Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Webqoof Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019AMU में मश्कूर उस्मानी ने जिन्ना की तस्वीर लगाई? आजतक का दावा झूठा

AMU में मश्कूर उस्मानी ने जिन्ना की तस्वीर लगाई? आजतक का दावा झूठा

कांग्रेस ने मश्कूर उस्मानी को बिहार चुनाव में जाले विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है

क्विंट हिंदी
वेबकूफ
Published:
i
null
null

advertisement

कांग्रेस ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के पूर्व छात्र नेता मश्कूर उस्मानी को बिहार चुनाव में जाले विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. पार्टी के इस फैसले के बाद हिंदी न्यूज चैनल आजतक ने उस्मानी पर 'जिन्ना समर्थक' होने का आरोप लगाया और दावा किया कि 2018 में उन्होंने AMU में पाकिस्तान के फाउंडर मोहम्मद अली जिन्ना की पोर्ट्रेट लगवाई थी.

हालांकि कई पत्रकारों, इतिहासकारों और AMU प्रशासन ने साफ किया है कि जिन्ना का पोर्ट्रेट यूनिवर्सिटी की दीवार पर आजादी के समय से पहले से लगा है.

दावा

एंकर रोहित सरदाना ने एक बुलेटिन पढ़ा, जिसमें चैनल ने दावा किया कि 'जब मश्कूर उस्मानी यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के अध्यक्ष थे, तो उन्होंने AMU में मोहम्मद अली जिन्ना की पोर्ट्रेट लगवाई थी.'

वीडियो में 21 सेकंड पर सरदाना ये दावा करते हैं और ऐसा ही दावा वीडियो में 1.29 और 6.25 मिनट पर भी किए जाते हैं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

हमें क्या मिला?

हालांकि, ये सच है कि AMU में जिन्ना की तस्वीर है, लेकिन आजतक का दावा कि उस्मानी ने वो तस्वीर लगवाई है, ये गलत है. वो तस्वीर 1938 से AMU में है.

ये मुद्दा 2018 में सबसे पहले सामने आया था जब अलीगढ़ से बीजेपी सांसद सतीश गौतम ने AMU के वाइस-चांसलर तारिक मंसूर को एक खत लिखा और उनसे पूछा कि जिन्ना की तस्वीर लगाने के पीछे क्या वजह है. उस्मानी उस समय AMU छात्र संघ के अध्यक्ष थे.

इस बात का जवाब देते हुए AMU के प्रवक्ता शफी किदवई ने NDTV को बताया था कि जिन्ना यूनिवर्सिटी के एक फाउंडर थे और उन्हें छात्र संघ की आजीवन सदस्यता मिली हुई है. किदवई ने कहा था, "जिन्ना को ये सदस्यता 1938 में मिली थी."

लेखक राणा सफवी ने क्विंट में अपने एक ओपिनियन आर्टिकल में उन लोगों के नाम बताए थे, जिन्हें AMU की आजीवन सदस्यता मिली हुई है. जिन्ना के अलावा डॉ बीआर अंबेडकर, डॉ राजेंद्र प्रसाद, केएम मुंशी, मौलाना आजाद, सर सीवी रमन, जयप्रकाश नारायण और मदर टेरेसा का भी नाम इसमें शामिल है.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में वाइस-चांसलर तारिक मंसूर ने केंद्र को साफ किया था कि 'तस्वीर स्टूडेंट्स हॉल में' 1938 से है. जबकि उस्मानी ने कहा था कि ये 'यूनिवर्सिटी की विरासत को ऐतिहासिक रूप से संजोना है'. हालांकि, ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है जो आजतक के दावे को साबित करती हो.

वहीं, इन दावों के दोबारा चर्चा में आने के बाद उस्मानी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा है और दावा किया कि 'मीडिया के ऐसे साफ झूठ दिखाने से उनकी सुरक्षा खतरे में आ सकती है.'

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT