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लखीमपुर हिंसा मामले स्वत: संज्ञान लेने (Lakhimpur Violence Supreme court hearing) के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 8 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान यूपी सरकार के इस मामले में उठाए गए कदमों को नाकाफी बताया.
इसके बाद कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से इस मामले की जांच के लिए किसी और एजेंसी की सिफारिश मांगी.
यूपी सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे कोर्ट में पेश हुए.
लखीमपुर हिंसा पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा जो कि इस मामले में आरोपी हैं, उनको लेकर सवाल किया.
इसके बाद यूपी सरकार के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गोली न लगने की बात सामने आने के बाद आशीष मिश्रा को पुलिस के सामने पेश होने के लिए नोटिस भेजा गया है.
इसके बाद कोर्ट ने पूछा कि क्या ऐसे संगीन अपराधों में पुलिस आरोपियों को पहले नोटिस भेजती है ?
सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर हिंसा पर कहा कि 8 लोगों की निर्दयी हत्या की गई है. इस पर कानून को आरोपियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करनी चाहिए. इसके बाद कोर्ट ने उम्मीद जताई कि यूपी सरकार मामले की गंभीरता को समझते हुए जरूरी कदम उठाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा की सीबीआई जांच इस मामले का उपाय नहीं है और इसका कारण सभी जानते हैं. इसके बाद कोर्ट ने यूपी सरकार से जांच के लिए किसी और एजेंसी का नाम बताने को कहा.
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि जब तक इस मामले को कोई जांच एजेंसी अपने हाथ में नहीं ले लेती तब तक सभी सबूतों को संभाल कर रखा जाए.
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