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सोशल मीडिया पर वायरल एक मैसेज में ये दावा किया जा रहा है कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने कर्नाटक हिजाब विवाद (Karnataka Hijab Row) के बीच छात्राओं को स्कूल में हिजाब पहनने की अनुमति दी है और कहा है कि ऐसा करने से छात्राओं को स्कूल प्रबंधन नहीं रोक सकता.
ये मैसेज ऐसे वक्त पर वायरल हो रहा है जब हाल में कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम फैसले में स्कूल में हिजाब बैन को जारी रखते हुए कहा था कि हिजाब इस्लाम धर्म की अनिवार्य प्रथा नहीं है. कोर्ट का अंतिम फैसला आने तक ये बैन जारी रहेगा.
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा मैसेज है -
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट को मुँहतोड़ जवाब दिया
मुंबई हाईकोर्ट फैसला सुनाते हुए कहता है- अगर कोई मुस्लिम छात्रा शिक्षा प्राप्त करने के लिए,, गाउन स्कॉर्फ या हिजाब पहनना चाहती है तो कॉलेज के मैनेजमेंट को रोकने का कोई अधिकार नहीं है. एक देश, दो क़ानून
कर्नाटक हाईकोर्ट- हिज़ाब इस्लाम का जरूरी हिस्सा नही
मुंबई हाईकोर्ट-- हिज़ाब लगाकर आने वाली छात्राओ को रोकने का अधिकार किसी को नही
हमें हाल की ऐसी कोई न्यूज रिपोर्ट नहीं मिलीं, जिनसे पुष्टि होती हो कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने हिजाब बैन को लेकर कोई फैसला दिया है. कर्नाटक हाईकोर्ट के हिजाब बैन को जारी रखने के फैसले की चर्चा सोशल मीडिया से लेकर मेन स्ट्रीम मीडिया तक रही थी.
जाहिर है अगर इस फैसले के ठीक उलट कोई फैसला आता तो वो खबर सुर्खियों में होती. लेकिन, ऐसी कोई रिपोर्ट किसी मेन स्ट्रीम मीडिया प्लेटफॉर्म पर नहीं है
बॉम्बे हाईकोर्ट और हिजाब से जुड़े कीवर्ड सर्च करने पर हमें पता चला कि 2022 में तो नहीं, लेकिन इस अदालत में साल 2018 में स्कूल में हिजाब से जुड़ा एक मामला जरूर आया था.
PTI की 23 मई, 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई के श्री साईं होम्यपैथिक कॉलेज की छात्रा फाकेहा बदामी ने Bombay HC में याचिका दायर कर कहा था कि कॉलेज में उसे कम अटेंडेंस का हवाला देकर परीक्षा देने से रोका जा रहा है, जबकि उसकी अटेंडेंस कम इसलिए थी क्योंकि उसे हिजाब की वजह से कक्षा में प्रवेश नहीं दिया गया था.
सबसे पहले छात्रा ने नवंबर 2017 में बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जब उसे परीक्षा में बैठने से रोका गया था. कॉलेज ने उस वक्त कोर्ट से कहा था कि छात्रा को अगले साल (2018) में होने वाले रिपीटर एग्जाम में बैठने का मौका दिया जाएगा. पर छात्रा का आरोप था कि उसे 2018 में रिपीटर्स लैक्चर तो अटेंड करने की अनुमति मिली, पर परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया.
द क्विंट पर भी 25 मई को इस मामले की रिपोर्ट पब्लिश हुई थी.
15 मार्च 2022 को कर्नाटक हाईकोर्ट ने शैक्षिक संस्थानों में हिजाब बैन को चुनैती देने वाली कई याचिकाओं को खारिज कर दिया था. हाईकोर्ट का कहना था कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि ड्रेस कोड का निर्देश संवैधानिक है और स्टूडेंट्स इसपर आपत्ति नहीं कर सकते.
छात्रों ने स्कूल कॉलेजों में हिजाब पहनने पर बैन लगाने के सरकार के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिसके बाद 9 फरवरी को चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की बेंच का गठन किया गया था. अपनी याचिका में छात्रों ने कहा थी कि उन्हें क्लास के अंदर भी हिजाब पहनने की अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि यह इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा है.
उडुपी के प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की छह मुस्लिम स्टूडेंट्स को हिजाब पहनकर क्लास में प्रवेश करने से रोक दिया गया था. स्टूडेंट्स ने इसका विरोध किया और विरोध अन्य जिलों में भी फैल गया. ये एक बड़ा विवाद बन गया. कुछ हिंदू स्टूडेंट्स के भगवा गमछा ओढ़कर कॉलेज आने के बाद कई शहरों में तनाव फैल गया था.
मुस्लिम स्टूडेंट्स ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और मांग की कि उन्हें हिजाब पहनकर क्लास में प्रवेश करने की अनुमति दी जाए
सोशल मीडिया पर किया जा रहा ये दावा सच नहीं है कि स्कूलों में हिजाब बैन को लेकर बॉम्बे HC ने कर्नाटक हाईकोर्ट से ठीक उलट फैसला दिया है. हाल में बॉम्बे हाईकोर्ट की तरफ से ऐसा कोई आदेश नहीं आया है.
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