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कोविड के समय पलायन करने वाले मजदूरों के दर्द की 5400 'गवाह' UP सरकार ने की नीलाम

पलायन की पीड़ा को बयां करतीं 5400 साइकिलों को नीलाम कर यूपी सरकार ने जुटाए 21.20 लाख रुपये

संकल्प नैब
न्यूज
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<div class="paragraphs"><p>कोविड के समय पलायन करने वाले मजदूरों के दर्द की 5400 'गवाह' UP सरकार ने की नीलाम</p></div>
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कोविड के समय पलायन करने वाले मजदूरों के दर्द की 5400 'गवाह' UP सरकार ने की नीलाम

फोटो- ऑल्टर्ड बाय क्विंट

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कोरोना काल (Covid 19 Pandemic) में लॉकडाउन के दौरान कई राज्यों से उत्तर प्रदेश (Uttra Pradesh) की ओर लौट रहे मजदूरों ने साइकिल से सफर किया था लेकिन यूपी की बॉर्डर पर आ कर उन्हें रोका गया और बस द्वारा घर पहुंचाया गया. ऐसे में उन्होंने अपनी साइकिलें बॉर्डर पर बने क्वारंटीन सेंटर पर छोड़ दी थी. अब इन्हीं साइकिलों को उत्तर प्रदेश सरकार ने लावारिस घोषित कर निलाम कर दिया है.

सरकार ने कुल 5400 साइकिलों को लावारिस बताया और 21 लाख 20 हजार में नीलाम किया है.

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कोरोना महामारी के दौरान देशभर में लगे लॉकडाउन की वजह से यूपी-बिहार के कई मजदूरों ने अपने घर की ओर पलायन करना शुरू कर दिया था. इनमें से कई हजार मजदूरों ने तो पैदल ही घर तक का रास्ता नापा लेकिन कई और हजार मजदूरों ने अपने घर तक साइकिल से सफर करना शुरू किया था. लेकिन जब ये मजदूर यूपी की बॉर्डर पहुंचे तो उन्हें पिलखनी में ही रोक कर राधा सत्संग भवन में क्वारंटीन किया गया.

राज्य के सीएम योगी आदित्यनाथ ने उन्हें पहले क्वारंटीन करवाया और फिर बस से घर भेजना का फैसला लिया था. जानकारी के मुताबिक करीब 25 हजार मजदूरों ने अपनी साइकिल सत्संग भवन में छोड़ दी थी, इसके बदले उन्हें टोकन दे दिया गया था. इनमें 14 हजार से ज्यादा मजदूर अपनी साइकिल वापस ले गए लेकिन 5400 मजदूर साइकिल वापस लेने नहीं आए.

सदर तहसीलदार नितिन राजपूत ने बताया कि, कोरोना काल में जिन मजदूरों को बसों के माध्यम से उनके घर पहुंचाया गया था. वह अपनी साइकिलें छोड़ गए थे. करीब 11 हजार साइकिल थीं. जिनमें से 5400 मजदूर साइकिल लेने नहीं पहुंचे. साइकिलों को लावारिस घोषित किया गया. एक प्लाट में सुरक्षित रखा गया और अब 21 लाख 20 हजार रुपये में नीलाम किया गया है.

लावारिस साइकिलें

फोटो- क्विंट हिंदी

प्रशासन द्वारा नीलामी में 250 लोगों ने बोली लगाई, बोली 15 लाख से शुरू हो कर 21 लाख 20 हजार पर जा कर रुकी. प्रशासन ने एक साइकिल की कीमत 392 रुपये रखी थी. जानकारी के मुताबिक बोली जीतने वाला प्रति साइकिल की बिक्री 1200 रुपये तक करेगा.

बोली जीतने वाले ठेकेजार आबिद अली ने बताया कि 5400 साइकिलें हमने प्रशासन से खरीदी हैं. कोरोना काल में जिन मजदूरों की साइकिल छूट गई थी ये उनकी साइकिलें हैं.

लावारिस साइकिलें

फोटो- क्विंट हिंदी

जिला अधिकारी अखिलेश सिंह ने कहा कि, "राधा स्वामी सत्संग भवन के पदाधिकारियों से सभी मजदूरों का नंबर लिया गया था. जो साइकिल लेने नहीं पहुंचे उनको फोन भी किया गया था. दूर होने के कारण मजदूर साइकिल ले जाने में कोई तवज्जों नहीं दी है. जिस कारण सभी साइकिलों को नीलाम किया गया है. नीलामी में जो पैसा मिला है, वह शासन के खाते में भेजा जाएगा."

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Published: 04 Jun 2022,11:08 PM IST

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