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पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में 31 अगस्त को काली देवी की जली हुई मूर्ति की तस्वीरें वायरल होने लगीं. वायरल फोटो के साथ झूठा दावा किया गया कि इस काम के पीछे मुस्लिम समुदाय के लोग थे.
हमने अपनी जांच में पाया कि इस दावे में बिल्कुल भी सच्चाई नहीं हैं और मूर्ति के जलने के पीछे एक्सीडेंटल फायर की घटना थी.
फोटो में साफ देखा जा सकता है कि एक मंदिर दिख रहा है और काली देवी की जली हुई मूर्ति दिख रही है. लेकिन पोस्ट में इसके साथ कैप्शन लिखा हुआ है 'पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद काली देवी की प्रतिमा को जलाया गया, जागो हिंदू जागो'
सोशल मीडिया पर और भी कई लोगों ने इन फोटो को शेयर किया है. उन पोस्ट में भी इसी तरह का दावा किया जा रहा है. बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह ने भी गलत दावे के साथ यही फोटो शेयर की हैं.
कई लोगों ने तो सीधे सोशल मीडिया पर ये दावा करते हुए फोटो शेयर की कि ये काम 'जिहादियों' का किया हुआ है.
द क्विंट को पता चला कि ये हादसा मुर्शिदाबाद के आलमपुर इलाके में 31 अगस्त को हुआ. वहां पर काली देवी की प्रतिमा असल में जल गई थी. लेकिन जिस निमताला काली मंदिर में ये घटना घटी है उसी मंदिर के के सचिव ने जो चिट्ठी लिखी है उसको पढ़ने से साफ होता है कि इस मामले में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है.
इस घटना के बाद मंदिर के सचिव सुखदेव बाजपेई ने जो लेटर लिखा है- ऐसा नहीं लगता कि मूर्ति के जलने के पीछे कोई सांप्रदायिक कारण रहा होगा. उन्होंने ये भी अपील की है कि लोग गलत सूचनाएं न फैलाएं.
द क्विंट ने मंदिर के सचिव बाजपेई से इस बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि जो भी सांप्रदायिक बातें फैलाई जा रही हैं वो गलत हैं. वो सारे पोस्ट फर्जी हैं. हमारे यहां हिंदू मुस्लिम जैसा कुछ नहीं है.
बाजपेई का कहना है कि न तो मंदिर का ताला टूटा है न ही मूर्ति को कोई क्षति पहुंची है. मंदिर में कोई चोरी भी नहीं हुई है. उन्होंने बताया कि मंदिर में रात भर दिए जला करते थे हो सकता है कि आग लगने की यही वजह रही हो.
द क्विंट ने इस मामले को लेकर मुर्शिदाबाद पुलिस स्टेशन से भी संपर्क किया. अधिकारियों ने बताया कि घटना को लेकर जो सांप्रदायिक एंगल दिया जा रहा है वो सही नहीं है. जब हमने उनसे इस घटना के कारण के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि ये एक एक्सीडेंटल फायर है जिसके पीछे कोई सांप्रदायिक कारण नहीं है.
साफ है कि ये प्रतिमा जलने की घटना के पीछे एक्सीडेंटल फायर कारण रहा है. मुर्शिदाबाद की इस घटना को झूठे सांप्रदायिक एंगल के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया गया. ये फेक न्यूज है.
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