Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Webqoof Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019जागरूकता के लिए बनाया गया वीडियो झूठे सांप्रदायिक दावे से वायरल

जागरूकता के लिए बनाया गया वीडियो झूठे सांप्रदायिक दावे से वायरल

ये वीडियो सिर्फ शिक्षा और मनोरंजन के उद्देश्य से बनाया गया है.

अर्पिता घोष
वेबकूफ
Published:
<div class="paragraphs"><p>ये वीडियो सिर्फ शिक्षा और मनोरंजन के उद्देश्य से बनाया गया है.</p></div>
i

ये वीडियो सिर्फ शिक्षा और मनोरंजन के उद्देश्य से बनाया गया है.

(फोटो: Altered by The Quint)

advertisement

सोशल मीडिया पर एक वीडियो सांप्रदायिक (Communal) दावे के साथ शेयर किया जा रहा है. दावा किया जा रहा है कि मुस्लिम समुदाय के लुटेरों ने ज्वैलरी क्लीनर के भेष में एक जोड़े (कपल) को बेहोश कर उनके जेवर लूट लिए.

हालांकि, हमने पाया कि वीडियो में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है. इसे सिर्फ शिक्षा के उद्देश्य से बनाया गया था.

दावा

एक ट्विटर यूजर ने वीडियो को शेयर कर कैप्शन में लिखा, "शांतिदूतो का नया कारनामा… आपकी गली में ऐसे टोपी वाले फ़क़ीर घूमते है तो … उसको गली में घुसने न दे..."

"शांतिदूत'' शब्द का इस्तेमाल मुस्लिमों के लिए बार-बार अपमानजनक तौर पर व्यंग्यात्मक तरीके से किया जाता है.

पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/ट्विटर)

फेसबुक और ट्विटर दोनों जगह ये वीडियो इसी दावे के साथ शेयर किया गया है. इनके आर्काइव आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

पड़ताल में हमने क्या पाया

हमें फेसबुक पर इसी दावे के साथ शेयर किया गया एक और वीडियो मिला. इस वीडियो के आखिर में एक डिस्क्लेमर था जिसमें लिखा था कि वीडियो केवल शैक्षिक उद्देश्य के लिए है.

वीडियो के आखिर में डिस्क्लेमर देखा जा सकता है

(फोटो: स्क्रीनशॉट/फेसबुक)

इसके अलावा, हमने ये भी पाया कि सीसीटीवी फुटेज में ''टाइमिंग'' दाईं ओर देखी जा सकती है जो 9:21:00 पर रीसेट हो रहा है.

हम देख सकते हैं कि सीसीटीवी समय में अंतर है.

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/फेसबुक)

इसके बाद, हमने वीडियो वेरिफिकेशन टूल InVid WeVerify की मदद से वीडियो को कई कीफ्रेम में बांटा और उनमें से कुछ कुछ पर रिवर्स इमेज सर्च किया.

रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें 'Rock on media' नाम के फेसबुक पेज पर एक वीडियो मिला. 10 नवंबर को पोस्ट किए गए 3 मिनट 4 सेकंड के इस वीडियो को आर्टिकल लिखते समय तक 11,000 से ज्यादा बार देखा जा चुका है.

वीडियो के कैप्शन में लिखा है "अपने ऑनलाइन दोस्तों से सावधान रहें. देखने के लिए धन्यवाद! कृपया ध्यान रखें कि इस पेज में स्क्रप्टेड ड्रामा और पैरोडी हैं. ये शॉर्ट फिल्में सिर्फ मनोरंजन और शैक्षिक उद्देश्यों के लिए हैं!''

वीडियो के आखिर में, डिस्क्लेमर में लिखा है, ''ये रील लाइफ वीडियो फुटेज सिर्फ जनता को ये समझाने के लिए पब्लिश किया गया है कि वास्तविक दुनिया की स्थिति कैसी होगी. इस वीडियो को बनाने के दौरान हमने वास्तविक घटनाओं को पिक्चराइज किया है, ताकि जनता को शिक्षित किया जा सके. वीडियो में दिख रहे पात्र सिर्फ मनोरंजन और शिक्षा के उद्देश्य से रखे गए हैं.''

हमने फेसबुक पेज के एडमिन से संपर्क किया है और उनका जवाब आते ही स्टोरी अपडेट कर दी जाएगी.

मतलब साफ है, शिक्षा और मनोरंजन के उद्देश्य से बनाए गए एक वीडियो को सोशल मीडिया पर असली घटना का वीडियो बता झूठे सांप्रदायिक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT