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कानपुर में डीएसपी समेत 8 पुलिस वालों की हत्या करने वाले विकास दुबे एनकाउंटर में मारा गया है. 3 जुलाई को पुलिस की टीम कुख्यात बदमाश विकास दुबे की तलाश में गई थी, तभी दुबे और उसके गुर्गों ने पुलिस पार्टी पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी थी. आखिर कौन था विकास दुबे, जिसने यूपी पुलिस को इस तरह से खुली चुनौती दी .
विकास दुबे पर 2001 में राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या का आरोप है. इस जघन्य हत्याकांड को कानपुर में थाने के समाने ही अंजाम दिया गया था. इस हत्याकांड के 16 साल बाद विकास को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के वक्त लखनऊ के कृष्णानगर क्षेत्र में विकास अपनी बुआ के मकान में छिपकर रह रहा था.
लेकिन पिछले साल उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया. बाहर निकलते ही विकास ने फिर से आतंक मचाना शुरू किया. 2019 अगस्त में पुलिस ने उसे सड़क टेंडर को लेकर धमकी देने के आरोप में हिरासत में लिया था.
विकास प्रधान और जिला पंचायत सदस्य भी रह चुका है. चौबेपुर थानाक्षेत्र के बिकरू निवासी विकास दुबे को कानपुर पुलिस ने 2017 में शिवराजपुर थाने में दर्ज कराए गए जानलेवा हमले सहित अन्य धाराओं के मुकदमे में भी तलाश कर रही थी.
विकास के बारे में कहा जाता है कि वो जेल के अंदर रहकर भी हत्या की साजिश रचता रहा है. इन हत्याओं में एक अपने चचेरे भाई अनुराग की हत्या का भी मामला है. इसके खौफ का आलम ये रहा कि ये जेल में रहने के दौरान शिवराजपुर से नगर पंचायत चुनाव जीत चुका है. प्रधान रह चुका है. कहा जाता है कि विकास की पहुंच राज्य की हर पार्टी में है.
ये भी गौर करने वाली बात है कि इतने कुख्यात बदमाश जिसके अपराध का इतना लंबा इतिहास है उसपर सिर्फ 25000 रुपए का इनाम था.
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