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12 अगस्त, बुधवार को न्यूज आउटलेट्स ने बिना वेरिफाई किए ये खबर चला दी कि बेंगलुरू में हुई हिंसा में '60,000 दंगाई' शामिल थे. ये उसी हिंसा के बारे में बता रहे थे जिसमें एक भीड़ ने पुलिस स्टेशन और विधायक के घर पर उत्पात मचाया था.
मंगलवार की रात को बेंगलुरु के 3 अलग-अलग इलाकों में हुई हिंसा में 3 लोगों की जान चली गई. ये भीड़ टी नवीन कुमार के फेसबुक पोस्ट को लेकर नाराज थी. कांग्रेस विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति के 34 साल के भतीजे ने कथित तौर पर पैगंबर मोहम्मद को लेकर आपत्तिजनक पोस्ट लिखा था.
हमने पाया कि ये 60,000 की संख्या बढ़ा-चढ़ा कर किया गया दावा है. कोई ग्राउंड रिपोर्ट या फिर पुलिस इस दावे को सही नहीं मानती है.
न्यूज वेबसाइट स्वराज्य उन संस्थानों में से था जिन्होंने 60,000 की संख्या में भीड़ वाली बात को रिपोर्ट किया है. लेकिन उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स को एट्रीब्यूट किया है. HT ये जानकारी अपनी खबर में से निकाल दी है लेकिन इस पर कोई सफाई जारी नहीं की है.
ऑप इंडिया के हिंदी संस्करण ने इसी दावे के साथ न्यूज स्टोरी की, ऑप इंडिया ने भी हिंदुस्तान टाइम्स का हवाला दिया.
फ्री प्रेस जर्नल ने भी इसी तरह की न्यूज स्टोरी की. लेकिन उन्होंने इस जानकारी के लिए ANI पर आंखोदेखी बताने वाले को एट्रीब्यूट किया.
इसके बाद हमने ANI रिपोर्ट का रुख किया जिसमें ये दावा किया जा रहा है. ANI ने 12 अगस्त को दोपहर 12 बजे के आसपास एक वीडियो ट्वीट किया. उसमें बोल रहा व्यक्ति शरीफ जो खुद को इस हिंसक घटना का प्रत्यक्षदर्शी बताता है वो कहता है कि रात में हुई हिंसा में करीब 50,000-60,000 लोग शामिल थे.
इस वीडियो का आर्काइव वर्जन यहां देखा जा सकता है.
हमने देखा कि बेंगलुरु में हुई हिंसा को लेकर किसी भी न्यूज रिपोर्ट में 50,000-60,000 लोगों की इतनी बड़ी संख्या का दावा नहीं किया गया है. और तो और पुलिस और बाकी प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि करीब 2000-2500 लोगों के आसपास की भीड़ रही होगी.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक MLA मूर्ति का आरोप है कि उनके घर पर हुए हमले में करीब 3000 लोग शामिल थे. मिरर नाउ के मुताबिक भीड़ की संख्या करीब 1500 ही थी.
द न्यूज मिनट वेबसाइट ने भी पुलिस के हवाले से बताया कि डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन पर हुई हिंसा में करीब 1500 लोगों की भीड़ थी.
किसी भी न्यूज ऑर्गेनाइजेशन ने एक जगह पर 2500 से ज्यादा लोगों की भीड़ को रिपोर्ट नहीं किया है. साफ है ANI ने बिना वेरीफाई किए प्रत्यक्षदर्शी की बात बताई. इसी को सुनकर कई मीडिया संस्थानों ने खबर चलाई और सोशल मीडिया पर ये गलत जानकारी शेयर हुई.
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