5G टॉवर की किट में लिखा COVID-19? गलत दावे से वीडियो वायरल

5G टावरों पर ‘COV19’ लिखे किट लगाने का दावा करने वाले वीडियो को कॉन्सपिरेसी थ्योरी की सच बताने के लिए बनाया गया था.

ऐश्वर्या वर्मा
वेबकूफ
Published:
<div class="paragraphs"><p>ये वीडियो कॉन्सपिरेसी थ्योरी का सच बताने के लिए बनाया गया है</p></div>
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ये वीडियो कॉन्सपिरेसी थ्योरी का सच बताने के लिए बनाया गया है

(फोटो: Altered by The Quint)

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सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर हो रहा है जिसमें मोबाइल फोन नेटवर्क इंजीनियर जैसे कपड़े पहने एक शख्स 5G टॉवर में लगाने के लिए COVID19 लिखे एक इंस्टॉलेशन किट के बारे में बात करता नजर आ रहा है. वीडियो में ये शख्स दावा कर रहा है कि वो टावरों में 5G से जुड़ी किट लगा रहे हैं, जबकि इस समय हर कोई लॉकडाउन में है और उन्हें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि इन किटों को न खोलें.

हालांकि, हमने पाया कि वीडियो को सबसे पहले ब्रिटिश एक्टिविस्ट, पत्रकार और व्यंग्यकार हेडन प्राउज ने उन कॉन्सपिरेसी थ्योरी का मजाक बनाने के लिए बनाया था, जिनके हिसाब से 5G की वजह से कोरोनावायरस फैल रहा है.

इस वीडियो को बनाने के पीछे उनका मकसद ये दिखाना था कि किसी कॉन्सपिरेसी थ्योरी को बनाना और उन पर लोगों को विश्वास दिलाना कितना आसान होता है. उनके इस वीडियो को एक्सप्लेन करने के लिए बनाए गए वीडियो में उन्होंने ये बात बोली है.

दावा

इस वीडियो को क्विंट की WhatsApp टिपलाइन में भी भेजा गया है और सोशल मीडिया पर कई अलग-अलग भाषाओं में शेयर किया गया है. इनके आर्काइव आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.

ये वीडियो अलग-अलग भाषआों में वायरल है

(फोटो: स्क्रीनशॉट/WhatsApp)

गलत जानकारी फैलाने के लिए जानी जाने वाली वेबसाइट Natural News ने भी अपने पेज पर एक आर्टिकल में वीडियो को कॉन्सपिरेसी थ्योरी के प्रमाण के तौर पर पेश किया है.

पड़ताल में हमने क्या पाया

क्रोम के वीडियो वेरिफिकेशन एक्सटेंशन InVID का इस्तेमाल करके हमने वीडियो को कई कीफ्रेम में बांटा और उन पर रिवर्स इमेज सर्च करके देखा.

हमें ‘How To Start a Conspiracy Theory – Heydon Prowse’ शीर्षक वाला एक वीडियो मिला. इसे 5 जून 2020 को ‘Don’t Panic London’ नाम के एक यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया था.

वीडियो में ब्रिटिश एक्टिविस्ट और जर्नलिस्ट हेडन प्राउज और लंदन की क्रिएटिव एजेंसी Don’t Panic ने साथ में काम किया है, ताकि उस तरह की कॉन्सपिरेसी थ्योरी बनाई जा सके जिससे ये दिखाया जा सके कि 5G नेटवर्क से कोरोनावायरस होता है. और उन्होंने ऐसा इसलिए किया, ताकि लोगों को समझाया जा सके कि झूठी जानकारी फैलाना कितना आसान है.

ये वीडियो 5 जून को पब्लिश हुआ था

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/यूट्यूब)

वायरल वीडियो के बारे में समझाने वाले वीडियो के पब्लिश होने के 5 दिन बाद हेडन प्राउज ने भी इसे ट्वीट किया था.

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प्राउज के इस कॉन्सपिरेसी वीडियो के सेकंड हाफ वाले भाग में वो पहले से पका हुआ और पैकेज्ड खाना दिखाते हुए दावा करते हैं कि ये दुश्मनों के लैसग्ना (एक तरह का खाने वाला आइटम) को निशाना बनाने और पकाने के लिए तैयार की गई विशेष युद्धक्षेत्र तकनीक है, जो उनके खाने को पूरी तरह से पकाने में कामयाब रही है और ये लैसग्ना 'बीच में गर्म भी है'. वीडियो के इस हिस्से को अलग-अलग दावों के साथ एडिट कर शेयर किया गया था.

इसके बाद वो वीडियो में ये दिखाते हैं कि कैसे उन्होंने एक पुराने सेट टॉप बॉक्स के सर्किट बोर्ड और बच्चों के इस्तेमाल किए जाने वाले स्टिकर का उपयोग करके 'COV19' मार्किंग वाली '5G किट' बनाई.

वीडियो में बताया गया है कि कैसे बच्चों के स्टिकर कॉन्सपिरेसी थ्योरी में काम आए

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/यूट्यूब)

वीडियो में बताया गया है कि कैसे बच्चों के स्टिकर कॉन्सपिरेसी थ्योरी में काम आए

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/यूट्यूब)

वीडियो में इस बात पर जोर दिया गया है कि प्राउज ने बताई गई थ्योरी को सही साबित करके भी इसे डिबंक किया और ये भी बताया कि ये कितना हास्यास्पद है.

क्या 5G की वजह से फैलता है कोरोना?

क्विंट इससे पहले 5G से कोरोनावायरस के फैलने के दावे को कई बार खारिज कर चुका है.

WHO की वेबसाइट पर ‘मिथ बस्टर्स’ सेक्शन में साफतौर पर बताया गया है कि 5G नेटवर्क से कोरोना वायरस नहीं फैलता. और बहुत से ऐसे देश हैं जहां 5G नेटवर्क न होने के बावजूद वहां कोरोना के मामले हैं. कुल मिलाकर वायरस रेडियो वेव या मोबाइल नेटवर्क के जरिए ट्रैवल नहीं कर सकता.

इसके अलावा, संचार मंत्रालय के तहत आने वाले दूसरसंचार विभाग ने 10 मई 2021 को एक प्रेस रिलीज पब्लिश की जिसका शीर्षक था '5G टेक्नॉलजी और कोविड 19 के फैलने के बीच कोई संबंध नहीं है.

मतलब साफ है कि 5G टावरों पर ऐसी कोई भी 5G किट नहीं इस्तेमाल की जाती है, जिसमें 'COV19' लिखा हो. वीडियो इसलिए बनाया गया है ताकि बताया जा सके कि किस तरह दुनियाभर में कोरोना के मामलों के बढ़ने को टेक्नॉलजी से जोड़कर कॉन्सपिरेसी थ्योरी बनाई जा रही हैं. जिससे लोगों के पास भ्रामक जानकारी पहुंचती है.

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