Whatsapp पर आने वाली तस्वीरों में से कितनी फेक?

MIT के दो रिसर्चर्स ने 2018 के आखिर से लेकर 2019 के मिड तक इसपर स्टडी की है.

कृतिका गोयल
वेबकूफ
Published:
Whatsapp पर आने वालीतस्वीरों में से कितनी फेक?
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  • वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास

भारत में पब्लिक-पॉलिटिकल WhatsApp ग्रुप में शेयर होने वाली लगभग 13 फीसदी तस्वीरें गलत जानकारी देती हैं. ये बात एक स्टडी में सामने आई है. MIT के दो रिसर्चर्स ने 2018 के आखिर से लेकर 2019 के मिड तक इसपर स्टडी की है. इस दौरान, पुलवामा हमला, बालाकोट एयर स्ट्राइक और लोकसभा चुनाव जैसी बड़ी घटनाएं हुई थीं और जमकर फेक न्यूज भी शेयर किए गए थे.

एक बड़ी बात जो सामने आई, वो ये थी कि इन पब्लिक ग्रुप पर जो तस्वीरें शेयर हुईं, उनमें 8 में से 1 गलत थी. उनमें फैक्ट को लेकर गलत जानकारी दी हुई थी. दूसरी बात, हम ये पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि इन तस्वीरों का कैसे गलत इस्तेमाल किया जाता है. इमेज मिसइंफॉर्मेशन क्या है, कैसे जानकारी के तौर पर तस्वीरों का गलत इस्तेमाल किया जाता है. 
किरण गैरिमेला, रिसर्चर, MIT
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इमेज मिसइंफॉर्मेशन की तीन कैटेगरी हैं: स्टडी

  • OUT OF CONTEXT : इसका मतलब है कि किसी पुरानी तस्वीर को बिना संदर्भ के दोबारा शेयर किया जा रहा है.
  • PHOTOSHOPPED: इसका मतलब तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ की गई है.
  • MEMES : ये बड़े लोगों के नाम पर फेक कोट या फिर कोई गलत जानकारी होती है.

स्टडी के सैंपल में 70 फीसदी गलत जानकारी केवल इन तीन कैटेगरी से थीं. सैंपल में 2/3 तिहाई गलत जानकारी इन्हीं तीन कैटेगरी से मिली हैं.

उदाहरण के तौर पर पांच साल पहले एक प्लेन क्रैश हुआ था, उसे कोई हाल ही में हुआ बताकर शेयर कर रहा था. इस तरह के फेक न्यूज ज्यादातर इस्तेमाल होते हैं. इस तरह जो चीजें फैलाईं जाती हैं, वो मिसइंफॉर्मेशन का करीब 30 फीसदी है. इसके बाद सिंपल फोटोशॉप तस्वीरें हैं. फोटो के साथ छेड़छाड़ की जाती है, लेकिन ये डीप-फेक लेवल जितना गंभीर नहीं है. इसमें फोटो के साथ गलत टेक्ट या इस तरह की हरकतें की जाती हैं. इनमें से सबसे पॉपुलर ब्रेकिंग न्यूज टाइप तस्वीरें हैं, जिन्हें देखकर लगता है कि वो किसी टीवी न्यूज प्रोग्राम की हैं, लेकिन असल में इन स्क्रीनशॉट से छेड़छाड़ की हुई होती है. हमारी 15% तस्वीरें ऐसी ही थीं.

इसके बाद, मीम्स या नॉर्मल तस्वीरें हैं, जिनपर कुछ लिखा दिया गया होता है. ये फेक कोट्स भी हो सकते हैं, जैसे बिल गेट्स का पीएम मोदी को लेकर कोई कोट या बीबीसी का कोई पोल. इस तरह की तस्वीरें भी बड़े हिस्से में शेयर होती हैं- करीब 30%. तो मैं ये बताना चाहूंगा कि हमारे डेटा का करीब 70 फीसदी यही तस्वीरें हैं.

फेक न्यूज के गंभीर नतीजे भारत में देखने को मिले हैं

WhatsApp पर शेयर होने वाली अनवेरिफाइड तस्वीरों और वीडियो के भारत में गंभीर नतीजे देखने को मिले हैं. कुछ मामलों में, WhatsApp फॉरवर्ड के कारण लोग लिंचिंग तक का शिकार हुए हैं. 2018 में, WhatsApp ने बताया था कि भारत में सबसे ज्यादा मैसेज फॉरवर्ड किए जाते हैं.

कैसे इनका सामना करें?

जून 2020 में पब्लिश हुई एक दूसरी स्टडी में सामने आया है कि लोगों को मैसेज की एक्युरेसी जानने के लिए कहना असरदार है. इससे लोग सोचते हैं कि वो आगे मैसेज शेयर करना चाहते हैं या नहीं. आसान तरीका ये है कि डिवाइस में कुछ ऐसा हो, जिसपर, पोस्ट करने से पहले फैक्ट-चेक किया जा सके. और ये इनक्रिप्शन को ब्रेक किए बिना भी हो सकता है. हम अपने काम में यही दिखाते हैं. इस तरह से गलत जानकारी को आगे शेयर होने से काफी हद तक रोका जा सकता है.

तो अगर पहले ही चेक कर लेंगे कि वो पहले शेयर हुआ है, और हमें मालूम है कि वो गलत है तो इस तरह से बड़े लेवल पर इस तरह की गलत जानकारी शेयर होने से रोकने में मदद मिलती है. ये एक आसान तरीका है, जो काफी असरदार हो सकता है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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