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सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि जापान "इस्लाम और सभी मुसलमानों पर प्रतिबंध लगाकर इस्लाम को दूर रखने की कोशिश में है."
पोस्ट में क्या है?: इसमें कई बातें कही गई हैं. मसलन जापान एकमात्र ऐसा देश है जो मुसलमानों को नागरिकता नहीं देता है. इसमें कहा गया है कि मुसलमानों को स्थायी निवास नहीं दिया जाता है और धर्म के प्रचार-प्रसार पर कड़ा प्रतिबंध है.
क्या ये दावे सच हैं?: नहीं, इस पोस्ट में कई झूठे और भ्रामक दावे किए गए हैं. पड़ताल में हमनें पाया कि जापान का नागरिक बनने के लिए कोई धार्मिक नियम या शर्त नहीं हैं.
टीम वेबकूफ ने वायरल पोस्ट में किए गए सात अलग-अलग दावों की एक एक कर पड़ताल की.
जापान में मुसलमानों के लिए कोई नागरिकता नहीं?: हमने यह जानने के लिए जापान के कानून मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट चेक की, कि क्या ऐसा कोई नियम है जो मुसलमानों को नागरिकता के लिए आवेदन करने से रोकता है?
इसमें कहा गया है कि जो लोग जापान के मूल नागरिक नहीं हैं, वो एक खास प्रक्रिया के जरिए जापान की नागरिकता हासिल कर सकते हैं. जापान में इस प्रक्रिया को 'नैचुरलाइजेशन' कहा जाता है.
कुछ शर्तें है जिन्हें पूरा करना जरुरी होता है, जैसे कि अप्लाई करने वाले को लगातार पांच साल या उससे ज्यादा समय तक जापान में रहना जरुरी है और उनकी उम्र बीस साल होनी चाहिए. लेकिन हमें ऐसी कोई नियम नहीं मिला जो विशेष रूप से किसी व्यक्ति के धर्म के बारे में कुछ कहता हो.
जापान में स्थायी निवास की प्रक्रिया: इमीग्रेशन सर्विस एजेंसी की वेबसाइट की जांच करने पर, हमें कई ऐसे कानूनी दायित्व की जानकारी मिली जिन्हें किसी व्यक्ति को स्थायी निवास परमिट लेने के लिए पूरा करना जरुरी होगा.
नियमों के मुताबिक यह कहा गया कि एक व्यक्ति को "अच्छे आचरण का होना चाहिए" और "स्वतंत्र जीवन जीने के लिए उसके पास पर्याप्त संपत्ति या स्किल" होना चाहिए.
यहां पर भी किसी भी धार्मिक नियम का उल्लेख नहीं था.
क्या इस्लाम के प्रचार-प्रसार पर कड़ा प्रतिबंध है?: जापान के संविधान के मुताबिक, अनुच्छेद 20 के तहत सभी को धर्म की स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है. इसमें आगे कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को किसी भी धार्मिक कार्य या अभ्यास में हिस्सा लेने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए.
द असाही शिंबुन की एक रिपोर्ट के मुताबिक जापान में इस्लाम को मानने वाली आबादी बढ़ रही है. इसमें कहा गया कि जापान में 2 लाख से ज्यादा मुसलमान रहते हैं.
अमेरिकी विदेश विभाग में छपी 2022 की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि वासेदा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एमेरिटस तनाडा हिरोफुमी ने अनुमान लगाया है कि जापान में लगभग 2.3 लाख मुस्लिम रहते हैं, जिनमें लगभग 47 हजार नागरिक शामिल हैं.
जापान में अरबी या इस्लामिक भाषाएं नहीं पढ़ाई जाती हैं?: टीम वेबकूफ ने पाया कि Tokyo University of Foreign Studies अरबी सहित लगभग 27 भाषाएं पढ़ाती है.
इसके अलावा Google पर एक कीवर्ड सर्च के जरिए हम ओसाका विश्वविद्यालय की वेबसाइट तक पहुंचे. इसमें अरबी सहित एक पाठ्यक्रम भी शामिल था.
सोफिया विश्वविद्यालय नाम के एक अन्य विश्वविद्यालय में एक चैप्टर है जिसमें मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका को बेहतर ढंग से समझने के लिए अरबी जैसी भाषा सीखना शामिल है.
क्या कोई व्यक्ति अरबी में छपा 'कुरान' इम्पोर्ट नहीं कर सकता?: सीमा शुल्क विभाग की वेबसाइट की जांच करने पर, हमें ऐसा कोई भी सबूत नहीं मिला जिसके मुताबिक धार्मिक पाठ को देश में आयात करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
हमने यह भी पाया कि क़ुरान को अमेजन जापान पर खरीदा जा सकता है.
दुनिया भर में जापान के कम दूतावास?: विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर जापान के विभिन्न दूतावासों के बारे में बताया गया है, जो दुनिया के विभिन्न हिस्सों में हैं.
इसमें अफगानिस्तान, ईरान, इराक, कुवैत, कतर, सऊदी अरब, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), यमन और अन्य देश शामिल थे.
मुसलमान जापान में घर किराए पर नहीं दे सकते?: जबकि कई ऐसी न्यूज रिपोर्ट्स हैं जो जापान में संपत्ति किराए पर लेने की कोशिश करने पर विदेशियों के प्रति भेदभाव की ओर इशारा करती हैं. लेकिन विशेष रूप से मुसलमानों को घर नहीं देने वाले लोगों का कोई उल्लेख नहीं है.
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो किसी विशिष्ट धर्म का पालन करने वाले व्यक्ति को संपत्ति रखने से रोकता हो.
निष्कर्ष: मुसलमानों के खिलाफ जापान की "कार्रवाई" के बारे में कई तरह के दावे करनी वाली वायरल पोस्ट भ्रामक और झूठ है.
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