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COVID-19:TikTok पर फेक न्यूज बढ़ने की आशंका,सरकार ने उठाया ये कदम

श्रेयसी रॉय
वेबकूफ
Published:
(फोटो: एरम गौर/क्विंट)
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(फोटो: एरम गौर/क्विंट)

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मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (MeitY) ने टिकटॉक और हेलो जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से कहा है कि वो कोरोना वायरस महामारी के बीच फेक न्यूज फैलाने वाले यूजर को प्लेटफॉर्म से हटा दें.

MeitY ने ये कदम दिल्ली स्थित डिजिटल लैब Voyager Infosec की उस रिपोर्ट के बाद उठाया है, जिसमें कहा गया है कि महामारी के बीच टिकटॉक पर मुस्लिमों को कोरोना वायरस पर भ्रमित करने वाले फेक वीडियो में इजाफा हुआ है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय मुस्लिमों को टारगेट कर गलत जानकारी और फेक न्यूज का कैंपेन चलाया गया है. इसके जरिए मुस्लिमों को कोरोना वायरस पर हेल्थ एडवाइजरी न मानने के लिए धार्मिक भावना का हवाला देते हुए प्रभावित किया जा रहा है.  

Voyager के मुताबिक, टिकटॉक ज्यादा प्रभावी और प्रोफेशनल वीडियो का ऐसा पप्लेटफॉर्म बन गया है, जहां मुस्लिमों को सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन के खिलाफ उकसाया जा रहा है.

Voyager की रिपोर्ट में ऐसे 50 वीडियो का जिक्र है. हालांकि उनकी शुरुआती जांच में ऐसे कई सौ वीडियो मिले.

मुस्लिमों को गुमराह करने की सोची-समझी कोशिश

Voyager की रिपोर्ट में पता चला कि ये वीडियो हिंदी और हल्की उर्दू का मिश्रण हैं. इससे संकेत मिलता है कि ये भारतीय मुसलमानों को टारगेट करती हैं. इनमें से कुछ वीडियो धार्मिक किताबों की बातें कहती हैं और मुस्लिमों से हाथ मिलाना न बंद करने और धार्मिक जगहों पर जाना न बंद करने जैसी बातें हैं. कुछ वीडियो में दावा किया गया कि कोरोना वायरस मुस्लिमों को नहीं मार सकता.

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में ऐसी वीडियो की बात कही गई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, एक वीडियो में बच्चा महामारी को ‘अल्लाह का NRC’ बताता है. बच्चा दावा करता है कि अल्लाह तय करेगा कि कौन मरेगा और कौन जिन्दा रहेगा. वीडियो के अंत में बच्चे अपने मास्क हवा में उछालते हैं और बैकग्राउंड में गाना बजता है- ‘अल्लाह से डर’.  

ऐसी ही और वीडियो अपलोड करने वाले अकाउंट इन वीडियो के वायरल होने के बाद डिलीट हो गए. इससे संकेत मिलता है कि इन्हें बनाने और फैलाने की जानबूझकर कोशिश हुई है.

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MeitY ने टिकटॉक से फेक न्यूज शेयर करने वाले यूजर को हटाने को कहा

क्विंट के पास MeitY का टिकटॉक और हेलो को भेजा गया मेमो है. इसके मुताबिक, मंत्रालय ने प्लेटफॉर्म्स से ऐसे सभी यूजर को हटाने को कहा. इसके साथ ही ये सुनिश्चित करने को कहा कि ऐसे वीडियो वायरल न हों और हटाए भी जाएं. मंत्रालय ने इन वीडियो की जानकारी संभाल के रखने के निर्देश दिए हैं, ताकि कानूनी एजेंसियों के साथ इन्हें साझा किया जा सके.

मंत्रालय ने टिकटॉक और हेलो से बाकी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के साथ तालमेल बैठने को कहा है, जिससे डिलीट किए गए वीडियो किसी और प्लेटफॉर्म पर न रहें और उनकी पहचान करके हटाया जा सके.  

MeitY ने टिकटॉक से इस मामले में लिए जा रहे सभी एक्शन की डेली रिपोर्ट साझा करने को कहा है.

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, MeitY ने फेक न्यूज को लेकर ऐसे ही निर्देश फेसबुक को भी दिए हैं.

सरकार के साथ काम कर रहे: टिकटॉक

टिकटॉक ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वो प्लेटफॉर्म पर विश्वसनीय जानकारी देने के लिए काम कर रहे हैं. टिकटॉक के प्रवक्ता ने क्विंट को बताया, "हम गलत जानकारी से लड़ने में सरकार के साथ काम कर रहे हैं."

4 अप्रैल को एक न्यूजरूम पोस्ट में टिकटॉक ने बताया कि उन्होंने अपना मॉडरेशन और ज्यादा बढ़ा दिया है और कम्युनिटी गाइडलाइन का उल्लंघन करने वाला कंटेंट हटा रहे हैं.  

इसके अलावा प्लेटफॉर्म ने कहा कि उसने ऐसे हजारों वीडियो हटाए हैं, जो COVID-19 से जुड़े तथ्यों के विपरीत थे और उनकी पॉलिसी का उल्लंघन करने वाले यूजर को बैन कर रहे हैं.

YouTube चैनल भी फैला रहे गलत जानकारी

Voyager रिपोर्ट में ऐसे YouTube चैनलों का भी जिक्र है, जिन्होंने तबलीगी जमात मरकज चीफ मौलाना साद के वीडियो और ऑडियो अपलोड किए हैं. इनमें मौलाना मुस्लिमों से सोशल डिस्टेंसिंग का मजाक उड़ाने को कह रहे हैं.

ऐसे ही एक चैनल ने एक वीडियो पोस्ट क्या जिसमें दावा किया गया कि मरकज के सदस्यों में एक भी पॉजिटिव केस नहीं मिला है.  

Voyager रिपोर्ट से पता चलता है कि ऐसे कई वीडियो पाकिस्तान और मिडिल ईस्ट में शूट किए गए हैं, लेकिन उनमें हिंदी सुपरइंपोज की गई है.

गृह मंत्रालय को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि मुस्लिमों को गुमराह करने के लिए जानबूझकर गलत जानकारी फैलाई जा रही है.

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