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SC ने छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका खारिज की,कहा- उच्च पदस्थ अधिकारी भी जमानत के हकदार

Chhattisgarh Govt के वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि जेल प्रहरी को रिश्वत दी गई थी.

IANS
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<div class="paragraphs"><p>SC ने छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका खारिज की,कहा- उच्च पदस्थ अधिकारी भी जमानत के हकदार</p></div>
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SC ने छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका खारिज की,कहा- उच्च पदस्थ अधिकारी भी जमानत के हकदार

(फोटो- आईएएनएस)

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(आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत निलंबित अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गुरजिंदर पाल सिंह को मिली जमानत को चुनौती देने वाली छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका मंगलवार को खारिज कर दी।

न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और हिमा कोहली की पीठ ने पाया कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख करना राज्य की ओर से पूरी तरह से अनुचित अभ्यास के अलावा और कुछ नहीं है।

छत्तीसगढ़ सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि जेल के अंदर सिंह ने जेल प्रहरी को रिश्वत दी। यह इंगित करते हुए कि वह पुलिस में एक उच्च पदस्थ अधिकारी रहे हैं, रोहतगी ने आगे आरोप लगाया कि वह सबूतों से छेड़छाड़ कर रहे हैं। तमाम दलीलें पेश करते हुए रोहतगी ने पीठ से सिंह की जमानत रद्द करने का आग्रह किया।

हालांकि, पीठ ने कहा कि जमानत अर्जी पर विचार करते समय आवेदक की स्थिति पर विचार नहीं किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा, जैसे कि एक सामान्य नागरिक संविधान के तहत अपने अधिकारों का हकदार है, उसी तरह एक उच्च पदस्थ अधिकारी को भी जमानत से वंचित नहीं किया जा सकता।

पीठ ने कहा कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में, जहां अधिकांश सबूत दस्तावेजी साक्ष्य हैं, छेड़छाड़ की संभावना कम है। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने सिंह को जमानत देते समय पहले ही कड़ी शर्तें लगा दी थीं और राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी थी।

छत्तीसगढ़ सरकार ने भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत सिंह के खिलाफ दायर एक मामले में उन्हें मिली जमानत को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया था।

अधिवक्ता सुमीर सोढ़ी के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, याचिकाकर्ता यह प्रस्तुत करता है कि वर्तमान मामला वह नहीं है, जहां राज्य को लगता है कि यदि प्रतिवादी को रिहा कर दिया जाता है, तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है। वास्तव में वर्तमान मामला ऐसा है, जहां प्रतिवादी ने अतीत में गवाहों को धमकाया है, जिसके कारण स्टेट को ऐसे गवाहों को पुलिस सुरक्षा प्रदान करनी पड़ी है।

राज्य सरकार की याचिका में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय का यह कहना सही नहीं है कि सिंह एक निलंबित पुलिस अधिकारी हैं जिनके पास कोई अधिकार नहीं है। इसने आगे कहा कि जेल के अंदर सिंह का आचरण भी संदिग्ध रहा है। याचिका में आगे कहा गया है, वह पुलिस विभाग में अपनी वरिष्ठता का इस्तेमाल जेल के अंदर तैनात गाडरें को जेल के नियमों और उसमें लागू कानून के विपरीत काम करने के लिए फुसलाने में कर रहा है और इसलिए प्रतिवादी की नियमित जमानत याचिका को उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया जाना चाहिए था।

उच्च न्यायालय ने 12 मई को सिंह को जमानत दे दी थी।

छत्तीसगढ़ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने जनवरी में सिंह को गिरफ्तार किया, जो फिलहाल निलंबित हैं और उन पर भ्रष्टाचार, देशद्रोह और दुश्मनी को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है।

इस साल 3 जनवरी को, शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली सिंह की एक याचिका को खारिज कर दिया था, जिसने उन्हें भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत एक मामले में गिरफ्तारी से सुरक्षा से वंचित कर दिया था।

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