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सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें कार में बैठे 2 लोग ''FASTag स्कैम'' को लेकर कुछ बताते दिख रहे हैं. वीडियो में देखा जा सकता है कि पहले एक बच्चा कार की स्क्रीन साफ करता है, तभी ड्राइवर अपने साथी को बताता है कि कैसे बच्चे ने अपनी घड़ी में लगे स्कैनर का इस्तेमाल उसके फास्टटैग अकाउंट से पैसे हड़पने में किया.
ये अकाउंट से लिंक होता है, जिससे ड्राइवर को टोल प्लाजा की कतार में नहीं लगना पड़ता. FASTag पेमेंट्स को मैनेज करने वाले नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCL), डिजिटल प्लेटफॉर्म Paytm और एथिकल हैकर्स ने वायरल वीडियो में किए जा रहे दावों को फेक बताया है.
इन सभी का मानना है कि वीडियो में जिस तरह से दिखाया गया है, वैसे किसी के FASTag अकाउंट से पैसे चुराना बिल्कुल भी संभव नहीं है. हमें वो फेसबुक पेज भी मिला जहां से वीडियो पहली बार पोस्ट किया गया था. पेज के एडमिन ने हमें बताया कि वीडियो जागरुकता के लिए बनाया गया था.
वीडियो के साथ शेयर हो रहा कैप्शन है : अगर आपकी गाडी पे FASTAG है तो ये वीडियो जरूर देखे
रिपोर्ट लिखे जाने तक वीडियो को 22 मिलियन से ज्यादा बार देखा जा चुका है.
कीवर्ड्स सर्च करने पर हमें करण सिंह नाम के इंफ्लूएंसर के कुछ दावे मिले. करण ने अपने फेसबुक पेज और यूट्यूब पर पॉडकास्ट में भी ऐसे ही दावे किए हैं.
करण सिंह के 2,87,000 फॉलोअर हैं, फेसबुक पर उनके वीडियो को 3,600 से ज्यादा बार देखा जा चुका है और यूट्यूब पॉडकास्ट पर 27,000 व्यूज हैं.
हमने गूगल पर "FASTag scam" कीवर्ड सर्च करने पर पेटीएम और NPCI के सोशल मीडिया पोस्ट्स मिले. इन पोस्ट्स में वीडियो में किए जा रहे दावों को फेक बताया गया है.
NPCI के सोशल मीडिया पोस्ट में बताया गया है कि FASTag पर्सन टू मर्चेंट (P2M) मॉडल पर काम करता है. कोई अन्य शख्स इसके जरिए आपके खाते से पैसे नहीं निकाल सकता.
NPCI के बयान में ये भी बताया गया है कि केवल वही डीलर FASTags के जरिए पैसे ले सकते हैं, जो वाइट लिस्टेड हैं. इसके अलावा केवल उसी आईपी एड्रेस और यूआरएल से पैसा निकाल सकते हैं, जिसे अनुमति मिली हुई है.
पेटीएम ने ट्विटर पर लिखा
NETC guidelines में भी हमें वही जानकारी मिली, जो पेटीएम के ट्वीट में बताई गई है.
जैसा कि ऊपर बताया गया है कोई भी व्यक्ति तब तक FASTAG से पैसे नहीं निकाल सकता, जब तक वो अधिकृत न हो. FASTAG को टोल प्लाजा पर टोल प्लाजा के खास तरह के कोड और आइडी के जरिए कनेक्ट किया जाता है. इस कोड और आइडी को NPCI वेरिफाई करता है.
यानी अगर किसी के हाथ टोल प्लाजा का स्कैनर लग भी जाता है, तब भी पैसा उसके पास नहीं जाएगा, अधिकृत मर्चेंट यानी टोल प्लाजा के पास ही जाएगा. इसके अलावा, अगर ऐसा संभव होता तो रोजोना पार्किंग में या टोल प्लाजा पर लोगों के साथ ऑनलाइन ठगी की कई खबरें आतीं.
वीडियो में दिख रहे लोगों का स्क्रीनशॉट लेकर हमने गूगल पर रिवर्स सर्च किया. हमें पता चला कि वीडियो में ''FASTAG'' को लेकर गलत दावे करता दिख रहा शख्स यूट्यूबर है, BB Pranks नाम से उसका यूट्यूब चैनल है और वो नियमित स्क्रिप्टेड वीडियोज पोस्ट करता है.
इसी यूट्यूब पेज से Anubhav Golia का सोशल मीडिया अकाउंट भी लिंक था.
रिपोर्ट लिखे जाने तक एडमिन ने इस वीडियो के कैप्शन को बदल दिया है और स्पष्ट कर दिया है कि ये वीडियो ''स्क्रिप्टेड'' है.
हाल में सोशल मीडिया पर कई स्क्रिप्टेड वीडियो को असली घटना का बताकर उन्हें गलत नैरेटिव फैलाने के मामले सामने आए हैं. क्विंट की वेबकूफ टीम ने ऐसे कई दावों की पड़ताल की है, पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
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