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पगड़ी पहने एक व्यक्ति की फोटो ये बताकर शेयर की जा रही है कि ये असल में मुसलमान है और किसान बनने के लिए सिख पहनावा धारण हुए है. ये भी दावा किया गया कि ये व्यक्ति पंजाब हरियाणा से चले किसानों के दिल्ली चलो मार्च का हिस्सा है.
लेकिन खोजबीन करने पर हमें पता चला कि ये फोटो अप्रैल 2020 का है. तब किसानों का प्रदर्शन शुरू भी नहीं हुआ था.
जो पोस्ट वायरल किया जा रहा है उसमें कैप्शन लिखा हुआ है- “...और फिर Nazeer Mohd. पगड़ी पहनकर Sikh किसान बन गए। सच्चाई ये है कि ये किसान आंदोलन नही बल्कि कहीं Khal'ist'ani प्रोपगंडा तो नहीं ? ये वही लोग हैं जो CAA प्रोटेस्ट्स और Shaheen Bagh में भी शामिल थे ...”
इसी तरह के कैप्शन दूसरे पोस्ट्स में भी इस्तेमाल किए गए.
कुछ भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों ने भी अपने हैंडल्स से इस तरह के दावे किए. बीजेपी युवा मोर्चा दिल्ली के राज्य महासचिव अभिमन्यु त्यागी ने दावा किया कि- नजीर मोहम्मद अब नवदीप मोहन पुरिया हो गया है.
योगी आदित्यनाथ के सूचना सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी ने भी यही फोटो ट्वीट की और बाद में बीजेपी के सांसद राजीव चंद्रशेखर ने त्यागी के ट्वीट को रीट्वीट कर दिया.
हमने फेसुबक पर नजीर मोहम्मद की प्रोफाइल खोजना शुरू की और हमें नजीर की प्रोफाइल मिल भी गई. हमने नजीर की पगड़ी वाली फोटो की पोस्ट होने की तारीख देखी. ये फोटो 8 अप्रैल 2020 को पोस्ट की गई थी. तब तक तो किसान प्रदर्शन शुरू भी नहीं हुए थे.
फैक्ट चैकिंग वेबसाइट बूम पंजाब में नजीर मोहम्मद तक पहुंच पाए. नजीर पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में इलेक्ट्रिशियन और लाइनमैन हैं.
जब नजीर से पगड़ी पहनने का कारण पूछा गया तो उन्होंने बताया कि "इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड ने ये नियम बना दिया था कि काम करते हुए हेलमेट पहनना अनिवार्य होगा. लेकिन हेलमेट से मेरी नजरों में बाधा पैदा हो रही थी. तो मेरे एक दोस्त ने मुझे पगड़ी पहनने की सलाह दी और साथ में उसने एक पगड़ी गिफ्ट भी कर दी. और तब से ही मैंने पगड़ी पहननी शुरू कर दी और अब मैं रोजाना पगड़ी पहनता हूं."
अब नजीर ने अपनी फेसबुक प्रोफाइल लॉक कर ली है. बूम वेबसाइट ने बताया है कि नजीर ने स्थानीय पुलिस में इस मामले की शिकायत भी दर्ज कराई है.
पंजाबी न्यूज चैनल ने भी इस स्टोरी को कवर किया है. इसमें नजीर पूरी घटना के बारे में विस्तार से बता रहे हैं. वो किसान आंदोलन में फिजिकली तो शामिल नहीं है लेकिन वो इस आंदोलन का समर्थन जरूर करते हैं.
साफ है कि एक फोटो को गलत दावे के साथ शेयर किया गया, जिसका किसान आंदोलन से सीधा कोई संबंध नहीं है. जिन्होंने इस फोटो को गलत दावे के साथ शेयर किया है वो वेबकूफ बन गए हैं.
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