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कोलकाता के बिजनेसमैन और बीजेपी की राज्य यूनिट के मेंबर 'चौकीदार' शिशिर बजोरिया ने 13 मई को ट्वीट किया कि पश्चिम बंगाल पुलिस ने 'गुजरातियों' को चुनाव से पहले बारासात छोड़ने के लिए कहा है.
उनका ट्वीट तुरंत वायरल हो गया. कई लोगों ने गुजरातियों को 'नए कश्मीरी हिंदु' कहा.
क्विंट ने बजोरिया से बात कर ये जानने की कोशिश की, कि उन्हें ये जानकारी कहां से मिली. बजोरिया ने अपने जवाब में कहा, '12 मई को, पुलिस सभी होटलों पर रूटीन चेक कर रही थी, जब एक होटल में उन्हें कुछ गुजराती मिले. पूछने पर पुलिस को पता चला कि वो बीजेपी कार्यकर्ता हैं. वो बिना वॉरन्ट के अंदर चले गए और उनका सामान चेक करने लगे. जब उन्हें रोकने की कोशिश की गई, तो पुलिस ने गुजरातियों को चले जाने को कहा. अब उन्होंने सभी गुजराती बीजेपी कार्यकर्ता कहा या सभी गुजराती, ये मुझे नहीं पता.'
क्विंट ने लोकल पुलिस से बात की जिन्होंने वहां से किसी के भी जाने की बात को नकार दिया.
इसलिए, बजोरिया का ट्वीट, जिसमें दावा किया गया है कि पुलिस ने गुजरातियों को बारासात छोड़ने के लिए कहा, झूठा है. क्योंकि पुलिस ने गुजरात से आए बीजेपी कार्यकर्ताओं को चेक किया, 'गुजरातियों' को नहीं. साथ ही, लोकल पुलिस के मुताबिक, लोगों को चुनावों से पहले रूटीन प्रक्रिया के तहत केवल चेक किया गया था, न कि उन्हें जाने के लिए कहा गया था.
इसी के साथ, उन्होंने कहा कि बीजेपी कार्यकर्ता, जो गुजरात से 12 मई को अमित शाह की रैली में शामिल होने के लिए आए थे, उन्हें एक स्थानीय नेता के घर पर बैठक के लिए मिलना था. इसके लिए उन्होंने बाहर की गाड़ियों का इस्तेमाल किया. हालांकि, जब वो स्थानीय नेता के घर पहुंचे, तो उनका सामना विरोध प्रदर्शन कर रहे टीएमसी कार्यकर्ताओं से हुआ. स्थानीय टीएमसी उम्मीदवार काकोली घोष दस्तीदार ने बीजेपी पर आरोप लगाया था कि इन गाड़ियों का इस्तेमाल पैसे सौंपने के लिए किया जा रहा है. उन्होंने पुलिस को इस बारे में सूचना भी दी थी.
उम्मीदवार की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस घटनास्थल पर पहुंची. गाड़ियों की जांच में सामने आया कि एक गाड़ी में हाई रैंक के अफसर का लोगो लगा हुआ है. पुलिस ने इस मामले में स्वत संज्ञान लेते हुए प्रतिरूपण का मामला दर्ज किया है.
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