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जेएनयू के छात्र विरोध प्रदर्शन के दौरान फर्जी खबर फैलाने वालों ने यूपी के 30 वर्षीय पंकज मिश्रा को केरल के 47 वर्षीय मोइनुद्दीन के तौर पर पेश कर दिया.
जेएनयू के छात्रों ने नए हॉस्टल मैनुअल का विरोध जारी रखा है. ऐसे में प्रदर्शनकारी छात्रों को फेक न्यूज फैक्ट्रियों द्वारा टार्गेट किया जा रहा है. भ्रामक दावों के साथ कई प्रदर्शनकारियों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर फैलाई गई हैं.
ऐसे ही एक मामले में, 30 वर्षीय पंकज मिश्रा की तस्वीर गलत दावे के साथ सोशल मीडिया में शेयर हो रही हैं. दावा किया जा रहा है कि तस्वीर में दिखने वाला जेएनयू छात्र केरल का रहने वाला 47 वर्षीय मोइनुद्दीन है. साथ में यह भी दावा किया गया है कि वह 1989 से यानी 30 वर्षों से जेएनयू में पढ़ रहा है.
हालांकि पंकज केरल से नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद से हैं और इसी साल उन्होंने जेएनयू में एडमिशन लिया है. मौजूदा समय में वह सोशल मेडिसिन एंड कम्युनिटी हेल्थ में एमफिल कर रहे हैं.
पंकज ने आगे बताया कि कैसे उनके माता-पिता तब से फिक्रमंद हैं, जब से वह फर्जी खबरों का शिकार बने हैं. वो बताते हैं, "मेरे माता-पिता खाना नहीं खा पाए हैं. वे चिंतित हैं कि क्या हो रहा है, क्यों हो रहा है और मुझपर क्यों दाग लग रहा है. मेरे दोस्तों ने ये पूछने के लिए 20-30 बार फोन किया है कि क्या मैं ठीक हूं. मैं पिछले 2-3 दिनों से उदास हूं,”
सोशल मीडिया पर ट्रोल होना फिलहाल उनकी एकमात्र चिंता नहीं है. उन्हें डर है कि वह "सरकार के खिलाफ प्रदर्शन" करने के लिए मुसीबत में पड़ सकते हैं.
फर्जी खबरें फैलाने वालों के लिए पंकज के पास एक मैसेज है :
“आप एक तस्वीर में घेरा लगा सकते हैं और इसके साथ कुछ भी लिख सकते हैं. इससे आपके ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. लेकिन एक व्यक्ति और उनके परिवार पर इसका क्या असर पड़ेगा, इसे ध्यान में रखा जाना चाहिए.”
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