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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के एटा (Etah) के करीब 50 गांव भयानक पेयजल संकट का सामना कर रहे हैं. इन गावों में कई सालों से पीने के पानी की भारी समस्या है. कुछ गांवों में पानी तो है लेकिन खारा पानी है. आज भी लोगों को कई किलोमीटर दूर जाकर पानी लाना पड़ता है. गांव वालों का आरोप है कि कुछ फैक्ट्रियों के कारण पानी खारा हुआ है. इसके बाद कई परेशान लोगों ने पलायन किया कुछ अब पलायन को मजबूर हैं.
क्विंट हिंदी की टीम ने इन गावों में जाकर पड़ताल की और लोगों से बातचीत की है.
ऐटा के जलेसर क्षेत्र के शकरौली, तखावन, नगला अन्नी, शाहनगर टिमरुआ, नगला मोहन समेत कई ग्राम पंचायतें हैं, जहां के करीब 50 गांवों में लोगों को सालों से परेशानी उठानी पड़ रही है. यहां तक कि समस्या की वजह से कई लोग पलायन करने पर मजबूर हैं. पेयजल संकट को दूर करने के लिए योजनाएं तो हैं लेकिन वो इस गांव तक नहीं पहुंच पाई है जो पहुंची वो योजनाएं अधूरी पड़ी हैं.
ग्राम पंचायत शकरौली के 12 गांव, तखावन ग्राम पंचायत के 11 गांव, नगला अन्नी के दो गांव समेत एटा, हाथरस, फिरोजाबाद और आगरा के कुल लगभग 50 गांव आज भी पेयजल संकट से जूझ रहे हैं.
पेयजल संकट के बीच से कई गांवों से लोगों ने पलायन किया है, आज भी लोग इस परेशानी की वजह से पलायन को मजबूर हैं. राजनगर गांव के 60 वर्षीय रामनाथ सिंह जो गांव में अपना खेत देखने आए थे उन्होंने क्विंट को बताया कि, "हमने 1990 में ही अपना गांव छोड़ दिया था. लगभग 32 साल हो गए लेकिन अब तक गांव में न पीने के लिए पानी है, ना सड़क है, बिजली नहीं है. बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी, खारा पानी पी कर हम बीमार पड़ रहे हैं, बच्चे भी कुपोषण का शिकार हो रहे हैं.
मोहनपुर के फूल सिंह ने क्विंट हिंदी को बताया-
''यहां पर आज से 40 साल पहले मीठा पानी था, आज के समय मे खारा पानी है, जिसका एक कारण हो सकती हैं यहां पर चलने वाली फैक्ट्रियां. शोरा फैक्ट्री, तेजाब से यहां पर रसायन बनाये जाते हैं, उसका सारा वेस्टेज जमीन में जाता है, जिससे यहां का पानी खारा हो गया है, अब हम लोग मीठे पानी को लेने के लिए दूसरे गांव की ओर का सफर करते हैं.''
उन्होंने कहा कि, "अगर ये चीजें समय रहते नहीं रोकी गई तो आने वाले समय मे इस क्षेत्र में स्थितियां भयावह हो जाएंगी, प्रशासनिक अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं करते हैं, जिससे धरती के अंदर का जल दूषित/जहरीला होता जा रहा है."
किसान गौ सेवा दल के प्रदेश अध्यक्ष सतेंद्र सिंह ने कहा कि, योजनाओं के नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है. तखावन ग्राम पंचायत के 10 गांवों में लगभग 24 टंकियां हैं, शकरौली पंचायत में 30 टंकिया समेत पूरे क्षेत्र में लगभग 100 से ज्यादा टंकियां बनवाई गई थी जिसमें एक पानी की टंकी में लगभग दस हजार लीटर पानी भर जाता है, बनी हुई ये पानी की टंकिया एक बार चली तक नहीं. टंकियो में अभी तक जमीन से पाइप की फिटिंग नहीं हुई.
जब जलेसर के एसडीएम अलंकार अग्निहोत्री से बात की तो उन्होंने कहा कि, "हमारे पास तो कोई शिकायत नहीं आई है, आपके पास क्या सबूत है. हमारा काम राजस्व का है आप बीडीओ से बात करिए, ग्राम पंचायतों की समस्या हमारे अधीन नहीं आती हैं."
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