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कोविड-19 से हुई मौतों में किसी के मुआवजे को 'तकनीकी आधार' पर खारिज न करें- SC

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दावेदारों को अपने आवेदनों को सुधारने का मौका दिया जाना चाहिए.

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तबलीगी जमात पर मीडिया कवरेज को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम निर्णय देने से इनकार किया
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तबलीगी जमात पर मीडिया कवरेज को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम निर्णय देने से इनकार किया
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार, 19 जनवरी को कोविड-19 से हुई मौतों के मामले में मुआवजे (Covid-19 Ex Gratia) को लेकर राज्य सरकारों से नाराजगी जाहिर की. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि सरकारें कम मामले सामने ला रही हैं और निर्देश दिया कि वे कोविड-19 मौतों में किसी के मुआवजा भुगतान को 'तकनीकी आधार' पर खारिज न करें. कोर्ट ने कहा,

“हम यह स्पष्ट करते हैं कि तकनीकी आधार पर किसी भी दावे को खारिज नहीं किया जाएगा, दावेदारों को अपने आवेदनों को सुधारने का मौका दिया जाना चाहिए और इस तरह के दावों को आज से एक सप्ताह के भीतर शिकायत निवारण समिति द्वारा देखा जाना चाहिए."
जस्टिस एम आर शाह और संजीव खन्ना की पीठ

मृतक के परिजनों को 50,000 रुपये का मुआवजा

कोविड -19 मौतों के लिए मुआवजे की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए, अदालत ने पिछले साल जून में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) से मुआवजा राशि तय करने पर विचार करने को कहा था. एनडीएमए ने राज्य आपदा राहत कोष से मृतक के परिजनों को 50,000 रुपये के मुआवजे का भुगतान करने की सिफारिश की थी, जिसे कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में स्वीकार किया था.

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आंध्र प्रदेश और बिहार के आंकड़ों में खामियांं

कोर्ट ने आंध्र प्रदेश और बिहार जैसे कुछ राज्यों द्वारा पेश आंकड़ों में खामियों की ओर इशारा किया. इस दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मामले की सुनवाई करने वाली पीठ ने आंध्र प्रदेश और बिहार के मुख्य सचिवों को भी पेश होने को कहा.

आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से पेश वकील महफूज नाजकी ने कोर्ट से राज्य के मुख्य सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी नहीं करने का आग्रह किया, लेकिन कोर्ट नहीं मानी. पीठ ने कहा,

“यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस कोर्ट के निर्देशों को इतने हल्के में लिया गया है. आपके मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री कानून से ऊपर नहीं हैं. लोग आपकी दया पर नहीं हैं. उन्हें दोपहर 2 बजे उपस्थित होने के लिए कहें, ”
जस्टिस एम आर शाह और संजीव खन्ना की पीठ

जब दोनों मुख्य सचिव पेश हुए, तो कोर्ट ने आंध्र प्रदेश को उन सभी लोगों तक पहुंचने के लिए कहा, जिनके दावों को गलत तरीके से खारिज कर दिया गया था और उन्हें अपने आवेदनों को सही करने का मौका देने के लिए कहा. दावों के लिए 36,205 आवेदनों में से, राज्य ने केवल 11,464 का भुगतान किया है. आधिकारिक मौतों की संख्या 14,471 थी. जस्टिस शाह ने कहा,

"यह बहुत गंभीर है कि आपके बनाए रिकॉर्ड में खामियां हैं. आप दोषों के आधार पर आवेदनों को खारिज कर रहे हैं. कृपया इसकी दोबारा जांच कराएं. पैसा लोगों तक पहुंचना चाहिए और यही हमारा लक्ष्य है, ”

आंध्र प्रदेश सरकार की खिंचाई करते हुए, कोर्ट ने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे पहले के निर्देशों और समय-समय पर जारी निर्देशों के बावजूद, राज्य की ओर से पूरी तरह से लापरवाही बरती गई."

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