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रोजगार,अपराध,अर्थव्यवस्था: पिछले 5 सालों में गोवा में कैसा रहा BJP का प्रदर्शन?

गोवा में जहां महिलाओं के खिलाफ अपराध में कमी आई है, वहीं प्रति व्यक्ति आय में उतार-चढ़ाव देखा गया है

अभिलाष मलिक
वेबकूफ
Published:
<div class="paragraphs"><p>गोवा में जहां महिलाओं के खिलाफ अपराध में कमी आई है, वहीं प्रति व्यक्ति आय में उतार-चढ़ाव देखा गया है</p></div>
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गोवा में जहां महिलाओं के खिलाफ अपराध में कमी आई है, वहीं प्रति व्यक्ति आय में उतार-चढ़ाव देखा गया है

(फोटो: Altered By The Quint)

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तटीय राज्य गोवा (Goa) में 40 विधानसभा सीटों के लिए 14 फरवरी को मतदान हैं. राज्य की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से पर्यटन पर निर्भर करती है और अगर राज्य की प्रति व्यक्ति आय की बात करें तो ये देश में सबसे ज्यादा है.

राज्य में भारतीय जनता पार्टी (BJP) का ये लगातार दूसरा कार्यकाल है. इंडियन नेशनल कांग्रेस (INC) और BJP राज्य में एक-दूसरे के लिए प्रमुख चुनौती हैं और कांग्रेस मौजूदा मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत को सीट से हटाने के लिए चुनाव लड़ेगी.

इस बार अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC) भी मैदान में है.

बीजेपी समेत सभी पार्टियों ने कई वादे किए हैं. अर्थव्यवस्था से लेकर खनन नियमों और सभी के लिए आवास उपलब्ध करवाने जैसे वादे. लेकिन, आइए पहले ये देखते हैं कि गोवा में वर्तमान सरकार ने नीचे दी गई चीजों पर कैसा प्रदर्शन किया है:

  • आर्थिक विकास

  • रोजगार

  • अपराध की स्थिति

  • स्वास्थ्य

  • ईज ऑफ डूइंग बिजनेस यानी राज्य में बिजनेस करना कितना आसान है

10 साल बाद, BJP 2.0 सरकार में कैसी रही राज्य की अर्थव्यवस्था?

BJP 2.0 सरकार में राज्य की अर्थव्यवस्था, 2020 में बड़ी गिरावट के बावजूद अपने पहले कार्यकाल के मुकाबले तेजी से बढ़ी है.

हालांकि, 2012-2017 (FY13-FY17) के बीच स्थिर मूल्य पर सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) में साल-दर-साल वृद्धि, 5.17 प्रतिशत की औसत दर से बढ़ी. लेकिन, RBI की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार ये 2017-2021 (FY18-FY21) के बीच घटकर 6.66 प्रतिशत हो गई.

यहां ये गौर करना चाहिए कि जहां दूसरे राज्यों की अर्थव्यवस्था 2020-2021 (FY21) में कोविड महामारी की वजह से नुकसान में रही, वहीं ये गोवा में ये बढ़ी. वित्त वर्ष 2015 में GSDP 53,09,957 लाख रुपये से बढ़कर 64,98,194 लाख रुपये हो गया, जो 22.38 प्रतिशत की छलांग है.

हालांकि, FY12 के बाद से, राज्य की अर्थव्यवस्था में लगातार इजाफा नहीं हुआ. जहां वित्त वर्ष 2013 में अर्थव्यवस्था में 15.38 प्रतिशत की गिरावट आई, तो वहीं वित्त वर्ष 2015 में 27.08 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली.

जहां राज्य की प्रति व्यक्ति आय देश में सबसे ज्यादा है, वहीं प्रति व्यक्ति आय में ओवरऑल ग्रोथ न के बराबर है.

वित्त वर्ष 2017 (2016-2017) में प्रति व्यक्ति आय 3,05,875 रुपये थी. वित्त वर्ष 2019 में 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई, लेकिन वित्त वर्ष 2019 (2019-2020) में 9 प्रतिशत की गिरावट हो गई. इससे वित्त वर्ष 2020 में यह 3,03,687 रुपये ही रह गई. यानी 2017 और 2020 में ये लगभग एक जैसी ही रही.

वित्त वर्ष 2021 के लिए प्रति व्यक्ति आय उपलब्ध नहीं है.

अर्थव्यवस्था की तरह ही राज्य में प्रति व्यक्ति आय भी 2012 से उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रही है.

हालांकि, ये ध्यान देना जरूरी है कि राज्य में प्रति व्यक्ति आय, राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति आय से काफी ज्यादा है.

जहां एक औसत भारतीय की प्रति व्यक्ति आय वित्त वर्ष 2020 में 94,566 रुपये थी, वहीं गोवा में ये 3,03,687 रुपये थी. हालांकि, भारत की प्रति व्यक्ति आय में 2020 में आई कोविड महामारी की वजह से गिरावट हुई. हालांकि इसके पहले 2012 से लेकर 2020 तक ये ऊपर की ओर ही बढ़ी है.

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रोजगार के मामले में सरकार का काम कैसा रहा?

भारत में बेरोजगारी का दस्तावेजीकरण करने वाले इंडिपेंडेट थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के मासिक डेटा से पता चलता है कि पिछले पांच सालों में राज्य में बेरोजगारी बढ़ी है.

राज्य में बेरोजगारी दर मार्च 2017 में 8.6 प्रतिशत थी. इस दर में 2 प्रतिशत तक की गिरावट आने के बावजूद, नवंबर 2019 में बेरोजगारी दर बढ़कर 24.7 प्रतिशत हो गई.

गोवा में बेरोजगारी को ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में समान रूप से नहीं बांटा गया है. जनवरी और अप्रैल 2017 के बीच, राज्य में 79,000 बेरोजगार लोग थे, जिनमें से 56,000 शहरी क्षेत्रों में थे. कुल बेरोजगार लोगों में से 64,000 महिलाएं थीं, जो नौकरी के मौकों में बड़ी असमानता को दर्शाता है. यानी पुरुषों और महिलाओं को समान रूप से नौकरी के मौके नहीं मिलते.

CMIE की ओर से सितंबर से दिसंबर 2021 के बीच प्रकाशित लेटेस्ट तिमाही रिपोर्ट में बेरोजगारों की संख्या घटकर 63,000 रह गई है.

इसके अलावा, सितंबर-दिसंबर 2021 के लिए श्रम बल भागीदारी दर (LPR) 36.79 प्रतिशत रही.

राज्य में अपराध की क्या है स्थिति

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, वर्तमान BJP सरकार के दौरान गोवा में अलग-अलग धाराओं में दर्ज होने वाले आपराधिक मामलों की संख्या में 2017 से 2019 तक गिरावट हुई. लेकिन, 2020 में इसमें 37.65 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई.

2016 में रिपोर्ट किए गए मामलों की संख्या 2,692 थी, जो 2020 में बढ़कर 3,393 हो गई.

2015 के बाद से महिलाओं के खिलाफ अपराधों में गिरावट आई है और इस कार्यकाल के दौरान भी यही पैटर्न जारी रहा. महिलाओं के खिलाफ दर्ज अपराधों की संख्या 2015 में 392 थी, जो लगभग आधी घटकर 2020 में 219 हो गई है.

राज्य, पहले हुए विदेशियों के खिलाफ अपराधों के लिए भी चर्चा में रहा है.

ऐसा इसलिए, क्योंकि हर साल कई विदेशी पर्यटक यहां घूमने के लिए आते हैं. हालांकि, विदेशियों के खिलाफ अपराधों की संख्या भी 2018 में 34 से घटकर 2020 में 11 हो गई है.

स्वास्थ्य: शिशु मृत्यु दर, प्रजनन दर

शिशु मृत्यु दर (IMR), प्रति हजार पैदा हुए जीवित बच्चों पर होने वाली एक साल से कम उम्र के बच्चों की मौत की संख्या होती है. ये नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 (2015-201) मे 12.9 से घटकर NFHS-5 सर्वे में 5.6 हो गई है.

गोवा का IMR राष्ट्रीय औसत IMR से काफी बेहतर है, जो NFHS-4 सर्वे के मुताबिक 40.7 था, और NFHS-5 सर्वे में घटकर 35.2 रह गया.

गोवा में बिजनेस कितना आसान है?

हालांकि, पर्यटन उद्योग से राज्य की 40 प्रतिशत आबादी को रोजगार मिलता है, लेकिन गोवा का "ईज ऑफ डूइंग बिजनेस" जो कि निवेश के अनुकूल कारोबारी माहौल का एक संकेतक होता है, वो 2017 में 19 था, लेकिन 2019 में गिरकर 24 पर पहुंच गया.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से पब्लिश ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट के अनुसार, राज्य की ईओडीबी रैंकिंग में 2012-2017 के दौरान एक समान पैटर्न देखा गया. ये 2015 में 19 से बढ़कर 2016 में 21 हो गया.

विश्व बैंक की ओर से 2021 में अपनी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट बंद हो गई है. 2018 के बाद से 14 स्थानों में सुधार के बाद 2019 में 190 देशों में भारत की रैंक 63 थी.

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