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कोरोना महामारी के बीच पंचायत चुनाव हुए. चुनाव की ऐसी-ऐसी तस्वीरें सामने आईं जिसमें कोविड प्रोटोकॉल की खुलकर धज्जियां उड़ती दिखीं. अलग-अलग जिलों से चुनाव ड्यूटी में लगे शिक्षकों की मौत की रिपोर्ट्स आईं और अब सरकार ने बताया है कि चुनाव के दौरान सिर्फ तीन सरकारी शिक्षकों ने कोविड के कारण दम तोड़ा.
ये दावा उस दावे को पूरी तरह से झुठला रहा है, जिसमें यूपी के शिक्षक संगठन जैसे प्राथमिक शिक्षक संघ, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ सैंकड़ों शिक्षकों और कर्मचारियों की मौत का दावा कर रहे हैं. प्राथमिक शिक्षक संघ के मुताबिक, 1621 शिक्षकों की मौत इन चुनाव में ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमित होने की वजह से हुई. राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का आंकड़ा भी 1400 के करीब है.
यहां तक की अलग-अलग जिलों के कुछ बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने जो लिस्ट बनाई थी उनका भी आंकड़ा सरकार के आंकड़ों के कई गुना है लेकिन राज्य सरकार के मंत्री सतीश द्विवेदी कहते हैं कि सिर्फ 3 शिक्षकों की मौत चुनाव ड्यूटी में हुई है, दूसरे शिक्षकों दूसरों की तरह कोविड-19 का शिकार हो गए होंगे.
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद शर्मा कहते हैं कि सरकार ने मौत का आंकड़ा जोड़ने में अपना ही तर्क लगा रही है, कोविड से मौत को जोड़ने में खामियां हैं.
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रदेश संयुक्त मंत्री शशांक कुमार पांडेय कहते हैं कि सरकार जो है वो चुनाव के दिन गिनकर मौत की बात कर रही है. कोरोना वायरस से सिर्फ एक दिन में ही मौत नहीं हो जाती है, इंफेक्शन के बाद मौत होती है.
शशांक कुमार पांडेय ये भी कहते हैं सरकार शिक्षकों की तो छोड़ दीजिए, बेसिक शिक्षा अधिकारियों के आंकड़ों को भी नहीं मानना चाह रही. कई जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने खुद डेटा जारी किया है, तीन-चार जिलों के डेटा ही मिला लिए जाए तो वो 100 से ऊपर के हो जाएंगे. लेकिन सरकार बेसिक शिक्षा अधिकारियों के डेटा को भी लगता है मानना नहीं चाहती.
शिक्षा विभाग की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि राज्य निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन के मुताबिक, मतदान/मतगणना संबंधी प्रशिक्षण और मतदान/मतगणना कार्य के लिए कर्मचारी के निवास स्थान से ड्यूटी स्थल तक पहुंचने और ड्यूटी खत्म होने के बाद निवास स्थान तक पहुंचने के समय को चुनावी ड्यूटी माना गया है. इस दौरान शिक्षक की किसी भी कारण मृत्यु होने पर परिजन अनुदान राशि के लिए योग्य हैं. शिक्षा विभाग ने बताया कि इन गाइडलाइंस को ध्यान में रखते हुए, राज्य निर्वाचन से उसे केवल 3 शिक्षकों की मौत की जानकारी प्राप्त हुई है
अब दोनों ही शिक्षक संगठनों का कहना है कि जब तक राज्य सरकार कर्मचारियों को इंसाफ नहीं देती, ये आंदोलन जारी रहेगा. डॉ दिनेश चंद्र शर्मा का कहना है कि हम अपने लोगों को हक दिलाने के लिए हम पूरी लड़ाई लड़ेंगे और आखिर तक लड़ेंगे.
शशांक कुमार पांडेय कहते हैं कि सरकार अगर नहीं मानती तो इसे कोर्ट में चुनौती दी जाएगी. महासंघ कोर्ट जाएघा और सरकार के खिलाफ आंदोलन की रणनीति अपनाई जाएगी. कोरोना के बीच हम पुरानी सावधानियों के साथ आंदोलन के लिए मजबूर होंगे.
बता दें कि यूपी के कई जिलों के ऐसे परिवारों से क्विंट हिंदी ने बातचीत की थी, जिन्होंने अपने पति, पत्नी या दूसरे रिश्तेदारों को खोया है. श्रावस्ती के शंशाक की गर्भवती पत्नी शिक्षक थीं, उनकी मौत हो गई और शशांक इन चुनाव में ड्यूटी लगने को ही वजह बता रहे हैं, वहीं गोंडा की इंद्रावती देवी ने अपने पति को खोया है वो कहती हैं- ‘इलेक्सन ड्यूटिया खा गईल’
ये रिपोर्ट आप यहां पढ़ सकते हैं-
UP पंचायत चुनाव: ‘कोविड से शिक्षा विभाग में 135 मौत’-3 केस स्टडी
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