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मायावती का दावा-UP में उनका कार्यकाल दंगा मुक्त रहा,क्या ये सच है?

क्या मायावती के कार्यकाल में यूपी ‘दंगा मुक्त’ था?

सोनल गुप्ता
वेबकूफ
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क्या मायावती के कार्यकाल में यूपी ‘दंगा मुक्त’ रहा था
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क्या मायावती के कार्यकाल में यूपी ‘दंगा मुक्त’ रहा था
(फोटो: The Quint/Arnica Kala)

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बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की सुप्रीमो मायावती ने 15 मई को प्रेस कॉन्फ्रेंस में गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर पीएम मोदी के कार्यकाल को बीजेपी पर "काला धब्बा" बताया. उन्होंने ये भी कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर उनका (मायावती) कार्यकाल छोटा था, लेकिन ये "दंगों और हिंसा से मुक्त" था.

मायावती ने कहा, “मेरे उत्तर प्रदेश के सीएम रहने के मुकाबले नरेंद्र मोदी लंबे समय तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे थे. लेकिन उनका कार्यकाल बीजेपी और देश के लोकतंत्र पर एक काला धब्बा है. हमारी सरकार में, उत्तर प्रदेश दंगों और हिंसा से मुक्त था.”

लेकिन ये क्या सच है?

क्या मायावती के कार्यकाल में यूपी 'दंगा मुक्त' था?

मायावती ने 13 मई 2007 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. उनका कार्यकाल 6 मार्च 2012 को खत्म हो गया. मायावती के दावे के विपरीत, इस समय के दौरान राज्य में कई दंगे हुए. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि मायावती के कार्यकाल में हर साल दंगों की 4,000 से ज्यादा घटनाएं होती थी.

यहां हम आपको मायावती के कार्यकाल के दौरान कुछ बड़े दंगों के बारे में बता रहे हैं

सांप्रदायिक झड़प और राजनीतिक हिंसा

अगस्त 2007 में, ताजमहल को पर्यटकों के लिए बंद करना पड़ा था और आगरा के कुछ हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया गया था. रॉयटर्स के मुताबिक, मुसलमानों की एक गुस्साई भीड़ ने ट्रकों को जला दिया था.

सितंबर 2008 में गोरखपुर के तत्कालीन बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ के काफिले पर यूपी के आजमगढ़ जिले में उपद्रवियों ने हमला कर दिया. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस हमले ने बड़े पैमाने पर हिंसा को बढ़ावा दिया, जिससे एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई घायल हो गए.

मार्च 2010 में यूपी के बरेली जिले में हिंदू और मुस्लिमों के बीच बड़ा दंगा हुआ. 2 मार्च को बारावफात के जुलूस के दौरान दो समुदायों के बीच हुई झड़प ने हिंसा का रूप ले लिया. धीरे-धीरे ये हिंसा बरेली के कई इलाकों में फैल गई. दोनों समुदायों के लोगों ने एक-दूसरे पर लाठियां और पत्थरबाजी की. दुकानों को जलाया गया और घरों में तोड़फोड़ की. हिंसा के चलते बरेली में कई दिनों तक कर्फ्यू लगाना पड़ा.

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इसके अलावा उत्तर प्रदेश के दूसरे जिलों में भी कई बार बड़ी हिंसा और दंगों की घटनाएं सामने आईं. अगस्त, 2010 में अलीगढ़ और मई 2011 में ग्रेटर नोएडा में किसानों की पुलिस से झड़प हुई. लाठी और पत्थरों से किसानों के समूहों ने पुलिस अफसरों पर हमला किया. इसमें दो पुलिस कांस्टेबल और एक किसान की जान भी चली गई.

तत्कालीन, UPPCC अध्यक्ष रीता बहुगुणा ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया था, "मायावती के गृह जनपद में, किसानों की गोली मारकर हत्या की जा रही है. किसानों की जमीन को औने-पौने दामों पर हासिल की जा रही है." उन्होंने कहा था कि, ‘ये लुटेरों की सरकार है और भूमि अधिग्रहण उनका पसंदीदा काम बन गया है. लोगों का मायावती सरकार से भरोसा उठ गया.’

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