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फैक्ट चेकिंग वेबसाइट Alt News के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) को 27 जून, 2022 को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गिरफ्तार कर लिया. उनपर 153 (उपद्रव या दंगा भड़काने पर लगने वाली धारा) और 295A (धार्मिक भावनाएं आहत करने पर लगने वाली धारा) के तहत मामला दर्ज किया गया है. ऑल्ट न्यूज में जुबैर समेत उनकी पूरी टीम फेक न्यूज और भ्रामक खबरों को एक्सपोज करते हैं, फिर चाहे शेयर करने वाला कोई भी हो.
लेकिन, जुबैर की नजर फेक न्यूज के अलावा हेट स्पीच पर भी होती है. वो हर तरफ के एक्स्ट्रीमिस्ट्स की तरफ से आए दिन दिए जाने वाले भड़काऊ बयानों को ट्विटर पर सामने लाते रहते हैं.
जुबैर उन लोगों में से एक हैं, जिन्होंने सबसे पहले नूपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी का मामला उठाया था. जब नूपुर शर्मा को उनकी ही पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखाया, तब कई राइट विंग एक्स्ट्रीमिस्ट्स ने जुबैर पर ट्विटर पर खूब निशाना साधा था.
जुबैर के बारे में जानने से पहले भारत में फेक न्यूज की समस्या की कहानी को जरा शॉर्ट में समझना जरूरी है. भारत उन देशों में शामिल है जहां इंटरनेट सस्ती दरों पर उपलब्ध है, इस इंटरनेट क्रांति के बाद अचानक से सोशल मीडिया पर फेक न्यूज नाम की एक समस्या ने कब सिर उठाया और बड़ी समस्या बन गया, पता भी नहीं चला.
फेक न्यूज की समस्या को ही काउंटर करने के लिए वेबसाइट Alt News को 2017 में मोहम्मद जुबैर और प्रतीक सिन्हा ने मिलकर शुरू किया. जुबैर अपने ट्वीट्स के जरिए, लोगों को उन फेक न्यूज पेडलर्स से बचाने की कोशिश करते दिखते हैं, जो भ्रामक खबरों का जाल सोशल मीडिया पर फैलाते रहते हैं.
जुबैर न सिर्फ गलत दावे की पड़ताल करके सच लोगों तक पहुंचाते हैं, बल्कि ब्रेकिंग न्यूज वाली स्थिति में वो सबसे पहले एक छोटा सा ट्वीट कर लोगों को सावधान भी करते रहे हैं कि आपके सामने आई सूचना कितनी सही और कितनी गलत है.
यहां गौर करने वाली बात ये है कि फेक न्यूज या हेट स्पीच को लेकर आगाह करते वक्त जुबैर का एक्शन एक तरफा नहीं होता. चाहे शख्स किसी भी मजहब, पार्टी, विचारधारा का हो, जुबैर ट्विटर पर उसका सच लोगों को बताते हैं. इसे एक हाल के उदाहरण से समझा जा सकता है.
AIMIM सासंद इम्तियाज जलील का एक वीडियो न्यूज एजेंसी ANI ने ट्वीट कर कहा कि ''जलील ने बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा को फांसी देने की मांग की है''. सोशल मीडिया पर आरोप लगे कि ANI जलील के बयान को गलत संदर्भ में पेश कर रही है. आरोप लगाने वाले कई यूजर ऐसे थे जो ट्विटर पर जुबैर को सपोर्ट/फॉलो करते हैं, लेकिन फिर भी जुबैर ने यहां तथ्यों को तवज्जो दी.
मोहम्मद जुबैर ने ट्वीट कर बताया कि इम्तियाज जलील ने भड़काऊ भाषण सच में दिया था. इस ट्वीट में जुबैर ये बताते नजर आ रहे हैं कि ये साफतौर पर हेट स्पीच है.
एक और ट्वीट है, जिसमें जुबैर उन टीवी डिबेट्स की आलोचना कर रहे हैं जहां हिंदुओं का अपमान करने वाले मुस्लिम और मुस्लिमों का अपमान करने वाले हिंदू प्रवक्ताओं को बुलाया जाता है.
यानी जुबैर सिर्फ फेक न्यूज पैडलर्स पर ही निगाहें जमाकर नहीं रखते, बल्कि हेट स्पीच फैलाने वालों पर भी वो नजर रखते हैं. इसका एक उदाहरण आप यहां और यहां देख सकते हैं. <
मोहम्मद जुबैर टीवी मीडिया पर चल रहे भड़काऊ टीवी डिबेट्स पर भी सवालिया निशान खड़े करते रहे हैं. वो भ्रामक खबरों का सच तो बता ही रहे हैं. साथ ही हेट स्पीच को उजागर करने के साथ डॉक्यूमेंट भी कर रहे हैं. भारत में हेट स्पीच की स्थिति जानने के लिए मोहम्मद जुबैर के ट्वीट और उनका ट्विटर अकाउंट एक सही सोर्स हो सकता है. कुल जमा बात ये है कि जुबैर ने हेट स्पीच की स्थिति को समझने का काम आसान कर दिया है.
आर्टिकल 14 को दिए इंटरव्यू में मो. जुबैर ने कहा था कि जाहिर है वो जो काम कर रहे हैं उससे उन्हें गिरफ्तारी का डर है. जुबैर ने ये भी कहा था कि उनके काम से वो राइटविंग के निशाने पर रहते हैं.
जुबैर ने ये भी कहा था कि ''सोशल मीडिया पर हेट स्पीच का बड़ा हिस्सा वो लोग पोस्ट करते हैं जो या तो बीजेपी से जुड़े हैं या फिर उसके समर्थक हैं. ऐसे कई ट्रेंड्स की पहुंच लाखों लोगों तक होती है.''
2017 से ही ऑल्ट न्यूूज लगातार फेक न्यूज के दुष्प्रचार को रोकने के लिए काम कर रहा है. ऑल्ट न्यूज ने ऐसे कई भ्रामक दावों का पर्दाफाश किया, जिन्हें अगर सच मान लिया जाता तो समाज में साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता था. इन दावों को शेयर करने वालों में कई बार वेरिफाइड हैंडल्स ही होते हैं.
पश्चिम बंगाल के बीरभूमि में हिंसा हुई और बीजेपी नेताओं ने ट्विटर पर ये दावा किया कि दंगों में मुस्लिमों ने हिंदुओं को मारा है. जबकि असलियत तो ये थी कि इस हिंसा में मरने वाले सभी लोग मुस्लिम थे. ऑल्ट न्यूज ने बीजेपी नेताओं के गलत दावे का सच लोगों तक पहुंचाया.
साम्प्रदायिक दावों के अलावा कई राजनीतिक दावे जो देश में एक खास तरह का नैरेटिव बनाने के लिए झूठ के हथियार से फैलाए जाते हैं, उनका पर्दाफाश भी ऑल्ट न्यूज करता रहा है.उदाहरण के तौर पर इस दावे को देख सकते हैं.
फेक न्यूज फैलाकर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का काम सिर्फ नेता नहीं न्यूज चैनल भी करते हैं. ऑल्ट न्यूज की तरफ से लगातार चैनलों पर किए जाने वाले भ्रामक दावों की पड़ताल की जाती है.
नवभारत टाइम्स के एंकर सुशांत सिन्हा ने दावा किया कि राजस्थान के अलवर में भंवरी देवी का घर तोड़ दिया गया. लेकिन बगल में ही मौजूद ‘ज़ाकिर खान मेटर्स’ नाम की दुकान पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. सुशांत ने प्रशासन पर सांप्रदायिक रूप से भेदभाव करने का आरोप लगाया. ALT News ने जब जाकिर खान से बात की तो पता चला कि वो तो सिर्फ दुकान चलाते हैं. दुकान के मालिक तो एक हिंदू शख्स हैं. दुकान के मालिक मनीष दीक्षित ने भी यही पुष्टि की.
बंगाल की एक आर्टिस्ट का वीडियो झांसी में मुसलमानों की दुर्दशा का बताकर शेयर किया गया ऑल्ट न्यूज ने इस दावे की पड़ताल की और सच लोगों तक पहुंचाया.
इसी तरह ऑल्ट न्यूज ने उस दावे की भी पड़ताल की जब अमेरिका का एक वीडियो भारत का बताकर सोशल मीडिया पर इस दावे से शेयर किया गया कि ''आरएसएस ने एक महिला को जिंदा जला दिया''.
ऐसे एक नहीं कई उदाहरण हैं.
हाल में बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल ने पैगंबर मोहम्मद पर एक टीवी डिबेट में कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. माना जा रहा था कि जुबैर ने जब इस मामले को उठाया तो उसके बाद नूपुर शर्मा के बयान का विरोध हुआ और अंत में बीजेपी ने अपने प्रवक्ता के बयानों की निंदा करते हुए उन्हें पार्टी से सस्पेंड कर दिया.
सितंबर 2020 में जुबैर के खिलाफ एक ट्वीट को लेकर IT एक्ट और POCSO के तहत दिल्ली और रायपुर में मामला दर्ज किया गया था. तब जुबैर ने कहा था कि ये गलत है और मैं इसे कानूनी रूप से चुनौती दूंगा.
इसके अलावा, जून 2021 में भी जुबैर, राणा अयूब और द वायर सहित कई पर भ्रामक खबर फैलाने और धार्मिक भावनाओं को भड़काने को लेकर मामला दर्ज किया था. मामला यूपी के गाजियाबाद में एक बुजुर्ग मुस्लिम शख्स की पिटाई का था.
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