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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जमीन हड़पने के एक मामले में समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की जमानत अर्जी पर फैसला लेने में देरी पर असंतोष जताया.
न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने कहा कि खान को इस मामले को छोड़कर अन्य सभी मामलों में जमानत दी गई है. उन्होंने इस संबंध में कहा कि यह न्याय का मजाक है. हम और कुछ नहीं कहेंगे.
खान का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा कि उच्च न्यायालय ने जमानत अर्जी पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. पीठ ने कहा कि खान को 87 में से 86 मामलों में जमानत मिली है. शीर्ष अदालत ने दलीलें सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई 11 मई को निर्धारित की.
पिछले साल दिसंबर में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खान की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. बाद में, राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय से कुछ नए तथ्यों को रिकॉर्ड में लाने की अनुमति देने का अनुरोध किया. गुरुवार को इस मामले में नया हलफनामा दाखिल किया गया.
खान के वकील ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा कि मामले की सुनवाई गुरुवार को हुई और फैसला सुरक्षित रख लिया गया है. उच्च न्यायालय ने मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय परियोजना के लिए संपत्ति हड़पने के एक मामले में खान की जमानत याचिका के लिए आदेश सुरक्षित रखा था.
फरवरी में, शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश चुनावों में प्रचार करने के लिए खान को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था. अदालत ने उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय जाने के लिए कहा, जहां उनकी जमानत याचिका लंबित है.
वर्तमान में, वह कई मामलों के सिलसिले में सीतापुर जेल में बंद है, जिसमें उनके खिलाफ रामपुर में भूमि हड़पने का मामला भी शामिल है.
खान और अन्य के खिलाफ कथित तौर पर संपत्ति हड़पने और सैकड़ों करोड़ रुपये से अधिक के सार्वजनिक धन की हेराफेरी करने का मामला दर्ज किया गया था.
--आईएएनएस
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