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COVID19 डॉक्टर को मुस्लिमों की भीड़ ने नहीं मारा, फर्जी है खबर 

वायरल हो रहे इस मैसेज की हकीकत जानिए

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वायरल हो रहे इस मैसेज की हकीकत जानिए
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वायरल हो रहे इस मैसेज की हकीकत जानिए
(फोटो : altered by Quint Hindi)

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मार्च महीने में दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी जमात की घटना सामने आने के बाद से मुसलमानों को टारगेट करने वाले कई फर्जी खबरें और अप्रमाणिक जानकारी इंटरनेट पर फैलाई जा रही है. ऐसे ही एक फर्जी दावे की पड़ताल की गई.

दावा

एक वायरल मैसेज में दावा किया गया है कि डॉ. वंदना तिवारी, जो कोरोनोवायरस रोगियों के इलाज में शामिल थीं, उन पर पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश में "इस्लामी जिहादियों" ने हमला किया, जिसके बाद उन्होंने दम तोड़ दिया.

मैसेज को इस दावे के साथ सर्कुलेट किया जा रहा है- “आज डां वंदना तिवारी की मृत्यु हो गई वह पिछले हफ्ते ही UP के एक गाँव में कोरोना टेस्ट के लिए गई थी पर इस्लामिक जिहादीयों ने उन पर हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया था आज उनकी मौत हो गई, भगवान इनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। ओम शांति शांति | आखिर कब तक..... चलेगा ये जिहादियों का अत्याचार.....!

(फोटो - स्क्रीनशॉट)
(फोटो - स्क्रीनशॉट)

इसी दावे के साथ इस मैसेज को फेसबुक पर भी कई लोगों ने शेयर किया है

(फोटो - स्क्रीनशॉट)
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दावा सही या गलत?

क्विंट पुष्टि कर सकता है कि जिस दावे के साथ इस मैसेज को फैलाया जा रहा है वह झूठा है. शिवपुरी मेडिकल कॉलेज में एक फार्मासिस्ट और गर्ल्स हॉस्टल की केयरटेकर वंदना तिवारी की मृत्यु "ब्रेन हैमरेज" की वजह से हुई, न कि "इस्लामी जिहादियों" के हमले के कारण.

पड़ताल में क्या मिला?

"Dr. Vandana Tiwari Death" की-वर्ड से हमने गूगल पर सर्च किया, जिससे हमें घटना के बारे में कई न्यूज रिपोर्ट्स तक पहुंचे. News18 Hindi की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वंदना तिवारी शिवपुर मेडिकल कॉलेज में गर्ल्स हॉस्टल की फार्मासिस्ट और केयरटेकर थीं. रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी मृत्यु का कारण ब्रेन हैमरेज था.

चूंकि रिपोर्ट में उनकी यूपी की यात्रा और भीड़ द्वारा किए गए हमले का कोई जिक्र नहीं था, इसलिए हमने एसपी, शिवपुरी, राजेश सिंह चंदेल से संपर्क किया. उन्होंने पुष्टि की, कि वंदना तिवारी फार्मासिस्ट के तौर पर काम करती थीं और ग्वालियर के बिड़ला अस्पताल में ब्रेन हैमरेज से उनकी मृत्यु हो गई.

“वंदना तिवारी फार्मासिस्ट के तौर पर शिवपुरी मेडिकल कॉलेज में कार्यरत थीं. 31 मार्च को उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्हें 1 अप्रैल को ग्वालियर के बिड़ला अस्पताल में रेफर कर दिया गया, जहां 7 अप्रैल को ब्रेन हेमरेज से उनकी मौत हो गई. उन्हें किसी भी कोरोनोवायरस-संबंधी टेस्ट के लिए यूपी नहीं भेजा गया था.”
-राजेश सिंह चंदेल, एसपी, शिवपुरी

हम मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ), शिवपुरी की ओर दर्ज की गई घटना पर की रिपोर्ट तक भी पहुंचे, जिसमें विवरण की पुष्टि की गई है.

इसके बाद, हमने डॉ. अभिषेक चौहान से संपर्क किया, जो ग्वालियर के बिड़ला अस्पताल में वंदना तिवारी का केस देख रहे थे. उन्होंने हमें बताया कि वंदना तिवारी को 1 अप्रैल को अचेत अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्होंने बताया, “ब्रेन हैमरेज से उनकी मौत हो गई. हमने COVID-19 के लिए उनके खून के नमूने का भी टेस्ट किया, जो नेगेटिव निकला.”

यूपी पुलिस ने भी ट्विटर पर एक स्पष्टीकरण जारी किया है जिसमें कहा गया है कि यह मामला मध्य प्रदेश से संबंधित है और यूपी में ऐसा कोई मामला प्रकाश में नहीं आया है.

जाहिर है, ब्रेन हैमरेज के कारण फार्मासिस्ट की मृत्यु को गलत सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है.

(SM HoaxSlayer से इनपुट्स के साथ)

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