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NeoCoV नाम के ''नए खोजे गए'' वायरस को लेकर न्यूज ऑर्गनाइजेशन की भ्रामक हेडलाइन और सोशल मीडिया पोस्ट से डर पैदा हो गया है.
कुछ पोस्ट के मुताबिक, वायरस से संक्रमित 3 में से 1 की मौत हो गई, तो कुछ में दावा किया गया कि ये कोविड-19 (Covid-19) का सबसे संक्रामक वैरिएंट है.
जिस स्टडी के आधार पर रिपोर्ट पेश की गई हैं, हमने उस स्टडी को देखा, लेकिन हमें ऐसा कोई निष्कर्ष नहीं मिला. इसके अलावा, स्टडी का पीयर-रिव्यूव्ड होना अभी भी बाकी है. यानी अभी इसकी समीक्षा नहीं हुई है. NeoCoV न तो नया वायरस है और न ही ये कोविड-19 का वैरिएंट है. अब तक मनुष्यों में NeoCoV का कोई भी कन्फर्म केस सामने नहीं आया है.
NeoCoV कोई नया वायरस नहीं है. ये पहली बार 2014 में पाया गया था.
ये वायरस सिर्फ चमगादड़ों में पाया जाता है. इसकी वजह से अब तक न तो किसी इंसान को संक्रमण हुआ है और न ही किसी की मौत हुई है.
नई स्टडी के मुताबिक इस वायरस से मनुष्यों को भी संक्रमण हो सकता है, लेकिन ये स्टडी पीयर-रिव्यूव्ड नहीं है.
NeoCoV कोविड 19 का नया वैरिएंट नहीं है.
Times Now और News18 दोनों न्यूज ऑर्गनाइजेशन की हेडलाइन के मुताबिक, NeoCoV से सक्रमितों में ''3 में से 1 की मौत हो गई.''
स्टडी की समीक्षा होना अभी बाकी है
स्टडी की समीक्षा होना अभी बाकी है
स्टडी की समीक्षा होना अभी बाकी है
The Times of India की हेडलाइन में लिखा गया था, "Coronavirus: Is the newly found NeoCov COVID variant by Wuhan scientists the deadliest of all COVID strains?" (अनुवाद- कोरोना वायरस: क्या वुहान के वैज्ञानिकों का खोजा गया कोविड 19 का नया वैरिएंट NeoCov, कोविड के सभी स्ट्रेन से ज्यादा घातक है''?)
ऐसा मालूम पड़ता है कि तीनों ही रिपोर्ट्स रूसी न्यूज एजेंसी Sputnik News पर पब्लिश रिपोर्ट पर आधारित हैं. हालांकि, Sputnik की रिपोर्ट में न तो NeoCoV को कोविड 19 का नया वैरिएंट कहा गया है और न ही ये कहा गया है कि वायरस की वजह से मृत्यु दर 33 प्रतिशत (तीन में से एक) है.
इस वायरस पर पहली बार 2013 में चर्चा की गई थी और इसका संदर्भ पहली बार 2014 के एक पेपर में दिया गया था. इस पेपर का टाइटल था, "Rooting the phylogenetic tree of Middle East respiratory syndrome coronavirus by characterisation of a conspecific virus from an African bat".
WHO के मुताबिक, MERS-CoV का संबंध कोरोनावायरस के बड़े परिवार से है, जिसकी वजह से सामान्य सर्दी और सार्स (सीवियर अक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम) हो सकता है.
मनुष्यों में NeoCoV के ट्रांसमिशन का कोई ज्ञात मामला नहीं है.
अब तक, NeoCoV ने बाइंडिंग के लिए डाइपेप्टिडाइल पेप्टिडेज़-4 (DPP4) रिसेप्टर्स का इस्तेमाल किया है.
चीनी वैज्ञानिकों की ओर से की गई इस स्टडी में ''अप्रत्याशित रूप से'' पाया गया कि NeoCoV और उसका करीबी वायरस PDF-2180-CoV प्रवेश के लिए एंजियोटेंसिन-कनवर्टिंग एंजाइम 2 (ACE2) रिसेप्टर का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसका मतलब है कि इससे मनुष्यों को संक्रमण हो सकता है.
स्टडी के मुताबिक, ये संभावना रिकॉम्बिनेशन और म्यूटेशन पर निर्भर करती है.
डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने ट्विटर के जरिए कहा है कि ऐसा होने की संभावना बेहद कम है.
Sputnik रिपोर्ट में वेक्टर रशियन स्टेट रिसर्च सेंटर ऑफ वायरोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी के एक्सपर्ट्स का एक स्टेटमेंट भी शामिल है. उन्होंने कहा है कि स्टडी में इस वायरस से मनुष्यों के लिए जो संभावित जोखिम बताए गए हैं, उनको लेकर और ज्यादा रिसर्च की जरूरत है.
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