्रकार रहे शलभ मणि त्रिपाठी ने राजनीति की सीढ़ियां तेजी से चढ़ी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार रहे शलभ मणि त्रिपाठी को 2022 में देवरिया विधानसभा से बीजेपी टिकट मिला. उन्होंने पार्टी को निराश नहीं किया और यहां से जीत कर विधानसभा पहुंचे.

मृतक सत्य प्रकाश दुबे और उनके परिवार को श्रद्धांजलि देते विधायक

(फोटो: क्विंट हिंदी)

देवरिया सीट पर दावेदारी पेश कर सकते हैं शलभ मणि

जानकारों की माने तो शलभ मणि त्रिपाठी लोकसभा चुनाव में अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं. कभी कांग्रेस का गढ़ रही देवरिया लोकसभा सीट पर अब बीजेपी का परचम लहराता है. देवरिया के पहले सांसद कांग्रेस के विश्वनाथ राय थे, जिन्होंने चार बार यहां से जीत दर्ज की. हालांकि, 1991 के बाद इस सीट पर कांग्रेस की पकड़ कमजोर हो गई.

1996 में प्रकाश मणि त्रिपाठी ने इस सीट पर बीजेपी का खाता खोला. इसके अलावा 1999, 2014 और 2019 में इस सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. ब्राह्मण बाहुल्य इस सीट पर कुर्मी, यादव और अल्पसंख्यकों का भी दबदबा है.

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