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Jahangirpuri Clash: हनुमान जयंती की शोभा यात्रा हिंसा और नफरत में कैसे बदल गई?

पुरुषों का समूह हनुमान जयंती के अवसर पर आयोजित शोभा यात्रा का हिस्सा था.

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शनिवार, 16 अप्रैल की शाम, साजिद सैफी अपनी इलेक्ट्रॉनिक दुकान में काम खत्म कर रहे थे, जो कि जहांगीरपुरी (Jahangirpuri) की जामा मस्जिद के ठीक बगल में है.

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शाम के करीब 6 बज रहे थे. मस्जिद मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के साथ खचाखच भरी थी. समुदाय के लोग करीब 40 मिनट में अपना रोजा खोलने और शाम की नमाज के लिए बैठने का इंतजार कर रहे थे. तभी साजिद का दावा है कि उसने 300-400 आदमियों के एक समूह को हाथों में तलवारें और अन्य हथियार लिए हुए, जय श्री राम के नारे लगाते हुए देखा.

पुरुषों का समूह हनुमान जयंती के अवसर पर आयोजित शोभा यात्रा का हिस्सा था. लेकिन जैसे ही भीड़ मस्जिद के करीब आई, साजिद को डर था कि दिल्ली को उन क्षेत्रों की सूची में जोड़ा जा सकता है, जहां हाल ही में धार्मिक जुलूसों के दौरान बड़ी झड़पें हुई थीं.

साजिद का दावा है कि भीड़ ने 'जिसको इस देश में रहना होगा, जय श्री राम कहना होगा' के नारे लगाए. भीड़ ने तब मस्जिद पर झंडा फहराने का प्रयास किया, लेकिन परिसर में मौजूद लोगों ने रोक दिया, जिसके बाद झंडे अंदर गिर गए.

जब 17 अप्रैल रविवार की सुबह द क्विंट ने जहांगीरपुरी का दौरा किया, तब भी मस्जिद के अंदर झंडे देखे जा सकते थे.

उन्होंने कहा कि यह अस्वीकार्य था. इसलिए निश्चित रूप से, मस्जिद के अंदर से लोगों की प्रतिक्रिया होगी. इस तरह झड़प हुई. यह केवल नारेबाजी नहीं थी, बल्कि भगवा झंडे के साथ मस्जिद में प्रवेश करने का प्रयास था. ये दावा उन्होंने किया.

इसके बाद ये संघर्ष G और H (हिंदू-बहुमत वाले इलाके) से C-ब्लॉक (मुस्लिम बहुसंख्यक) के ब्लॉक के बीच जहांगीरपुरी के पूरे हिस्से में फैल गया. इसके बाद हुई हिंसा में कुल 9 लोग घायल हो गए. इसमें 8 पुलिसकर्मी और एक नागरिक शामिल हैं.

इस मामले में अब तक प्राथमिकी में कुल 20 लोगों को नामजद किया गया है और गिरफ्तार किया गया है. इनमें से 15 मुसलमान और पांच हिंदू हैं. दो नाबालिगों को भी पकड़ा गया है. डीसीपी नॉर्थ-वेस्ट, उषा रंगानी के अनुसार, आरोपी व्यक्तियों के पास से तीन हथियार और पांच तलवारें बरामद की गई हैं.

रंगानी ने पहले कहा था कि 8 पुलिसकर्मियों और एक नागरिक सहित 9 लोग घायल हुए हैं और उनका एक अस्पताल में इलाज चल रहा है.

'हां, हमारे पास तलवारें थीं...लेकिन सिर्फ मजे के लिए'

द क्विंट ने शोभा यात्रा जुलूस में शामिल हिंदू समुदाय के कई सदस्यों से भी बात की.

राकेश ने दावा किया कि हमारा रास्ता तय था, हमें भी इस रास्ते के लिए प्रशासन से अनुमति मिली थी. लेकिन, जब हमारा जुलूस मस्जिद के पास से गुजरा, तो मस्जिद के ऊपर से कुछ लोगों ने हम पर पथराव करना शुरू कर दिया. उनके पास पत्थरों से भरे बैग थे. जहांगीरपुरी G ब्लॉक में रहने वाला चालक साहू जुलूस का हिस्सा था.

जुलूस के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिसमें लोग तलवार और लाठियां लहरा रहे हैं. राउंड कर रहे सभी वीडियो को क्विंट स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं कर सका. लेकिन जुलूस में शामिल कई लोगों ने पुष्टि की कि उनके पास वास्तव में तलवारें और लाठियां थीं.
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साहू ने कहा कि हमारे पास लाठी थी जो हनुमान जी के झंडे को पकड़ने के लिए इस्तेमाल की जाती है. हममें से कुछ के पास तलवारें भी थीं, हां, लेकिन हमारा इरादा हमला करने या चोट पहुंचाने का नहीं था.

यह पूछे जाने पर कि वे तलवारें क्यों रखते हैं, साहू ने कहा कि तलवारें सिर्फ दिखाने के लिए थीं. हम खुद का आनंद ले रहे थे, डीजे के साथ गाने बजा रहे थे, हम नाच रहे थे और बस मस्ती कर रहे थे. तलवार हमला करने के लिए नहीं थी, यह सिर्फ मनोरंजन के लिए थी.

हालांकि, जुलूस के सदस्यों ने इस बात से इनकार किया कि मस्जिद में प्रवेश करने का प्रयास किया गया था. जुलूस के एक अन्य सदस्य हितेश कुमार ने कहा कि हममें से किसी ने भी मस्जिद में प्रवेश करने या झंडा फहराने की कोशिश नहीं की, हम नहीं जानते कि मस्जिद के अंदर ये झंडे कहां से आए हैं.

हालांकि, हिंदू समुदाय के कुछ लोग थे जो तलवारों पर जुलूस और मस्जिद के सामने नारेबाजी की आलोचना कर रहे थे.

जहांगीरपुरी के एक 52 साल के दुकानदार पीएस डांगे ने कहा कि मस्जिद के सामने मार्ग, और फिर वहां भड़काऊ नारेबाजी की. यह सही नहीं है. हम यहां लंबे समय से शांति से रहे हैं. लेकिन जहांगीरपुरी एक संवेदनशील क्षेत्र है, इसलिए हमें सावधान रहना होगा. मुझे समझ में नहीं आता कि शोभा यात्रा को अपने साथ तलवारें और हथियार ले जाने की आवश्यकता क्यों थी. या उन्होंने केवल क्यों चुना.

पुलिस की मौजूदगी में डर और नारेबाजी

हालांकि, स्थिति को शांत करने के लिए जहांगीरपुरी के पूरे इलाके में भारी पुलिस बल तैनात था, लेकिन लोगों में दहशत कायम थी.

ऐसा इसलिए हो सकता है, क्योंकि पुलिस की मौजूदगी के बावजूद, बीजेपी नेताओं ने मस्जिद के ठीक सामने नारेबाजी की, जो एक दिन पहले संघर्ष का केंद्र था. बीजेपी के मंदिर प्रकोष्ट प्रमुख करनैल सिंह ने रविवार दोपहर मस्जिद के सामने 'जिसको इस देश में रहना होगा, जय श्री राम कहना होगा' के नारे लगाए.

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