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Meerut: भू-माफिया से आहत दलित की खुदकुशी से गई थी जान, 3 साल बाद दर्ज हुई FIR

Meerut: मरने से पहले कमल सिंह ने बयान में कहा था, पैसा देने के बजाय अखिलेश गोयल आत्महत्या के लिए उकसाते रहे.

क्विंट हिंदी
राज्य
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<div class="paragraphs"><p>कमल सिंह </p></div>
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कमल सिंह

(फोटोः क्विंट हिंदी)

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यूपी (UP) के मेरठ (Meerut) में दलित कमल सिंह ने 21 जुलाई, 2019 की सुसाइड के चलते मौत हो गई थी. इस मामले में एक भू-माफिया और BJP नेता सहित तीन आरोपियों पर कमल सिंह को सुसाइड के लिए उकसाने का आरोप लगा था. वहीं परिजन 3 साल तक आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कराने के लिए पुलिस अफसरों की चौखट पर भटकते रहे, लेकिन इन आरोपियों के खिलाफ उनकी गुहार किसी अफसर ने नहीं सुनी. हालांकि अब 3 साल बाद मेरठ जोन के अपर पुलिस महानिदेशक राजीव सभरवाल के आदेश पर इस मामले की जांच हुई और इन आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है.

वहीं केस में नामजद बीजेपी नेता की पैरोकारी में अब बीजेपी और व्यापार संघ के नेता पुलिस अफसरों की चौखट पर हैं.

कौन थे दलित कमल सिंह?

दरअसल, मेरठ के नगला तांशी गांव के निवासी दलित कमल सिंह रेलवे के रिटायर्ड बेल्डर थे. उनके पास पुरखों की 3 बीघा जमीन थी जो गांव के आसपास विकसित हो रही नई कॉलोनियों के दायरे में आ गई थी. इधर, मेरठ में अवैध कॉलोनियां खड़ी करने वाले माफिया अखिलेश गोयल ने कमल सिंह से उनकी जमीन का सौदा करके जमीन खरीद ली.

आरोप है कि जो पैसा अखिलेश गोयल ने कमल सिंह से तय किया था वह उन्हें नहीं दिया गया. कमल सिंह दो-तीन साल तक पैसा मिलने का इंतजार करते रहे. लेकिन उन्हें वह पैसा नहीं मिला.

माफिया के खिलाफ ढाल बना बीजेपी नेता का रसूख

जहर खाने के बाद तबीयत बिगड़ने पर कमल सिंह को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन उन्होंने दम तोड़ दिया. हालांकि मरने से पहले कमल सिंह ने अस्पताल में एक वीडियो बयान दर्ज कराया था.

वीडियो में उन्होंने बताया था कि अखिलेश गोयल और सचिन गोयल उनकी जमीन का पैसा नहीं दे रहे थे और दोनों ने ही उन्हें खुदकुशी के लिए उकसाया था, जिसके बाद उन्होंने जहर खा लिया. कमल सिंह की मौत के बाद उनके परिजन उनके मृत्यु पूर्व बयान का वीडियो लेकर पुलिस अफसरों की चौखट पर भटकते रहे.

जब परिवार वाले थाने गए तो अखिलेश गोयल के साझेदार बीजेपी नेता नीरज मित्तल ने उनका मुकदमा दर्ज नहीं होने दिया. मेरठ में भी किसी पुलिस अफसर ने उनकी फरियाद नहीं सुनी. वहीं, आरोप है कि पुलिस का यह रवैया बीजेपी नेता नीरज मित्तल के पुलिस पर दबाव के चलते था.

तीन साल बाद दर्ज हुआ मामला

करीब 4 महीने पहले एक सरकारी जमीन के घोटाले में अखिलेश गोयल को जेल जाना पड़ा. कमल सिंह के परिवार को लगा कि शायद पुलिस अब उनकी फरियाद सुन लेगी, इसलिए वह तहरीर और कमल सिंह का मृत्यु पूर्व बयान लेकर मेरठ जोन के एडीजी राजीव सभरवाल के सामने फरियाद करने पहुंच गए. जिसके बाद एडीजी राजीव सभरवाल ने इस मामले में राजपत्रित अधिकारी से जांच कराई, जिसमें मृत्यु पूर्व बयान को तथ्यों से जोड़ा गया तो मामला सच निकला.

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जांच रिपोर्ट के आधार पर मेरठ के कंकरखेड़ा थाने में अखिलेश गोयल और उनके साले सचिन गोयल और नीरज मित्तल के खिलाफ आईपीसी की धारा 306/ 504 /506 एवं एससी एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.

इस केस की वादी अमरेश देवी ने बताया कि-

अपने ससुर के साथ हुई ज्यादती के मामले में उन्होंने महीनों पुलिस की चौखट पर फरियाद की, लेकिन बीजेपी नेता नीरज मित्तल और अखिलेश गोयल की वजह से उनकी सुनवाई नहीं हुई. तीन साल बाद केस दर्ज होने से हमें इंसाफ की उम्मीद लगी है.
अमरेश देवी, कमल सिंह की बहू

केस दर्ज होते ही एसएसपी के सामने पहुंचा आरोपी

वहीं इस केस में नीरज मित्तल का नाम आने के बाद मेरठ के कई बीजेपी नेता आरोपी नीरज मित्तल के साथ खड़े दिखाई दिए. गुरुवार को आरोपी नीरज मित्तल के साथ बीजेपी के कई नेता एसएसपी मेरठ से मिले और 3 साल बाद दर्ज हुए केस पर आपत्ति जताई. हालांकि एसएसपी रोहित सिंह सजवान ने कहा कि इस मामले में निष्पक्ष तरीके से जांच की जाएगी.

रसूखदार आरोपियों से है जान का खतरा

फिलहाल अखिलेश गोयल जमीन घोटाले के मामले में जेल में है, लेकिन पुलिस ने अभी तक नीरज मित्तल और सचिन गोयल की गिरफ्तारी नहीं की है. केस की वादी अमरेश देवी पुलिस के रवैए को लेकर चिंतित है.

हमें धमकियां मिल रही है. मुझे और परिवार की जान का खतरा बना हुआ है. आरोपी रसूखदार है और कुछ भी कर सकते हैं.
अमरेश देवी

अमरेश ने पुलिस से आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की है. बता दें कि अमरेश के पति की मृत्यु कई बरस पहले हो चुकी है और वह अपने दो छोटे बच्चों के साथ रहती है.

कौन हैं नीरज मित्तल और अखिलेश गोयल

नीरज मित्तल कुछ साल पहले तक फर्नीचर व्यवसाई थे. वहीं शहर बीजेपी युवा मोर्चा में भी महामंत्री रहे हैं और बीजेपी में सक्रियता के साथ, वह व्यापार संघ के पदाधिकारी भी हैं. इसके अलावा नीरज मित्तल साल 2022 विधानसभा में कैंट सीट से बीजेपी के टिकट के दावेदार भी रहे हैं.

दरअसल, हाल ही में मेरठ विकास प्राधिकरण ने 366 अवैध कॉलोनियों की सूची अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक की है. इस सूची के अनुसार, नीरज मित्तल की कई अवैध कॉलोनियां है. उनके कई रिश्तेदार भी इस अवैध कॉलोनी निर्माण के धंधे में हैं और इन लोगों ने अखिलेश गोयल के साथ मिलकर कई अवैध कॉलोनियों में भी निवेश किया है. इसके अलावा कंकरखेड़ा इलाके में नीरज मित्तल और अखिलेश गोयल का इस अवैध कारोबार में वर्चस्व माना जाता है.

कुछ महीनों पहले पुलिस ने सरकारी जमीन घोटाले मामले में भू-माफिया अखिलेश गोयल और सचिन गोयल के खिलाफ केस दर्ज किया था और उन्हें जेल भेजा है. फिलहाल अखिलेश गोयल जेल की सलाखों के पीछे है.

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