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उत्तर प्रदेश के एटा में कुछ पुलिसकर्मियों पर ऐसे आरोप लगे हैं, जो पुलिसिया दबंगई की फिल्मी तस्वीर को हकीकत में बयां करते नजर आते हैं. आरोपों के मुताबिक, इन पुलिसकर्मियों से एक ढाबा मालिक ने उनके खाने के रुपये मांग लिए तो यह बात उन्हें इतनी नागवार गुजरी कि उन्होंने ढाबे से जुड़े लोगों और उसके ग्राहकों को 'झूठे केस' में फंसा दिया.
आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि ढाबा मालिक प्रवीन कुमार यादव और उनके भाई ने कॉन्स्टेबल्स से खाने के बिल का भुगतान करने को कहा था. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.
इंस्पेक्टर इंद्रेश पाल सिंह और दो हेड कॉन्स्टेबल शैलेंद्र और संतोष कुमार ने इस मामले में 12 केस दर्ज कर युवकों के खिलाफ जो 'झूठे आरोप' लगाए, उनमें हत्या की कोशिश समेत एक्साइज एक्ट, आर्म्स एक्ट, नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट की धाराओं के तहत आरोप शामिल थे.
हालांकि, अब, खुद इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 384 (जबरन वसूली), 342 (गलत तरीके से कारावास), 336 (जीवन या सुरक्षा को खतरे में डालना) और 211 (अपराध का झूठा आरोप) आदि के तहत मामला दर्ज हुआ है.
कोतवाली देहात पुलिस के मुताबिक, उसने 4 फरवरी की शाम को जसराम गांव में ढाबे पर छापा मारा, जब उसे जानकारी मिली कि कुछ अपराधी लूट की योजना बना रहे हैं. उसने दावा किया कि एक 'संक्षिप्त मुठभेड़' के बाद ढाबे से 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया और उनके कब्जे से "देशी पिस्तौल, शराब और गांजा" बरामद किए गए.
वहीं यादव का कहना है, ''4 फरवरी दोपहर को, दो हेड कॉन्स्टेबल मोटरसाइकिल पर हमारे ढाबे पर आए और उन्होंने लंच किया. फिर, उन्होंने 450 रुपये के बिल में से सिर्फ 100 रुपये दिए. जब मैंने उनसे बिल की राशि का भुगतान करने के लिए कहा, तो उन्होंने मुझे गाली देना शुरू कर दिया और फिर चले गए. जल्द ही, तीन जीपों में पुलिसकर्मियों का एक ग्रुप आया और मुझे और ग्राहकों सहित ढाबे में मौजूद सभी लोगों को स्टेशन ले गया. उन्होंने हम सभी की पिटाई की. लेकिन उन्होंने मुझे यह कहते हुए जाने दिया - इस लंगड़े के चक्कर में एनकाउंटर फर्जी लगेगा.''
यादव ने बताया, ''रिहा होने के बाद, मैंने वरिष्ठ अधिकारियों को कई लेटर लिखे लेकिन किसी ने उन पर ध्यान नहीं दिया. एक हफ्ते पहले, मैंने एक अन्य मामले में SHO के निलंबन के बारे में पढ़ा और फिर से मदद के लिए वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क किया. आखिर में, एटा जिला मजिस्ट्रेट विभा चहल ने जांच के आदेश दिए.''
मामले को लेकर SP राहुल कुमार ने बताया, “पूछताछ के दौरान, मैंने ढाबे के पास खेतों में काम करने वाले कई लोगों से बात की. तथाकथित मुठभेड़ में किसी ने गोलियों की आवाज नहीं सुनी. ”
ढाबे से गिरफ्तार किए गए 10 लोगों में यादव के बड़े भाई पुष्पेंद्र यादव (34), परिवार के सदस्य दीपक यादव (24) और आठ अन्य शामिल थे, जिनमें पूर्वी चंपारण निवासी राहुल कुमार सिंह और उनके तीन दोस्त भी शामिल थे, जो पुलिस के आने के वक्त खाना खा रहे थे. सिंह को जमानत मिल चुकी है, जबकि उनके दोस्त अभी भी जेल में हैं.
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