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जर्मनी के ड्रेस्डेन शहर में ट्रैक्टरों पर प्रदर्शन करते किसानों का एक वीडियो इस झूठे दावे के साथ वायरल हो गया है कि जर्मन किसानों ने भारतीय किसानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए प्रदर्शन किया. भारत में किसान पिछले एक हफ्ते से नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.
वीडियो शूट कर रहे शख्स को ये कहते सुना जा सकता है कि जर्मनी में किसान सड़कों पर उतरकर भारतीय किसानों के समर्थन और मोदी के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं.
हमने पाया कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा ये वीडियो जर्मनी का ही है, लेकिन जर्मन किसान भारतीय किसानों के समर्थन में नहीं, बल्कि सैक्सनी में राज्य सरकार द्वारा निर्धारित नए फर्टीलाइजर नियमों के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए इकट्ठा हुए थे.
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इस वीडियो को शेयर कर लिखा, “जर्मनी के किसान भारतीय किसानों के समर्थन में.”
हिंदी न्यूज चैनल, न्यूज24 ने भी वीडियो को शेयर करते हुए लिखा कि जर्मनी में किसानों के समर्थन में प्रदर्शन हुआ है.
हम ये पता लगाने में कामयाब रहे हैं कि ये वीडियो जर्मनी के सैक्सनी में ड्रेस्डेन का है.
वायरल वीडियो में, 1:22 समय पर, एक पीले रंग ट्राम गुजरती है. इससे संबंधित एक कीवर्ड सर्च करने पर हमें स्टॉक-फोटो वेबसाइट पर एक फोटो मिली. Alamy वेबसाइट पर ट्राम की फोटो और वायरल वीडियो में ट्राम में काफी समानताएं दिखीं. दोनों ट्रेनों के ऊपर डिसप्ले पर ‘7 Pennrich’ लिखा है, जो इस ओर इशारा कर रहा है कि ये सैक्सनी में Weixdorf और Pennrich के बीच ट्राम लाइन 7 है.
दोनों ट्राम के बीच की गई तुलना देखिए”
हमने जर्मनी के संगठन Correctiv.org के एक फैक्ट चेकर, टिल एकर्ट से भी संपर्क किया, जिन्होंने कंफर्म किया कि ये वीडियो ड्रेस्डेन का ही है.
एकर्ट ने हमें बताया कि वीडियो 30 नवंबर को ड्रेस्डेन में हुए विरोध प्रदर्शन का है, जब नए फर्टीलाइजर नियमों के खिलाफ सैक्सन कृषि मंत्रालय के सामने प्रदर्शन किया गया था, उन्होंने कहा कि “इसका भारतीय किसानों के लिए एकजुटता दिखाने से कोई लेना-देना नहीं था.”
क्विंट की ओर से ‘Land schafft Verbindung’ से संपर्क करने वाले Correctiv.org को दिए एक बयान में, LSV के चेयरमैन पॉल कोम्प ने साफ किया कि संगठन, सैक्सन स्टेट फार्मर्स एसोसिएशन के साथ राज्य के फर्टीलाइजर अध्यादेश के संबंध में 30 नवंबर को ड्रेस्डेन में इकट्ठा हुआ था.
क्रॉस ने स्पष्ट किया कि प्रदर्शन फर्टीलाइजर अध्यादेश में लाल क्षेत्रों में कमी की मांग को लेकर था.
जर्मनी के न्यूज आउटलेट, Sachsische De, की एक रिपोर्ट में वायरल वीडियो के समान विजुअल्स हैं. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि “फर्टीलाइजर अध्यादेश का विरोध करने के लिए सैक्सनी के अलग-अलग जगहों से सैकड़ों किसान सोमवार दोपहर को अपने ट्रैक्टरों के साथ ड्रेसडेन आए.”
सैक्सनी के एक अखबार, Freie Presse ने भी रिपोर्ट किया कि फार्मर्स एसोसिएशन और ‘Land schafft Verbindung’ एसोसिएशन नए कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे.
वो तथाकथित ‘लाल क्षेत्रों’ को 80 प्रतिशत तक कम करने की मांग कर रहे हैं. इन ‘लाल क्षेत्रों’ के भूजल में नाइट्रेट प्रदूषण का उच्च स्तर माना जाता है, इसलिए ही सरकार ने इन क्षेत्रों में फर्टीलाइजर के उपयोग पर सख्त नियम लागू किए गए हैं.
इससे साफ होता है कि जर्मनी में किसान, भारतीय किसानों के समर्थन में नहीं, बल्कि सैक्सनी राज्य के नियमों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे.
(एडिटर्स नोट: न्यूज24 के गलत दावे को शामिल करने के लिए इस स्टोरी को अपडेट किया गया है.)
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