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Haridwar Violence: हनुमान जयंती पर हुए सांप्रदायिक संघर्ष में 11 लोग गिरफ्तार

Haridwar Violence: पुलिस ने इस मामले में 13 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है

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<div class="paragraphs"><p>हरिद्वार हिंसा मामले में अबतक 11लोग गिरफ्तार</p></div>
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हरिद्वार हिंसा मामले में अबतक 11लोग गिरफ्तार

(फोटो-ट्विटर)

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उत्तराखंड (Uttarakhand) के हरिद्वार में शनिवार को हनुमान जयंती के मौके पर हुई कथित पथराव (Haridwar Violence) की घटना के सिलसिले में पुलिस ने सोमवार, 18 अप्रैल को 13 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर 11 को गिरफ्तार कर लिया है. SSP योगेंद्र सिंह रावत ने बताया कि मामले में 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. गांव में पर्याप्त पुलिस बल मौजूद है. लोगों के साथ बैठक की जा रही है. फिलहाल स्थिति शांतिपूर्ण है.

हनुमान जयंती पर हुई थी हिंसा

SSP ने जनाकारी देते हुए आगे बताया कि हरिद्वार के भगवानपुर क्षेत्र के डंडा जलालपुर गांव में कुछ लोगों द्वारा सांप्रदायिक सद्भाव को खतरे में डालने के बाद स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए शनिवार को पुलिस को तैनात किया गया था.

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, गढ़वाल (रेंज) के DIG करण सिंह नागन्याल ने कहा कि पथराव की घटना कथित तौर पर उस समय हुई जब हनुमान जयंती के अवसर पर एक जुलूस गांव के मुस्लिम बहुल इलाके को पार कर रहा था. इसके बाद हुई हिंसा में कई लोग घायल हो गए.

इलाके में बढ़ाई गई सुरक्षा

पथराव की घटना के बाद डंडा जलालपुर गांव में सुरक्षा बढ़ा दी गई थी. 60 पुलिसकर्मियों को इलाके में तैनात किया है. रविवार को SSP ने बताया कि इस घटना में कई लोगों के घायल होने की सूचना है लेकिन कोई पुलिस कर्मी घायल नहीं हुआ है."

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 153A (धर्म, जाति आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 195A (किसी भी व्यक्ति को झूठे सबूत देने की धमकी देना), 147 (दंगा करना) और 148 (दंगा और घातक हथियार से लैस) के तहत केस दर्ज किए हैं.

हिंदू रक्षा वाहिनी ने दी थी चेतावनी

इस बीच, हिंदू रक्षा वाहिनी (HRV) के नेता ने रविवार को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर दो दिनों के भीतर जांच नहीं की गई और हरिद्वार के डंडा जलालपुर गांव में मुसलमानों के घर नहीं गिराए गए, तो हम क्षेत्र में एक धर्म संसद का आयोजन करेंगे. हम अब चुप नहीं रहेंगे.

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पुलिस ने इस बात से इनकार किया है कि वो बुलडोजर के साथ गांव गए थे और आरोपियों को आत्मसमर्पण करने के लिए कहा था. वहीं सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा था कि बुलडोजर खड़े कर पुलिस आरोपियों को धमका रही थी.

देश के कई हिस्सों में 16 अप्रैल को हनुमान जयंती और 10 अप्रैल को रामनवमी के अवसर पर सांप्रदायिक झड़पों की कई घटनाएं हुईं. सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर इन घटनाओं की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से कराने की मांग की गई है.

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Published: 19 Apr 2022,08:17 AM IST

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