Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Webqoof Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019ईसाई झंडों वाले रथ का वीडियो बालाजी की धार्मिक यात्रा का नहीं है

ईसाई झंडों वाले रथ का वीडियो बालाजी की धार्मिक यात्रा का नहीं है

आंध्र प्रदेश के अमरावती में किसानों ने एकता और एकजुटता दिखाने के लिए एक ही रथ पर अलग-अलग धर्मों के झंडे लगाए गए थे.

टीम वेबकूफ
वेबकूफ
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<div class="paragraphs"><p>ये वीडियो धार्मिक जुलूस का नहीं, किसानों के प्रदर्शन का है</p></div>
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ये वीडियो धार्मिक जुलूस का नहीं, किसानों के प्रदर्शन का है

(फोटो: Altered by The Quint)

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सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक रथ में सफेद झंडा और क्रॉस दिख रहा है. ये रथ भगवान बालाजी के मंदिर की तरह सजाया गया था. वीडियो शेयर कर ये दावा किया जा रहा है कि Andhra Pradesh में भगवान बालाजी की रथयात्रा में ईसाई 'क्रॉस' के झंडे फहराए गए.

हालांकि, हमने पाया कि वीडियो अमरावती पदयात्रा का है. ये 45 दिनों की पदयात्रा किसानों ने अमरावती को आंध्र प्रदेश की राजधानी बनाने की मांग के लिए निकाली थी. वीडियो में दिख रहा रथ धार्मिक नहीं बल्कि किसानों की पदयात्रा का है.

स्थानीय पत्रकार सूर्या रेड्डी ने क्विंट को बताया कि रथ में ईसाई, हिंदू और मुस्लिम झंडे थे, जो किसानों की एकजुटता और उनके बीच समावेश को दर्शाते हैं.

दावा

वीडियो शेयर कर दावा किया जा रहा है कि आंध्र प्रदेश में भगवान बालाजी के जुलूस के रथ पर ईसाई झंडे लगाए गए थे.

पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/ट्विटर)

ये स्टोरी लिखते समय तक 'Mission Kaali' नाम के ट्विटर यूजर के शेयर किए गए इस वीडियो को 13,000 से ज्यादा व्यू और 17,00 से ज्यादा लाइक मिल चुके हैं.

सोशल मीडिया पर इस वीडियो के लेकर इसी दावे के अन्य पोस्ट के आर्काइव आप यहां और यहां देख सकते हैं.

पड़ताल में हमने क्या पाया

दावे से जुड़ी एक पोस्ट में हमने एक दूसरे ट्विटर यूजर का कमेंट देखा. जिसने इस दावे को 'फेक प्रोपगेंडा' बताते हुए लिखा था कि ये वीडियो अमरावती का है.

यूजर ने थ्रेड में बताया कि ये दावा झूठा है

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/ट्विटर)

यूजर ने आगे लिखा कि वीडियो मे किसान दिख रहे हैं जिन्होंने आंध्र प्रदेश में एक नई राजधानी बनाने के लिए अपनी जमीनें दी थीं. लेकिन, अब वो अमरावती के बजाय राज्य की तीन राजधानियां रखने की राज्य सरकार की नई नीति का विरोध कर रहे हैं.

यूजर ने ये भी लिखा कि सभी प्रमुख धर्मों के झंडे इसलिए लगाए गए थे, ताकि एकता दिखाई जा सके.

यहां से क्लू लेकर हमने अमरावती में किसानों के विरोध से जुड़ी ज्यादा जानकारी सर्च की और हमें 'अमरावती पदयात्रा' से जुड़ी न्यूज रिपोर्ट्स मिलीं.

The Hindu के 11 नवंबर के एक आर्टिकल के मुताबिक, आंध्र प्रदेश के किसान अमरावती 'महा पदयात्रा' कर 45 दिवसीय विरोध कर रहे हैं. ये वो किसान हैं जिन्होंने अपनी जमीनें सरकार को दान की थीं, ताकि अमरावती को एक अच्छी राजधानी के रूप में विकसित किया जा सके.

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The News Minute की रिपोर्ट के मुताबिक, अमरावती परिक्षण समिति और अमरावती जॉइंट एक्शन कमिटी (JAC)ने संयुक्त रूप से इस आंदोलन का नेतृत्व किया और ये आंदोलन 1 नवंबर से अमरावती में शुरू हुआ था. प्रदर्शनकारी 45 दिनों की पैदल यात्रा कर तिरुपति जाने के लिए तैयार हैं.

इसके अलावा, हमने घटना से जुड़े विजुअल सर्च किए, जिससे हमें ETV Andhra Pradesh के वेरिफाईड यूट्यूब हैंडल पर लाइव वीडियो मिले जिन्हें 3 और 9 नवंबर को स्ट्रीम किया गया था.

इस फुटेज को देखकर पता चला कि वायरल वीडियो अमरावती पदयात्रा का है.

पदयात्रा जुलूस में ईसाई झंडो के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए, हमने क्विंट के पत्रकार सूर्या रेड्डी से संपर्क किया. उन्होंने पुष्टि की कि जुलूस धार्मिक नहीं था. उन्होंने बताया कि सभी धर्मों के झंडे इसलिए लगाए गए थे ताकि ये दिखाया जा सके कि सभी धर्म इस आंदोलन का हिस्सा हैं.

''किसानों ने अमरावती को राजधानी बनाने के लिए अपनी जमीनें दान कर दीं. लेकिन किसानों ने अमरावती से तिरुमाला तक 45 दिनों की लंबी पैदल यात्रा निकालने का फैसला तब लिया, जब विधानसभा में 'थ्री कैपिटल्स' बिल आया. क्योंकि तिरुमाला में भगवान तिरुपति का मंदिर है, इसलिए ये यात्रा वहां तक के लिए निकाली गई, ताकि ये दिखाया जा सके कि भगवान ही हमारी मदद कर सकते हैं. और इसीलिए, रथ को मंदिर जैसा बनाया गया है.''
सूर्या रेड्डी, पत्रकार

उन्होंने ये भी बताया कि वीडियो में किसी को ये कहते हुए साफ सुना जा सकता है कि वो जाति-धर्म नहीं देखते क्योंकि वो सभी एक हैं और उन सबका लक्ष्य भी एक ही है.

अमरावती जॉइंट एक्शन कमिटी के सदस्य किसान सत्यम ने भी पुष्टि की कि जुलूस अमरावती में किसानों के विरोध से संबंधित था.

उन्होंने बताया कि सभी धर्मों के झंडों को इसलिए शामिल किया गया था क्योंकि सभी धर्मों के किसान इस पदयात्रा का हिस्सा थे.

सत्यम ने कहा कि पहले, जुलूस में सिर्फ एक रथ था जो मंदिर जैसा दिखता था. वीडियो के वायरल होने के बाद, इस पर विवाद शुरू हो गया. उसके बाद, आंदोलन में 21 नवंबर से मुख्य रथ के साथ-साथ वहां हर धर्म का प्रतिनिधित्व करने के लिए तीन अलग-अलग रथ रखने का फैसला किया गया.

हमने 21 नवंबर से पहले के आंदोलन में इस्तेमाल किए गए रथ से जुड़े विजुअल सर्च किए. हमें Hans India का 8 नवंबर को प्रकाशित एक आर्टिकल मिला. इसमें रथ की एक तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था, जिसमें तीन रंगों के झंडे दिख रहे हैं. ये रंग थे केसरिया, हरा और सफेद.

इस आर्टिकल में तीनों झंडों की साफ तस्वीर देखी जा सकती है

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/Hans India)

मतलब साफ है, भगवान बालाजी के धार्मिक जुलूस में रथ पर क्रॉस के निशान वाला ईसाई झंडा नहीं फहराया गया.

तस्वीर में जो रथ दिख रहा है वो आंध्र प्रदेश के अमरावती में किसानों के एक आंदोलन में शामिल रथ है, जिसमें एकजुटता दिखाने के लिए सभी धर्मों के झंडे लगाए गए थे.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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