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Meerut: 20 साल से बिस्तर पर लाचार पड़ी अलीशा कैसे बनीं यूपी पुलिस की गैंगस्टर?

अलीशा पिछले 20 साल से ज्यादा वक्त से अपने घर की निचली मंजिल के सबसे आखिरी कमरे में रहती है.

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भारत
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बेहतर कानून-व्यवस्था का पैमाना एनकाउंटर, गुंडा एक्ट और गैंगस्टर जैसी कार्रवाईयां हैं. सरकार की नजरों में नंबर बढ़ाने की अंधी दौड़ में पुलिस अमानवीयता की हदें पार कर रही है. ऐसी ही एक घटना मेरठ में हुई, जहां सालोें से बिस्तर पर पड़ी बीमार महिला को गैंगस्टर एक्ट के केस में नामजद कर दिया गया.

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महिला के खिलाफ इससे पहले दस्तावेजों को तैयार करके धोखाधड़ी करने का केस भी दर्ज कराया गया था. बाद में पुलिस ने इस केस से गंभीर धाराऐं हटा दी.

मेरठ के देहली गेट थाने में 14 दिसंबर 2022 को उत्तर प्रदेश गिरोहबंद समाज विरोधी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम-1986 की धारा 2 और 3 के अन्तर्गत मुकदमा अपराध संख्या 253 दर्ज किया गया है. थाने के प्रभारी निरीक्षक ऋषिपाल सिंह ने एक महिला समेत 6 लोगों को इस केस का आरोपी बनाया है. महिला का नाम अलीशा है, जिनकी उम्र 54 साल है. अलीशा बागपत के बरनावा कस्बे की निवासी है. यह कस्बा मेरठ-बागपत की सीमा पर है.

20 साल से बीमारी से जूझ रही हैं अलीशा

अलीशा पिछले 20 साल से ज्यादा वक्त से अपने घर की निचली मंजिल के सबसे आखिरी कमरे में रहती है. अलीशा गैंगरीन जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है, जिसकी वजह से उनके पूरे शरीर पर जख्म बनते और खत्म होते रहते है. बीमारी के दौरान उनके शरीर का वजन बढ़ना शुरू हुआ और अब यह 140 किलोग्राम तक पहुंच चुका है. उनकी आंखों में मोतियाबिंद की शिकायत हुई तो घरवालों ने उनका ऑपरेशन कराया, लेकिन अब ऑपरेशन के बाद उनकी एक आंख की रोशनी ही खत्म हो चुकी है. उन्हें फेफड़ों का संक्रमण है और हृदयरोग भी. अपनी बीमारी के चलते वह अब चलने-फिरने से लाचार हैं. उन्हें दैनिक क्रियाओं के लिए दो-तीन मजबूत लोगो की जरूरत होती है, जो उन्हें अपने हाथों पर उठाकर टॉयलेट तक ले जाते है.

बीते 20 सालों से उन्होंने डॉक्टर के क्लीनिक के अलावा ना किसी का घर देखा है और ना किसी का आफिस है. उन्हें नही मालूम कि वह गैंगस्टर कैसे बन गयी. चंद दिनों पहले मेरठ के लिसाड़ीगेट थाने से कुछ पुलिस वाले आये थे, जिन्होने एक कागज दिया और बताया कि वह अब गैंगस्टर बन चुकी है.

उन्हें बयान दर्ज करवाने के लिए थाने से बुलावा आया था. उनकी सम्पत्ति का ब्यौरा बागपत पुलिस से भी मांगा गया है.

अलीशा रोते हुए कहती हैं कि मैं तो अल्लाह के बुलावे के इंतजार में बरसों से बैठी हूं. अब कानून की लाठी पड़ी है. मैं मौत मांग रही थी लेकिन यहां तो फांसी देकर अधमरा कर दिया गया.

अलीशा के पति हनीफ भी इसी केस के मुजरिम हैं. दरअसल, पुलिस के अत्याचार का मुख्य निशाना हनीफ ही थे.
मेरठ के कांग्रेस नेता नसीम कुरैशी ने 7 नवंबर 2021 में उनके परिवार और दो दोस्तों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया था. उन्हें इसके बारे में तब पता चला जब पुलिस घर से उनके बेटे को गिरफ्तार करके ले गयी और उसे जेल भेज दिया. उनके एक दोस्त को भी जेल भेजा गया था. आईजी मेरठ से शिकायत के बाद हुई जांच में आरोपों के सबूत नही मिले तो पुलिस ने केस की धाराऐं 467,468 और 471 हटा दी. इस केस में ये धाराऐं सात साल से अधिक सजा वाली थी. अब बाकी बची धाराओं में चार्जशीट दाखिल कर दी गयी है.
हनीफ, अलीशा के पति

हनीफ इस चार्जशीट के खिलाफ हाईकोर्ट गये थे. 16 नवंबर 2022 को हाईकोर्ट ने इस केस की प्रोसेडिंग स्टे कर दी. एडीजी मेरठ ने भी जांच शुरू कराई हुई थी, लेकिन इसी दौरान एसएसपी के आदेश पर सभी आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर की फाइल तैयार करके इसे 13 दिसंबर 2022 को अप्रूवल दे दिया गया. 14 दिसंबर 2022 को देहलीगेट थाने में गैंगस्टर का केस दर्ज करवा दिया गया.

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हनीफ के मुताबिक मामला साढ़े 22 लाख रूपये के लेनदेन का था, जिसके भुगतान के लिए नसीम कुरैशी ने उन्हें चेक दिए थे. चेक बाउंस हो गये तो नसीम के खिलाफ केस दर्ज करवा दिया. इसके बाद उनके ऊपर दो बार हमले हुए. दोनो केस दर्ज हैं. हनीफ कहते हैं कि नसीम ने इसी का बदला लेने के लिए हमें फर्जी केस में फंसा दिया है.

अलीशा और उनके परिवार के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कराने वाले कांग्रेस नेता नसीम कुरैशी कहते हैं कि

पुलिस ने धाराऐं हटा दी हैं लेकिन कोर्ट से वह इन धाराओं को फिर से केस में जुड़वाएंगें. हनीफ ने उनके साथ धोखाधड़ी की है और पूरा परिवार इसमें शामिल है. अपने ऊपर राजनीतिक रसूख के इस्तेमाल के आरोप को खारिज करते हुए नसीम कुरैशी ने बताया कि ये आरोप बेबुनियाद है.

इस मामले की जांच करने वाले सीनियर पुलिस अधिकारी नाम ना छापने की शर्त पर कहते हैं कि नसीम कुरैशी केस की तहरीर के साथ दिए गए नोटेरी अटैस्टिट एग्रीमेंट की फोटोकॉपी का ऑरजिनिल दस्तावेज प्रस्तुत नही कर पाए. इसी के आधार पर सीओ की जांच के बाद केस दर्ज किया गया था. केस में कई और भी पेंच है. इसलिए मामला संदिग्ध लग रहा है, जांच रिपोर्ट सीनियर पुलिस अधीक्षक को भेजी गयी है.

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मेरठ के एडीजी राजीव सभरवाल ने बताया कि मामला संज्ञान में आने के बाद हाईकोर्ट के प्रोसीडिंग स्टे के आधार पर फिलहाल गैंगस्टर की प्रक्रिया रोकी गयी है. मामले की जांच करने के लिए एसएसपी को निर्देशित किया गया है. अगर कोई चूक रही है तो जांच के बाद जरूर कार्रवाई होगी. एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने इस मामले में एडीजी की जांच के आदेश और केस की जानकारी होने से इंकार किया है.

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