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स्क्रिप्ट और एडिटोरियल इनपुट: कृतिका गोयल, अभिलाष मलिक
वीडियो एडिटर: पुनीत भाटिया
जब ब्रेकिंग न्यूज कि स्थिति होती है, तो इस दौरान बहुत सी खबरें गलत या भ्रामक हो सकती हैं क्योंकि इस दौरान उस घटना से जुड़ी बहुत कम जानकारी होती है. क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है? ब्रेकिंग न्यूज के बीच गलत सूचना के बढ़ने की वजह क्या है?
जब भी कोई प्राकृतिक आपदा, आतंकवादी हमला या कोई बड़ी घटना होती है, तो ऐसी स्थिति में विश्वसनीय न्यूज वेबसाइटों पर उपलब्ध जानकारी के अलावा, दूसरे स्रोतों में भी उससे जुड़ी जानकारी परोसी जाती है. जो ज्यादातर गलत होती है.
किसी भी चीज को वेरिफाई करने का सबसे आसान तरीका है गूगल पर सर्च करके देखें, ताकि आपको संबंधित न्यूज पर कुछ भी क्रेडिबल या वेरिफाईड लीड मिल सके. किसी विश्वसनीय वेबसाइट पर जानकारी उपलब्ध नहीं है, तो संयम रखना चाहिए और जानकारी शेयर नहीं करनी चाहिए, क्योंकि ऐसा हो सकता है कि ये सच न हो.
कई बार ऐसा होता है कि वेरिफाइड हैंडल वाले सोशल मीडिया यूजर्स भी पुरानी और ऐसी फोटो शेयर करते हैं, जिनका घटना से कोई संबंध नहीं होता.
उदाहरण के लिए, रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें एक पत्रकार रिपोर्टिंग कर रहा था और उसके पीछे डिस्पोजबल बैग में लिपटे कई शव पड़े हुए थे. वीडियो में एक शव हिलते हुए दिख रहा था. इस वीडियो को शेयर कर ये दावा किया गया कि ''यूक्रेनी अपनी मौत का झूठा नाटक कर रहे हैं.''
हमने वीडियो का स्क्रीनशॉट लेकर रिवर्स इमेज सर्च किया और पाया कि ये क्लिप ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में जलवायु नीति के खिलाफ प्रदर्शन की है. ये वीडियो 4 फरवरी को ऑस्ट्रिया के एक मीडिया आउटलेट OE24 में पब्लिश हुआ था. ये फैक्ट चेक आप यहां पढ़ सकते हैं.
अगर ऊपर बताए गए तरीकों से आपको पुरानी फोटो या वीडियो नहीं मिलता, तो ऐसी स्थिति में आपको ये करना चाहिए
देखें कि इसे शेयर कौन कर रहा है
किसने इसे सबसे पहले शेयर किया है
क्या किसी सोर्स के बारे में बताया गया है?
सोशल मीडिया पर ऐसी पोस्ट जिसे किसी अज्ञात शख्स ने बिना सोर्स बताए पोस्ट किया है, निश्चित रूप से उसमें गड़बड़ी की संभावना है.
ऐसी स्थिति में जब कोई संकट लंबे समय तक रह सकता है, जैसे कि रूस का यूक्रेन पर हमला, तो वेरिफिकेशन प्रोसेस सेटअप करना जरूरी हो जाता है. आपको ऐसे विश्वसनीय स्रोत चाहिए, जहां से आपको वेरफाइड और सही जानकारी मिल सके, जैसे कि
ग्राउंड पर मौजूद पत्रकार या न्यूज ऑर्गनाइजेशन
आधिकारिक सरकारी सोशल मीडिया हैंडल
सिविल सोसायटी ऑर्गनाइजेशन
किसी संकट के समय, कुछ ऐसे फेक अकाउंट ऑनलाइन दिखने लग जाते हैं जो लोगों को गुमराह करने के लिए वास्तविक स्रोत होने का दिखावा करते हैं. ऐसे अकाउंट से निपटने के लिए आपको इन बातों का ध्यान रखना है
जांचे कि वो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से कब जुड़े.
क्या वो उस जानकारी का सोर्स बता रहे हैं जो वो शेयर कर रहे हैं?
क्या अकाउंट किसी ऑफिशियल वेबसाइट या ऑर्गनाइजेशन से जुड़ा हुआ है?
यूजर को दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देखें.
क्या उन्होंने अपनी प्रोफाइल पिक्चर के तौर पर स्टॉक इमेज का इस्तेमाल किया है.
('वेरिफाई किया क्या?' सीरीज का ये चौथा वीडियो है. इस सीरीज मे हम फैक्ट चेक और मीडिया साक्षरता की बारीकियों के बारे में बता रहे हैं. अगले वीडियो में हम बताएंगे कि कि कैसे आप अपने मोबाइल फोन का इस्तेमाल किसी सूचना की जांच के लिए कर सकते हैं.)
(अगर आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके सच होने पर आपको शक है, तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9643651818 या फिर मेल आइडी webqoof@thequint.com पर भेजें. सच हम आपको बताएंगे. हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज आप यहां पढ़ सकते हैं )
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