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कोरोना की दूसरी लहर के बाद देश के कई हिस्सों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए लॉकडाउन और कर्फ्यू लगा दिए गए हैं. संक्रमितों और संक्रमण से होने वाली मौतों के आंकड़े डराने लगे हैं. इसी बीच सोशल मीडिया पर कोरोना का घरेलू इलाज बताते ऐसे कई दावे दोबारा शेयर किए जाने लगे है, जो साल 2020 में किए गए थे.
कभी कपूर और हल्दी की भाप को कोरोना संक्रमण रोकने में कारगर बताया जा रहा है. तो कभी दावा किया जा रहा है कि नींबू पानी पीने से वायरस को फेफड़ों तक पहुंचने से रोका जा सकता है. कोरोना को लेकर फैल रहे झूठ को पहचानना भी महामारी के खिलाफ छिड़ी इस लड़ाई का अहम हिस्सा है. कोरोना का झूठा इलाज बताते इन सभी दावों का सच जानिए.
दावा : पानी के साथ नींबू पीने से वायरस फेंफड़ों तक पहुंचने से पहले ही खत्म हो जाते हैं
अखबार की एक कटिंग शेयर की जा रही है. जिसमें कोरोना के सामान्य लक्षण बताए गए हैं. साथ में वायरस के इलाज को लेकर भी कुछ दावे किए गए हैं. दावा है कि नींबू और पानी साथ पीने से कोरोना वायरस फेंफड़ों तक नहीं पहुंच पाता.
दावे की पुष्टि के लिए हमने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के सेंटर फॉर एडवांस रिसर्च इन वायरोलॉजी के प्रमुख रह चुके डॉ. जैकब टी जॉन से संपर्क किया. डॉ.जैकब ने बताया कि नींबू औऱ पानी पीने से कोरोना के संक्रमण को नहीं रोका जा सकता. नींबू विटामिन सी का एक अच्छा सोर्स जरूर है. लेकिन, इसका कोविड 19 के इलाज से कोई संंबंध नहीं.
नींबू पानी से वायरस को फेंफड़ों तक पहुंचने से रोका जा सकता है ? वायरल मैसेज में किए गए इस दावे का जवाब देते हुए डॉ जैकब कहते हैं -
दावा : हल्दी, अजवाइन और कपूर गर्म पानी में डालकर भाप लें और कोरोना से बचें
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा मैसेज है - अगर सांस लेने में दिक्कत आ रही है तो हल्दी, अजवाइन और कपूर गर्म पानी में डालकर दिन में एक से सवा घण्टे के अंतराल से भाप (स्ट्रीम) लेते रहें. #करो_खुद_की_सुरक्षा_कोरोना_से
भाप लेने से कोरोना ठीक होने से जुड़े कई तरह के मैसेज वायरल हैं
ऐसी कोई रिसर्च रिपोर्ट हमें नहीं मिली जिससे पुष्टि होती हो कि भाप लेने से कोरोना वायरस का संक्रमण खत्म हो जाता है. डॉ. जैकब के मुताबिक, हल्दी, अजवाइन और कपूर से भाप लेने से कोरोना के इलाज वाली बात पूरी तरह बेबुनियाद है.
इन तीन चीजों को मिलाकर भाप लेने से क्या सांस लेने में होने वाली तकलीफ दूर हो सकती है? या फिर सांस की नली साफ होती है? इस सवाल के जवाब में डॉ. जैकब कहते हैं -
पिछले साल गरम पानी की भाप लेने से कोरोना संक्रमण खत्म होने का दावा किया गया था. क्विंट की वेबकूफ टीम ने इस दावे की पड़ताल की थी और ये दावा झूठा निकला था.
फोर्टिस हॉस्पिटल में डिपार्टमेंट ऑफ पल्मोनोलॉजी के हेड डॉ. विकास मौर्या ने क्विंट से हुई बातचीत में बताया था कि नाक या गले में हुए वायरल इंफेक्शन या फिर सायनस में भाप लेने से सांस की नली साफ होती है. लेकिन कोरोना के इलाज से इसका कोई संबंध नहीं है.
डॉ. मौर्य ने आगे बताया कि भाप लेने से गले को आराम मिलता है. ये मरीजो को कुछ लक्षणों से राहत दिलाने में मदद कर सकता. लेकिन, ऐसा करने से वायरस मरता नहीं है.
नमक और गरम पानी की भाप लेने से कोविड-19 का संक्रमण खत्म होने वाले दावे को WHO अगस्त 2020 में फेक बता चुका है.
मतलब साफ है कि सांस लेने में तकलीफ होने पर भाप ली जा सकती है पर इससे कोरोना वायरस का इलाज नहीं होता. भाप के पानी में हल्दी, अजवाइन और कपूर मिलाने से भी कोरोना का इलाज संभव नहीं . बल्कि कपूर से भाप लेना शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है.
दावा : नाक - कान में सरसों का तेल डालकर कोरोना से बच सकते हैं
एक वायरल मैसेज में दावा है कि नाक और कान में सरसों का तेल डालने से कोरोना वायरस से बच सकते हैं. वायरोलॉजिस्ट डॉ. जैकब टी जॉन के मुताबिक, नाक में सरसों का तेल डालना लंग्स के लिए हानिकारक हो सकता है. वहीं कान में में तेल डालकर वायरस का इलाज संभव नहीं है.
नाक और कान में सरसों का तेल डालने से कोरोना वायरस ठीक होने का दावा झूठा है. यहां तक कि नाक में कोई भी वनस्पति तेल डालना आपकी लंग्स के लिए हानिकारक हो सकता है. कान में सरसों का तेल डालकर किसी वायरस का इलाज संभव नहीं है. कान के जरिए शरीर में कोई वायरस प्रवेश नहीं करता. न ही कान में कोई भी दवा डालकर वायरस को रोका जा सकता है.
25 अप्रैल, 2020 को योग गुरू बाबा रामदेव ने भी ये दावा किया था कि नाक में सरसों का तेल डालने से कोविड-19 से बचा जा सकता है. बाबा रामदेव का दावा था कि सरसों ता तेल नाक में डालने से, वायरस इंसान के पेट तक पहुंचेगा और पेट में मौजूद एसिड उसे खत्म कर देंगे.
क्विंट की वेबकूफ टीम ने इस दावे की पड़ताल की थी और पड़ताल में ये दावा फेक निकला था. अपोलो हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन फिजिशियन डॉ. सुरंजीत चटर्जी ने वेबकूफ से हुई बातचीत में बताया था कि बाबा रामदेव के इस दावे का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.
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